नई दिल्ली: सिख अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास की साजिश रचने के भारत सरकार के एजेंटों पर लगे आरोपों की ‘त्वरित और पारदर्शी’ जांच के लिए अमेरिका ने न्याय सुनिश्चित करने के लिए भारतीय उच्च-स्तरीय समिति की आवश्यकता पर जोर दिया है.
बीते वर्ष नवंबर में अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता नाम के एक भारतीय नागरिक ने भारत सरकार के एक अधिकारी के आदेश पर अमेरिकी धरती पर एक व्यक्ति (जिसके बारे में माना जाता है कि वह गुरपतवंत सिंह पन्नू था) की हत्या करने के लिए एक हिटमैन को नियुक्त करने की कोशिश की थी.
चेक गणराज्य में गिरफ्तार होने के बाद गुप्ता वर्तमान में अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.
पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है और वह भारत में प्रतिबंधित किए गए ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम के समूह के लिए वकील के रूप में काम करते हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी मामलों पर अमेरिकी कांग्रेस समिति की बुधवार (20 मार्च) को पाकिस्तान चुनावों पर हुई एक सार्वजनिक सुनवाई में मिनेसोटा के डेमोक्रेट कांग्रेसी डीन फिलिप्स ने अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप के बारे में राज्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से सवाल किए और पूछा कि क्या विभाग ने भारतीय अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया है.
फिलिप्स ने पूछा, ‘निश्चित रूप से प्रशासन ने हाल ही में रूस में एलेक्सी नवलनी की हत्या से संबंधित 500 से अधिक व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं. इसलिए मेरा सवाल है कि क्या उन लोगों पर भी ऐसे ही किसी प्रतिबंध या यात्रा प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है जिनके बारे में हमारा मानना है कि वे पन्नू की हत्या के प्रयास के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं?’
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने आरोपों को ‘अविश्वसनीय रूप से गंभीरता से लिया है और इसे भारत के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया है.’
लू ने कहा, ‘हम इस समय भारत के साथ काम कर रहे हैं ताकि भारत को इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.’
यह देखते हुए कि भारत ने एक जांच समिति की घोषणा की है, लू ने कहा, ‘हमने उनसे न्याय सुनिश्चित करने के लिए शीघ्रता से और पारदर्शी तरीके से काम करने के कहा है.’
लू ने इस ओर कोई इशारा नहीं किया कि क्या भारत ने समिति की जांच से कोई निष्कर्ष निकाला है.
नवंबर के अभियोग में अमेरिकी अभियोजकों ने गुप्ता को भर्ती करने के आरोपी भारतीय अधिकारी को केवल ‘सीसी-1’ के रूप में नामित किया था, लेकिन कहा था कि उसकी पहचान अमेरिकी सरकार को पता है.
ऐसा भी कहा जाता है कि अधिकारी ने खुद को ‘सुरक्षा प्रबंधन’ और ‘इंटेलिजेंस’ की जिम्मेदारियां संभालने वाला ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ बताया था. अभियोग में कहा गया है कि कथित हत्या की साजिश को अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने विफल कर दिया था.
इससे पहले दिन में ब्लूमबर्ग ने अज्ञात वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि भारत ने अमेरिका को बताया था कि कथित साजिश के पीछे सरकार द्वारा अधिकृत लोग नहीं थे.
समाचार एजेंसी ने दावा किया कि साजिश में सीधे तौर पर शामिल लोगों में से एक अब भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के लिए काम नहीं कर रहा है, वह अभी भी एक सरकारी कर्मचारी है, और सरकार ने उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की है.
ब्लूमबर्ग ने कहा, ‘लोगों ने बताया है कि नई दिल्ली ने आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा नियुक्त समिति के निष्कर्षों के बारे में अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया है.’
भारत ने अभी तक सार्वजनिक रूप से यह घोषणा नहीं की है कि कथित साजिश में उसकी जांच पूरी हो गई है या उसने जांच में क्या प्रगति की है, इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद जब द वायर ने भारत में अमेरिकी दूतावास से संपर्क किया तो उसकी ओर से कहा गया कि उसके पास फिलहाल साझा करने के लिए कुछ भी नहीं है. विदेश मंत्रालय ने अभी तक टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने पहले कहा है कि वह आरोपों पर भारत की जांच के नतीजे देखने के लिए उत्सुक है, हालांकि अमेरिकी सरकार ने जांच के बारे में कोई विवरण साझा नहीं किया है.
अमेरिकी अभियोजकों ने अपने अभियोग में कथित हत्या की साजिश को पिछले साल कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भी जोड़ा था. वैंकूवर के पास एक गुरुद्वारे के बाहर निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसे भी भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि उनकी सरकार के पास यह मानने के ‘विश्वसनीय कारण’ हैं कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे.
आरोपों से दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद शुरू हो गया था, जिसके कारण 40 से अधिक कनाडाई राजनयिकों को वापस बुला लिया गया और कनाडाई नागरिकों के लिए भारतीय वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
भारत सरकार ने कहा है कि वह निज्जर की मौत की जांच में कनाडा के साथ सहयोग नहीं कर रही है.
कनाडा में भारतीय राजदूत संजय कुमार वर्मा ने कहा कि जब तक कनाडाई अधिकारी अपने भारतीय समकक्षों के साथ ‘प्रासंगिक और विशिष्ट साक्ष्य’ साझा नहीं करेंगे, भारत के लिए मदद करना ‘बेहद मुश्किल’ होगा.