द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में बताया है कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी विवरण भारत के चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं. लाइव लॉ के अनुसार, खारा ने बताया कि इस डेटा में बॉन्ड के विशिष्ट संख्या (यूनिक नंबर) शामिल है. मालूम हो कि यह नंबर उन बॉन्ड्स को भुनाने वाले राजनीतिक दलों के साथ बॉन्ड के खरीदारों का मिलान करने में मदद करेंगे. अन्य विवरण में बॉन्ड खरीदने वाले के विवरण में सीरियल नंबर, यूआरएन नंबर, जर्नल तिथि, खरीद की तारीख, समाप्ति की तारीख, खरीदार का नाम, प्रीफिक्स, बॉन्ड संख्या, मूल्यवर्ग, जारी करने वाली बैंक की शाखा का कोड, उसका टेलर और उसका स्टेटस शामिल है. राजनीतिक दलों द्वारा भुनाने के विवरण में क्रम संख्या, भुनाने की तारीख, राजनीतिक दल का नाम, खाता संख्या के अंतिम चार अंक, प्रीफिक्स, बॉन्ड संख्या, मूल्यवर्ग, भुगतान करने वाली शाखा का कोड और भुगतान करने वाले टेलर का विवरण शामिल हैं. एसबीआई चेयरमैन ने बताया है कि प्रीफिक्स और बॉन्ड संख्या वास्तव में अल्फ़ान्यूमेरिक संख्या हैं. यह सभी डेटा निर्वाचन आयोग की साइट पर अपलोड किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा संशोधित आईटी नियमों के तहत प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेक शाखा को फैक्ट-चेकिंग इकाई (एफसीयू) बनाने की अधिसूचना पर रोक लगा दी है. रिपोर्ट के अनुसार, आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 में एक फैक्ट-चैकिंग इकाई का प्रावधान दिया गया है जो केंद्र सरकार से संबंधित ऐसी सूचनाओं को चिह्नित करेगी, जिन्हें वह ग़लत, फ़र्ज़ी या भ्रामक मानती है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए बयान के इतर नियम को दी गईं चुनौतियों में गंभीर संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं. बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर नियम 3(1)(बी)(वी) के प्रभाव का विश्लेषण हाईकोर्ट द्वारा किया जाएगा. यह रोक बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष फैक्ट-चेक यूनिट की वैधता को चुनौती देने वाली कार्यवाही के निपटारे तक वैध रहेगी. इस महीने की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा फैक्ट-चेकिंग यूनिट को अधिसूचित करने पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई जाएगी. इससे पहले दो न्यायाधीशों वाली एक पीठ ने उक्त इकाई से संबंधित विशिष्ट नियम की वैधता पर खंडित फैसला सुनाया था.
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट- 2024 में भारत 143 देशों में से 126वें स्थान पर रहा है. मालूम हो कि यह वैश्विक सूचकांक जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ल्ड हैप्पीनेस डे (20 मार्च)के अवसर पर बुधवार को जारी किया गया था. समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर बताती है कि गैलप, ऑक्सफोर्ड वेलबीइंग रिसर्च सेंटर, यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क और डब्ल्यूएचआर के संपादकीय बोर्ड की साझेदारी की रिपोर्ट के अनुसार, इस सूची में भारत पाकिस्तान, लीबिया, इराक, फिलिस्तीन और नाइजर से पीछे है. फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में शीर्ष पर है. शीर्ष दस में अन्य देश डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, इज़रायल, नीदरलैंड, नॉर्वे, लक्ज़मबर्ग, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया रहे. अफगानिस्तान इस सूची में सबसे नीचे रहा. पीटीआई ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भारत में अधिक उम्र उच्च जीवन संतुष्टि से जुड़ी है, जो ऐसे दावों का खंडन करती है कि उम्र और जीवन संतुष्टि के बीच सकारात्मक संबंध केवल उच्च आय वाले देशों में मौजूद है.’
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधायक के. पोनमुडी को मंत्री के रूप में फिर से शामिल करने से इनकार करने को लेकर राज्यपाल आरएन रवि की आलोचना की है. लाइव लॉ के अनुसार, पोनमुडी की दोषसिद्धि शीर्ष अदालत द्वारा निलंबित किए जाने के बावजूद रवि ने उन्हें शपथ दिलाने से इनकार कर दिया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देरी को लेकर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से पूछा, ‘आपके राज्यपाल क्या कर रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है और राज्यपाल का कहना है कि वे उन्हें शपथ नहीं दिलाएंगे! हमें कुछ गंभीर टिप्पणियां करनी होंगी. कृपया अपने राज्यपाल को बताएं, हम इस पर गंभीरता से विचार करेंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्थिति ने अदालत को मामले में राज्यपाल के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करने के लिए बाध्य किया है. सीजेआई ने कहा, ‘हम इसे अदालत में ज़ोर से नहीं कहना चाहते थे लेकिन अब आप हमें ज़ोर से कहने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ये कोई तरीका नहीं है. वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं.’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ किसी दोषसिद्धि पर रोक लगाती है, तो यह राज्यपाल का काम नहीं है कि वो हमें बताएं कि इससे दोषसिद्धि खत्म नहीं होती है और इसका अस्तित्व ही नहीं है.’
भारतीय निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से कहा है कि आचार संहिता के दौरान पीएम मोदी के पत्र वाले ‘विकसित भारत’ मैसेज भेजना बंद करे. रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला ‘विकसित भारत संपर्क’ एकाउंट से वॉट्सऐप पर लाखों भारतीयों को प्रधानमंत्री मोदी के पत्र वाले बल्क संदेश भेजे जाने का है. विकसित भारत संपर्क एकाउंट में पंजीकृत कार्यालय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय दर्ज है, जिसे निर्वाचन आयोग ने फौरन यह मैसेज रोकने को कहा है. आयोग के अनुसार, मंत्रालय ने दावा किया था कि ‘हालांकि, पत्र आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले भेजे गए थे, लेकिन सिस्टम की बनावट और नेटवर्क की सीमाओं के कारण संभव है कि कुछ पत्रों की डिलीवरी में देरी हुई हो.’ इन संदेशों को लेकर विपक्षी दलों ने भी आपत्ति जताई थी और इन्हें आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया था. तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने बीते सोमवार को इस पत्र का हवाला देते हुए एमसीसी के कथित उल्लंघन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भारतीय चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.