नई दिल्ली: भारत विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 में 143 देशों में 126वें स्थान पर है. इस विश्व खुशहाली सूचकांक को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के अवसर पर बुधवार (20 मार्च) को जारी किया गया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह रिपोर्ट गैलप, ऑक्सफोर्ड वेलबीइंग रिसर्च सेंटर, यूएन सस्टेनेबल डेवलेपमेंट सोल्यूशंस नेटवर्क और डब्ल्यूएचआर के संपादकीय बोर्ड की साझेदारी में तैयार की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुशहाली का स्तर पाकिस्तान, लीबिया, इराक, फिलिस्तीन और नाइजर से भी कम है.
फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में शीर्ष पर है. शीर्ष दस में अन्य देश डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, इज़रायल, नीदरलैंड, नॉर्वे, लक्ज़मबर्ग, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया हैं. अफगानिस्तान सूची में सबसे नीचे है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अधिक उम्र उच्च जीवन संतुष्टि से जुड़ी है, जो उन दावों का खंडन करता है कि उम्र और जीवन संतुष्टि के बीच सकारात्मक संबंध केवल उच्च आय वाले देशों में मौजूद है.
रिपोर्ट के अनुसार, औसतन भारत में वृद्ध पुरुष वृद्ध महिलाओं की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं, ‘लेकिन अन्य सभी मानकों को ध्यान में रखें तो वृद्ध महिलाएं, वृद्ध पुरुषों की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं.’
अध्ययन से यह भी पता चला कि भारत में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त वृद्ध वयस्क और उच्च जातियों के लोग, बिना औपचारिक शिक्षा वाले और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं
पीटीआई के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘भारत की वृद्ध आबादी संख्या के लिहाज से चीन के बाद दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है, जिसमें 60 और उससे अधिक उम्र के 14 करोड़ भारतीय शामिल हैं. चीन में यह संख्या 25 करोड़ है. इसके अतिरिक्त, 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीयों की औसत वृद्धि दर देश की समग्र जनसंख्या वृद्धि दर से तीन गुना अधिक है.’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘हमने पाया कि वृद्ध पुरुष, जो उच्च आयु वर्ग में हैं, वर्तमान में विवाहित हैं, और जो शिक्षित हैं, अपने समकक्षों की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं. रहने की व्यवस्था के साथ कम संतुष्टि, कथित भेदभाव और अपने स्वास्थ्य को खराब मानना वृद्ध भारतीयों के बीच कम जीवन संतुष्टि से जुड़े महत्वपूर्ण कारक हैं.’