बीते फरवरी में मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए कई विस्फोटों में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 174 अन्य घायल हुए थे. राज्य सरकार की जांच समिति ने पाया कि यह एक ‘मानव निर्मित’ त्रासदी थी और ज़िला प्रशासन ने कई चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था.
नई दिल्ली: फरवरी में मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए कई विस्फोटों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय राज्य सरकार की जांच समिति ने पाया कि यह एक ‘मानव निर्मित’ त्रासदी थी और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच रिपोर्ट को अब आगे की कार्रवाई के लिए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक और सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया गया है.
हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई और 174 अन्य घायल हो गए थे. धमाके के तुरंत बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घटनास्थल का दौरा किया था और प्रमुख सचिव गृह संजय दुबे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था. इस कमेटी ने अब 35 दिन बाद जांच पूरी कर ली है.
समिति की 40 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटना ‘अचानक नहीं हुई’ और कई चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज कर दिया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2015 और 2021 में कारखाने के एक ही परिसर में इसी तरह की घटनाएं हुईं लेकिन संचालन बंद नहीं किया गया. 2021 में मालिक राजेश अग्रवाल को 2015 में हुए विस्फोट के सिलसिले, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई थी, में दस साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया.’
फरवरी में विस्फोट के एक दिन बाद राज्य पुलिस ने धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और 7 और 8 फरवरी को राजेश अग्रवाल और उनके बेटे सोमेश को गिरफ्तार किया गया था.
जांच समिति ने पाया है कि फैक्ट्री में सैकड़ों टन पटाखे अवैध रूप से बनाए गए थे क्योंकि फैक्ट्री के पास केवल एक स्थायी लाइसेंस था जो उसे 15 किलोग्राम पटाखे बनाने की अनुमति देता था, जिस पर भी मुकदमा चल रहा था. जांच समिति के अधिकारियों ने कहा कि उनके पास दो अन्य लाइसेंस थे लेकिन इनमें केवल पटाखों की बिक्री और भंडारण की अनुमति थी.
समिति ने 2021 में प्रभारी रहे जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक और आयुक्त के कार्यालयों पर जवाबदेही तय की है.
ऊपर उल्लिखित एक अधिकारी ने कहा, ‘तत्कालीन कलेक्टर द्वारा लाइसेंस रद्द करने के बाद आयुक्त माल सिंह ने 2021 में पटाखों के निर्माण की अनुमति दी थी.’
रिपोर्ट में तत्कालीन उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की प्रशंसा की गई है, जिन्होंने सितंबर 2023 में कारखाने का निरीक्षण किया था, गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया था और लोगों की जान बचाने के लिए कारखाने को बंद करने का सुझाव दिया था.
निरीक्षण में पाया गया कि फैक्ट्री विस्फोटक अधिनियम 2008 का उल्लंघन कर रही है, जिसके बाद अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने इसे जिला कलेक्टर को भेज दिया.
लेकिन इसमें दर्ज है कि इन खामियों का पता चलने के बावजूद इस फैक्ट्री को बंद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. अधिकारी ने कहा, ‘रिपोर्ट में तत्कालीन कलेक्टर और एसपी द्वारा कर्तव्य में लापरवाही पाई गई है, जिन्हें विस्फोट के बाद हटा दिया गया था क्योंकि वे इतनी बड़ी मात्रा में पटाखों के अवैध निर्माण को रोकने में विफल रहे थे.’
तीन सदस्यीय जांच दल के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि श्रम विभाग के अधिकारी, जिनमें सहायक निदेशक भी शामिल है, जिन्हें विस्फोट के तुरंत बाद हटा दिया गया था, और उप निदेशक औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, दोनों अब निलंबित हैं, श्रम कानून का अनुपालन और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं.
कई सिफारिशें जारी करते हुए, समिति ने लाइसेंस जारी करने से पहले सुरक्षा पर कड़ी जांच का सुझाव दिया है, जिसमें जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ अधिकारियों को हर छह महीने में औचक निरीक्षण के लिए जिम्मेदार बनाया गया है.
गृह विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा, ‘अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग और पुलिस महानिदेशक को भेज दी गई है.’
इसी बीच, कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, ‘अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी क्योंकि भाजपा नेता ही असामाजिक तत्वों को संरक्षण दे रहे हैं. क्या राज्य सरकार हरदा के स्थानीय नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो अधिकारियों पर दबाव बनाकर आरोपियों को बचा रहे थे.’
वहीं, भाजपा प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने कहा है, ‘हम जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं, जो भी विस्फोट के लिए जिम्मेदार है उसे राज्य सरकार दंडित करेगी.’