सीएए के ज़रिये संविधान में समानता के विचार को ख़त्म किया गया है: पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया. उनकी विचारधारा एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से प्रेरित है.

पिनराई विजयन. (फोटो साभार: फेसबुक/CMOKerala)

नई दिल्ली: केरल में लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण में यानी 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. ऐसे में बढ़ते चुनावी पारे के बीच मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार (23 मार्च) को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के अमल को लेकर एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि इस कानून के जरिये संविधान में निहित समानता के विचार को खत्म किया जा रहा है.

राज्य के सबसे उत्तरी जिले कासरगोड में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित एक विशाल सीएए विरोधी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा और संरचना एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से अपनाई गई है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को नियंत्रित करने वाला आरएसएस धर्मनिरपेक्षता को मान्यता नहीं देता है.

मुख्यमंत्री विजयन ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है लेकिन आरएसएस ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया. वह भारत को एक धर्मतंत्र बनाना चाहता है और धर्मनिरपेक्षता को हटाना चाहता है. वह हममें से कुछ को दुश्मन मानता है. उसने धार्मिक अल्पसंख्यकों और वामपंथियों को आंतरिक दुश्मन घोषित कर दिया है.’

उन्होंने आरएसएस विचारक एमएस गोलवलकर द्वारा अपनी एक किताब में कहे उन शब्दों का उल्लेख किया जिनमें ईसाइयों, मुसलमानों और वामपंथियों को देश का ‘आंतरिक दुश्मन’ बताया गया था.

वामपंथी नेता ने कहा, ‘इसकी (आरएसएस की) विचारधारा किसी प्राचीन ग्रंथ या मिथक या वेद या मनुस्मृति से नहीं बल्कि हिटलर से ली गई थी. हमने हिटलर के शासन के बाद हुए नरसंहार को देखा है, जिसने पूरी मानव जाति को झकझोर कर रख दिया था. हालांकि, हिटलर के कार्यों की भारत में आरएसएस द्वारा प्रशंसा की गई थी. उन्होंने घोषणा की थी कि किसी देश के आंतरिक मुद्दों को हिटलर के जर्मनी से उदाहरण लेकर हल किया जाना चाहिए.’

मुख्यमंत्री विजयन ने आगे कहा कि आरएसएस नेता मुसोलिनी से मिले थे और फासीवादी संगठनात्मक ढांचे को अपनाया था. उन्होंने कहा कि भारत की ताकत हमेशा इसकी विविधता में एकता में निहित है.

पिनाराई विजयन के मुताबिक, ‘हम सभी अपनी मान्यताओं, भाषाओं, संस्कृतियों, खान-पान और पहनावे में भिन्न हैं. हम कई क्षेत्रों में विविध हैं और यही कारण है कि हम अपनी विविधता को इतना प्रिय मानते हैं.’

इस रैली में मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए को लेकर करोड़ों लोग परेशान और चिंतित हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कानून देश में मुसलमानों को निशाना बनाता है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे संविधान में निहित समानता के विचार को इस कानून के जरिये खत्म किया जा रहा है.’

विजयन के अनुसार, जब भारत में सीएए की घोषणा की गई थी तो दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और वैश्विक नेताओं ने भी इस कदम की आलोचना की थी.

उन्होंने कहा, ‘… क्योंकि दुनिया का कोई भी सभ्य समाज धर्म के आधार पर नागरिकता स्वीकार नहीं कर सकता. हमें याद रखना चाहिए कि जब पूरी दुनिया ने हिटलर के कार्यों का विरोध किया, तब भी वह विचलित नहीं हुआ. आरएसएस उसके नक्शेकदम पर चल रहा है.’

अपने संबोधन के दौरान विजयन ने कांग्रेस पर भी हमला किया, जो सीएए के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन से पीछे हट गई थी.

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेतृत्व पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा हाल ही में सीएए के कार्यान्वयन के नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद भी कांग्रेस पूरी तरह से चुप है.

बता दें कि वाम दल राज्य में पांच स्थानों पर बड़े पैमाने पर सीएए विरोधी रैलियां आयोजित कर रहा है. पहली रैली शुक्रवार को कोझिकोड में हुई थी. वहीं, आने वाले दिनों में कन्नूर, मलप्पुरम और कोल्लम में तीन और रैलियां आयोजित की जाएंगी.

गौरतलब है कि सीएए दिसंबर 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इस कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए और कई विपक्षी दलों ने इसे ‘भेदभावपूर्ण’ बताया था.

यह अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुसलमानों को छोड़कर बाकी सभी धर्मों के अवैध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.