दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ईडी की हिरासत के बीच अमेरिका ने कहा कि वह उनके मामले की ‘निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया’ को प्रोत्साहित करता है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, सोमवार (25 मार्च) को एक ईमेल के जवाब में विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं.’ अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इससे एक दिन पहले जर्मनी ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ‘निष्पक्ष’ सुनवाई का आग्रह किया था, जिस पर भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी और उसने जर्मनी के राजनयिक को तलब किया था. 22 मार्च को जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेबेस्टियन फिशर ने कहा था कि जर्मन फेडरल सरकार ने इस मामले पर ध्यान दिया है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानक इस मामले में भी लागू होंगे. फिशर ने कहा कि केजरीवाल ‘निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं, जिसमें बिना किसी प्रतिबंध के सभी मौजूदा कानूनी उपायों का उपयोग करने का अधिकार शामिल है.’
लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच गठबंधन नहीं हुआ है. द वायर के लिए विवेक गुप्ता की रिपोर्ट बताती है कि अकाली दल अकेले ही चुनाव में उतरेगा. गठबंधन न होने की वजह किसानों का हालिया विरोध प्रदर्शन और बंदी बनाए गए सिखों की रिहाई में केंद्र के हस्तक्षेप की कमी बताए जा रहे हैं. उधर, पंजाब भाजपा के प्रमुख सुनील जाखड़ ने मंगलवार को ही घोषणा की है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने हालिया घटनाक्रम पर कहा कि ‘हम केवल वोटों के लिए राजनीति में शामिल नहीं होते हैं. दिल्ली की पार्टियां वोट की राजनीति करती हैं, लेकिन हमारे लिए पंजाब पहले है.’
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने, छठी अनुसूची में शामिल करने और नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए दबाव बनाने के लिए अनशन पर बैठे एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की उनकी भूख हड़ताल को मंगलवार को 21 दिन पूरे हो गए. एनडीटीवी के अनुसार, सोनम ने सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में सोनम ने केंद्र सरकार से राजनीतिज्ञता दिखाने और केंद्रशासित प्रदेश के लोगों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है. ख़बरों के मुताबिक, इसी दिन अभिनेता प्रकाश राज उनसे मिलने पहुंचे थे. सत्तारूढ़ भाजपा के मुखर आलोचक माने जाने वाले राज ने वांगचुक को अपना समर्थन देते हुए कहा कि जब सरकारें अपने वादे पूरे नहीं करती हैं, तो लोगों के पास एकजुट होने और अपने संवैधानिक अधिकार के अनुसार अपनी आवाज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें जमानत की शर्त के तहत लोगों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से नहीं रोक सकतीं. द हिंदू के अनुसार, कोर्ट ने यह फैसला देते एक व्यक्ति पर उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त कि वह किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा, को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने हाईकोर्ट के 18 जनवरी के आदेश के खिलाफ बरहामपुर नगर निगम के पूर्व मेयर सिबा शंकर दास द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया. हाईकोर्ट ने जमानत की शर्त को वापस लेने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी जिसमें कहा गया था कि वह ‘सार्वजनिक रूप से कोई अप्रिय स्थिति पैदा नहीं करेंगे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है.
लोकसभा चुनाव से पहले नोएडा के फ्लैटों का मालिकाना हक पाने के लिए नोएडा के निवासियों ने ‘नो रजिस्ट्री, नो वोट’ अभियान शुरू किया है. एनडीटीवी के अनुसार, नोएडा और आसपास के ग्रेटर नोएडा में हजारों निवासियों ने घोषणा की है कि जब तक स्थानीय प्राधिकरण उनकी मेहनत की कमाई से खरीदे गए फ्लैटों की रजिस्ट्री सुनिश्चित नहीं करता, तब तक वे वोट नहीं डालेंगे. कई अपार्टमेंट परिसरों के गेट और दीवारों पर ‘रजिस्ट्री नहीं, वोट नहीं’ लिखे पोस्टर लगे हैं. कुछ पोस्टरों में स्थानीय भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा का भी जिक्र है, जो इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. जिन आवासीय परिसरों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है उनमें नोएडा के सेक्टर 46 में गार्डेनिया ग्लोरी, सेक्टर 75 में फ्यूटेक गेटवे और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में हिमालयन प्राइड, निराला ग्रीन्स और निराला ग्लोबल शामिल हैं.