नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में महज़ तीन सप्ताह का समय बाकी है. जहां सभी राजनीतिक दल सियासी तैयारियों में जुटे हैं, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस आयकर विभाग (आईटी) की एक और ‘बेहिसाब लेनदेन’ वाले कुल 523.87 करोड़ रुपये की कार्रवाई का सामना कर सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये लेनदेन 2014 से 2021 के बीच किए गए हैं.
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग जल्द ही पार्टी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जो 2019 लोकसभा चुनाव से पहले किए गए छापों में 523.87 करोड़ रुपये के ‘बेहिसाब लेनदेन’ से जुड़ी है. इससे पहले हाल ही में आयकर विभाग ने पार्टी के पिछले बकाया का हवाला देते हुए कांग्रेस के बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की वसूली की थी.
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील वीके तन्खा ने इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को आशंका है कि 523.87 करोड़ में भारी जुर्माना और ब्याज जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले 135 करोड़ की राशि वसूल कर पार्टी को पंगु बनाया जा रहा है.
तन्खा ने आगे कहा, ‘अगली कार्रवाई से हमें इससे भी बड़ा झटका लगने की उम्मीद है, जिससे स्थिति और बिगड़ेगी, लेकिन अब हमें पंगु बनाने के लिए बचा क्या है?’
ज्ञात हो कि मार्च में ही कांग्रेस पार्टी आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के समक्ष अपनी अपील हार गई थी, जिसमें उसने अपने बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की निकासी पर रोक लगाने की मांग की थी. आईटीएटी के बाद 22 मार्च को पार्टी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, जहां कांग्रेस ने आयकर विभाग की तलाशी को चुनौती दी थी.
पार्टी ने तर्क दिया था कि यह कार्रवाई बहुत देर से की गई है. लेकिन कोर्ट कांग्रेस की इस बात से सहमत नहीं हुआ और पार्टी को यहां भी निराशा ही हाथ लगी.
इससे पहले 24 मई 2019 की रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने इसी कर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की थी. 7 अप्रैल 2019 को आयकर विभाग ने 52 जगहों पर एक साथ छापेमारी की थी. जिसके बाद साल 2023 में आईटी ने कथित भुगतान के लिए कांग्रेस पार्टी को एक ‘सैटिस्फैक्शन नोट’ भेजा था, इसमें 2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए प्राप्त धन राशि का पता लगाया गया था.
बता दें कि ‘सैटिस्फैक्शन नोट’ जांच किए गए व्यक्ति के मूल्यांकन अधिकारी (एओ) द्वारा तैयार किया जाता है, जिसे बाद में करदाता के एओ को सौंप दिया जाता है, जो इस मामले में कांग्रेस पार्टी थी. पार्टी के वकीलों ने तब तर्क दिया था कि आयकर विभाग ने इस प्रक्रिया में काफी समय लगा दिया. उच्च न्यायालय ने आखिर में पाया कि पार्टी ने मूल्यांकन पूरा होने यानी 31 मार्च से ‘केवल कुछ दिन’ पहले ही अदालत आने का विकल्प चुना.
इस संबंध में 22 मार्च के अपने आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने छापे के दौरान एकत्र किए गए सबूतों को सूचीबद्ध किया था. इससे यह पता चलता है कि मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के कर्मचारियों की तलाशी से कांग्रेस पार्टी को भुगतान के सबूत भी मिले.
हाल ही में चुनावी बॉन्ड पर जारी आंकड़ों में मेघा समूह राजनीतिक दलों को चंदा देने वाला दूसरा सबसे बड़ा नाम बनकर उभरा था. इसके ग्रुप कंपनी ने अक्टूबर-नवंबर 2023 के दौरान कांग्रेस को 110 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.
अदालत की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस के वकीलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए ऑडिटेड खर्च 860 करोड़ रुपये था.
तन्खा, जिन्होंने आईटीएटी मामले पर बहस की थी और दिल्ली उच्च न्यायालय में भी पेश हुए थे, मानते हैं कि पार्टी 2024 के चुनावों के लिए इस तरह के खर्च की कल्पना नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा, ‘समान अवसर कहां है? कौन जानता है कि 2019 की छापेमारी और तलाशी की मांग कितने सौ करोड़ रुपये होगी?’
इस बीच, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि कांग्रेस पार्टी गंभीर रूप से नकदी संकट में है. तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के आवास से जुटाए गए सबूतों की सूची में उनका भी नाम है. एमईआईएल समूह के एक कर्मचारी से जब्त की गई डायरी के अनुसार उन्हें (कई अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ) 90 लाख रुपये का कथित भुगतान किया गया. यह दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में बेहिसाब लेनदेन के ‘पर्याप्त और ठोस सबूत’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
दिग्विजय सिंह का यह भी कहना है कि 2019 के मामले में अब लोकसभा चुनाव से महज कुछ हफ्ते पहले कार्रवाई प्रतिशोध की राजनीति है. उन्होंने बताया कि पार्टी को आईटी विभाग ने 1994-95 के लिए भी 14 लाख रुपये के उल्लंघन का नोटिस दिया है.
सिंह के मुताबिक, यह बदले की कार्रवाई है. जिसका मकसद प्रमुख विपक्षी दल के चुनाव अभियान को ख़त्म करना है. मौजूदा समय में तथ्य यह है कि कांग्रेस के पास विज्ञापन जारी करने या लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को पैसे देने या नेताओं के लिए यात्रा योजना बनाने के लिए भी पैसे नहीं है.