सीएए के तहत नागरिकता के लिए स्थानीय पुजारी के पात्रता सर्टिफिकेट जारी कर सकने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत किसी व्यक्ति को स्थानीय पुजारी से उसकी धार्मिक पहचान को मान्य करने के लिए पात्रता प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है. द हिंदू ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की सीएए हेल्पलाइन का इस्तेमाल करने के बाद यह जानकारी दी है. 21 मार्च को सीएए पर ‘सहायता और जानकारी के लिए’ 1032 को हेल्पलाइन नंबर घोषित किया गया था, जिस पर देशभर से आवेदक सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक निशुल्क कॉल कर इस अधिनियम के बारे में जानकारी ले सकते हैं. 2019 में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के बीच पारित हुए इस अधिनियम के लिए नियम बीते दिनों जारी हुए हैं. नागरिकता पाने के लिए आवेदक को एक शपथ पत्र के साथ एक पात्रता प्रमाण पत्र देना होता है, साथ ही अन्य दस्तावेज़ों के साथ नागरिकता चाहने की वजह बतानी होती है. है, जिसके कारण वह नागरिकता और अन्य दस्तावेज चाहती है अख़बार ने बताया कि इसके कॉल करने पर कॉल लेने वाले व्यक्ति ने पात्रता प्रमाण पत्र के बारे में कहा कि यह कोरे कागज़ या 10 रुपये के स्टांप पेपर पर दिया जा सकता है, इसे कौन जारी कर सकता है, यह पूछे जाने पर बताया गया कि ‘किसी भी स्थानीय पुजारी को इसे जारी करने के लिए कहा जा सकता है.’ हालांकि, केंद्र सरकार ने यह निर्दिष्ट नहीं किया है कि कौन-सा प्राधिकरण या निकाय यह प्रमाणपत्र जारी कर सकता है. अखबार ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि कोई भी संस्थान, जिस पर लोगों का भरोसा हो, यह प्रमाणपत्र जारी कर सकता है. नागरिकता पर अंतिम निर्णय एक अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा, जिसे स्थानीय संस्था यह सिफारिश कर सकती है कि कोई व्यक्ति किसी धर्म विशेष का है.

गुजरात की एक अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वकील को फंसाने के लिए मादक पदार्थ रखने संबंधी मामले में 20 साल क़ैद की सजा सुनाई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बनासकांठा जिले की एक विशेष एनडीपीएस अदालत ने गुरुवार को 1996 के कथित ड्रग प्लांटिंग मामले में सजा सुनाते हुए भट्ट को एनडीपीएस की धारा 21 (सी), 27 ए (अवैध तस्करी की फंडिंग और अपराधियों को शरण देने के लिए सजा) के तहत 20 साल की कैद की सजा सुनाई और प्रत्येक के तहत 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. किसी आपराधिक मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी की यह दूसरी सजा है. 2019 में भट्ट को 1990 के जामनगर में कथित हिरासत में मौत के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. जनवरी में गुजरात हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ भट्ट की अपील को खारिज करते हुए मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा था. वर्तमान मामला उस समय का है, जब भट्ट बनासकांठा के एसपी थे और 1996 में जिला पुलिस ने राजस्थान के पाली निवासी वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को पालनपुर के एक होटल में 1.15 किलोग्राम अफीम रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

देशभर के 600 से अधिक वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर ‘न्यायपालिका की अखंडता’ पर खतरे के बारे में चिंता जताई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार,  वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा सहित पूरे भारत से 600 से अधिक वकीलों ने न्यायिक प्रक्रियाओं में हेरफेर करने, अदालती फैसलों को प्रभावित करने और निराधार आरोपों और राजनीतिक एजेंडा के साथ न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास करने वाले ‘निहित स्वार्थ वाले समूह’ की निंदा की है. पत्र में उल्लिखित खतरनाक तरीकों में एक कथित तौर पर झूठे  नैरेटिव तैयार करना है. वकीलों ने दावा किया कि इस तरह के नैरेटिव का उद्देश्य न्यायिक फैसलों को प्रभावित करना और न्यायपालिका में जनता के भरोसे को कम करना है. पत्र में ‘बेंच फिक्सिंग के मनगढ़ंत सिद्धांत’ के बारे में चिंता जताई गई है. वकीलों ने इन कार्रवाइयों को न केवल अपमानजनक बल्कि कानून के शासन और न्याय के सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाने वाला भी बताया. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पत्र को साझा करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्विटर (अब एक्स) पर लिखा है, ‘दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है. पांच दशक पहले ही उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था – वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं.’

गृह मंत्रालय नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा) को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. आफस्पा सशस्त्र बलों और ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून के उल्लंघन में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तारी और बिना वॉरंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने की बेलगाम शक्ति देता है. इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही अधिसूचना जारी कर सकती हैं. द हिंदू के मुताबिक, ताज़ा अधिसूचना के अनुसार, नगालैंड के पूरे आठ जिलों और पांच अन्य जिलों के 21 थानाक्षेत्रों में अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.आखिरी बार इन क्षेत्रों में आफस्पा 26 सितंबर, 2023 को बढ़ाया गया था. एक अन्य अधिसूचना में मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों और असम सीमा के साथ राज्य के नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखम थाना क्षेत्रों में आफस्पा को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया है.

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के महज़ एक घंटे बाद शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार को अमोल कीर्तिकर को ईडी ने नोटिस जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय एजेंसी ने कीर्तिकर को ‘खिचड़ी’ घोटाले के संबंध में मुंबई में अपने बैलार्ड एस्टेट कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा है. कीर्तिकर शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर के बेटे हैं. हालांकि, गजानन सत्तारूढ़ शिव सेना के एकनाथ शिंदे खेमे में हैं. इस मामले में बृहन्मुंबई महानगर पालिका द्वारा उन पर कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के दौरान बेघर रह गए प्रवासी श्रमिकों को भोजन के रूप में खिचड़ी वितरण में 1 करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप लगाया गया है. तब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे और गठबंधन महाविकास अघाड़ी सरकार चला रहे थेपूर्व भाजपा सांसद किरीट सोमैया की शिकायत के बाद यह जांच शुरू की गई थी. मामले की जांच राज्य की आर्थिक अपराध शाखा और ईडी दोनों कर रही हैं. इस संबंध में ठाकरे की शिवसेना के अन्य नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया है, जिसमें ठाकरे के बेटे आदित्य के करीबी सहयोगी सूरज चह्वाण भी शामिल हैं.