12 सालों से भाजपा का सहयोगी रहने के बावजूद पार्टी की उपेक्षा की जा रही है: रामदास अठावले

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने उनके दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) की उपेक्षा की बात कहते हुए जोड़ा कि उन्होंने गठबंधन छोड़ने का फैसला नहीं किया है, लेकिन अगर आगामी चुनावों के लिए कम से कम एक सीट की उनकी मांग अगले तीन दिनों में पूरी नहीं हुई तो वे अलग रुख़ अपना सकते हैं.

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले. (फोटो साभार: X/@RamdasAthawale)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने गुरुवार को कहा कि सहयोगी भाजपा को उनकी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) को चुनाव लड़ने के लिए कम से कम दो लोकसभा सीटें देनी चाहिए. भाजपा के सहयोगी दल का कहना है कि महाराष्ट्र सीट-बंटवारे की बातचीत में उनकी पार्टी की उपेक्षा की जा रही है.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अठावले ने कहा कि उन्होंने फरवरी में महाराष्ट्र में शिरडी और सोलापुर सीटें मांगी थीं. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन, दुर्भाग्य से सीट बंटवारे की प्रक्रिया में आरपीआई (ए) का नाम कहीं नहीं दिख रहा है. नए सहयोगियों को तरजीह दी जा रही है, जबकि मेरी पार्टी, जो 12 साल से भाजपा की सहयोगी रही है, को नजरअंदाज किया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘2012 के बीएमसी चुनावों में आरपीआई द्वारा भाजपा-शिवसेना को समर्थन देने के बाद महायुति (सत्तारूढ़ गठबंधन) का गठन किया गया था. महायुति का गठन नहीं हुआ क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार इसमें शामिल हो गए. आरपीआई कार्यकर्ताओं के बीच एक शिकायत है कि पार्टी को सम्मान नहीं मिल रहा है. उन्होंने इसे आज यहां की बैठक में व्यक्त किया.’

अठावले ने कहा कि अगर आरपीआई (ए) को दो सीटें नहीं दी जाती हैं, तो इस पर विचार-विमर्श होना चाहिए कि वे (भाजपा) और क्या पेशकश करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को आगे व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलेंगे.

अठावले ने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि आरपीआई को केंद्र में एक कैबिनेट रैंक का पद मिलना चाहिए. राज्य में उन्हें हमें एक कैबिनेट पद, कुछ महासंघों में अध्यक्ष पद और अन्य पद देने चाहिए. हम कम से कम एक एमएलसी पद और राज्य चुनाव में कम से कम 10 सीटों की मांग करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘आरपीआई दृढ़ता से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है. हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि आरपीआई का अपमान किया जा रहा है और मुझे उचित निर्णय लेने के लिए कहा गया है. आरपीआई को विश्वास में नहीं लिया गया है, पार्टी को किसी भी बैठक के लिए नहीं बुलाया जा रहा है और सीट बंटवारे को लेकर पार्टी के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है.’

उन्होंने दावा किया कि भाजपा को शिरडी लोकसभा पर निर्णय लेना चाहिए क्योंकि आरपीआई इसे जीत सकती है.

साथ ही उन्होंने कहा कि गठबंधन के पोस्टरों पर देवेंद्र फड़णवीस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राकांपा के अजीत पवार के साथ उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अठावले ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के बारे में कोई भी निर्णय लेते समय पार्टी नेताओं को ध्यान में नहीं रखा जाता है. हालांकि हमने गठबंधन छोड़ने का फैसला नहीं किया है, लेकिन अगर आगामी चुनावों के लिए कम से कम एक सीट की हमारी मांग अगले तीन दिनों में पूरी नहीं हुई तो हम अलग रुख अपना सकते हैं.’

अठावले ने यह भी दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन गठबंधन का सदस्य होने के बावजूद किसी भी सरकारी कार्यक्रम में उनकी तस्वीर नहीं लगाई जाती है.

अठावले ने महायुति में एमएनएस के प्रवेश पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘एमएनएस को कैसे शामिल किया जा सकता है? यहां तक कि हमें सीट पाने में भी मुश्किल हो रही है.’

भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े के एनडीए द्वारा संविधान बदलने के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘कानून में बदलाव का मतलब संविधान को बदलना नहीं है. यदि सत्तारूढ़ दलों द्वारा ऐसा कोई प्रयास किया जा रहा है तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा.’