नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिए जाने से तीन दिन पहले वित्त मंत्रालय ने एसपीएमसीआईएल (सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा 1 करोड़ रुपये के 10,000 चुनावी बॉन्ड की छपाई के लिए अंतिम मंजूरी दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक पखवाड़े बाद 28 फरवरी को वित्त मंत्रालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को बॉन्ड छपाई पर ‘तुरंत रोक लगाने’ के लिए कहा था.
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अखबार द्वारा प्राप्त वित्त मंत्रालय और एसबीआई के बीच आदान-प्रदान किए गए पत्राचार और ईमेल की फाइल नोटिंग से यह खुलासा हुआ है.
इन रिकॉर्ड्स से यह भी पता चलता है कि एसपीएमसीआईएल ने पहले ही 8,350 बॉन्ड छापकर एसबीआई को भेज दिए थे.
योजना की शुरुआत के बाद से कुल मिलाकर 22,217 चुनावी बॉन्ड भुनाए गए. भाजपा ने 8,451 करोड़ रुपये; कांग्रेस 1,950 करोड़ रुपये; तृणमूल कांग्रेस 1,707.81 करोड़ रुपये और बीआरएस 1,407.30 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए.
छपाई रोकने के निर्देश 28 फरवरी को एसबीआई से एसपीएमसीआईएल को ‘चुनावी बॉन्ड की छपाई पर रोक – चुनावी बॉन्ड योजना 2018’ शीर्षक से मेल की एक श्रृंखला में भेजे गए थे.
एसबीआई के लेनदेन बैंकिंग विभाग के सहायक महाप्रबंधक ने लिखा था: ‘हमने 23.02.2024 के ईमेल में कुल 8,350 चुनावी बॉन्ड के सुरक्षा फॉर्म के 4 बक्सों (बॉक्स) की प्राप्ति की है… माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में हम आपसे शेष 1,650 चुनावी बॉन्ड की छपाई पर रोक लगाने का अनुरोध करते हैं, जिसके लिए बजट डिवीजन पत्र दिनांक 12.01.2024 के माध्यम से मंजूरी दी गई थी.’
रिकॉर्ड में मौजूद 27 फरवरी के एक ईमेल में कहा गया कि 400 पुस्तिकाओं और 10,000 चुनावी बॉन्ड की छपाई का ऑर्डर और एसपीएमसीआईएल को ऑर्डर देने के लिए ‘भारत सरकार’ की मंजूरी 12 फरवरी को दी गई थी.
उसी दिन वित्त मंत्रालय के बजट अनुभाग से एसबीआई और मंत्रालय के अन्य लोगों को एक और मेल भेजा गया, जिसमें कहा गया कि ‘भारतीय स्टेट बैंक से अनुरोध है कि कृपया शेष 1,650 चुनावी बॉन्डों की छपाई पर रोक लगाने के लिए एसपीएमसीआईएल को तुरंत सूचित करें, जिसके लिए मंजूरी दी गई थी.’