आम चुनाव: आबकारी नीति केस में केजरीवाल के ख़िलाफ़ गवाही देने वाले शख़्स के पिता को एनडीए से टिकट

आंध्र प्रदेश में भाजपा की प्रमुख सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी ने ओंगोल लोकसभा सीट पर मगुंटा श्रीनिवासुलु को उतारा है. बीते दिनों मगुंटा के बेटे राघव मगुंटा के बयान के चलते ही आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी हुई है.

मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी फोटो साभार - एक्स @MAGUNTA_MSR

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रमुख सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपी से सरकारी गवाह बने राघव मगुंटा रेड्डी के पिता मगुंटा श्रीनिवासुलु को शुक्रवार (29 मार्च) को लोकसभा का टिकट दिया है.

गौरतलब है कि राघव मगुंटा के कारण ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों 28 फरवरी को वाईएसआर कांग्रेस छोड़ टीडीपी में शामिल हुए थे और तब से पिता-पुत्र चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं.

मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ओंगोल से चार बार के सांसद रहे हैं और खबरों की मानें, तो वह इस बार अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे थे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी का ये फैसले कथित आबकारी नीति घोटाले के मामले को ध्यान में रखते हुए आया है.

ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ 13 मई को होने हैं. ऐसे में आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) जिसमें टीडीपी, जन सेना पार्टी और भाजपा शामिल हैं, ने अब तक चार निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है.

बता दें कि मगुंटा श्रीनिवासुलु को ओंगोल से टिकट मिला है, वहीं विजयनगरम से टीडीपी के कालीसेटी अप्पलानायडू को मैदान में हैं. अनंतपुर से अंबिका लक्ष्मीनारायण और कडप्पा से सी भूपेश रेड्डी अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.

गुरुवार (28 मार्च) को दिल्ली की एक अदालत में जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी बात रखी तो उसमें इस पिता-पुत्र की जोड़ी का जिक्र सुनाई दिया था. अदालत में सीएम केजरीवाल ने कहा था कि फरवरी, 2023 में बेटे की गिरफ्तारी के बाद श्रीनिवासुलु ने दबाव में उनके खिलाफ बयान दिया था. इस मामले में राघव को अक्टूबर, 2023 में ज़मानत दे दी गई और वे सरकारी गवाह बन गए.

टीडीपी के लिए ओंगोल में मगुंटा परिवार का प्रभाव उस क्षेत्र में पैठ जमाने का मौका देता है. मगुंटा परिवार अपनी राजनीतिक विरासत के अलावा बालाजी डिस्टिलरीज और दो अन्य कंपनियों का मालिक भी है और सात दशकों से अधिक समय से शराब के कारोबार में है.

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