कांग्रेस को आयकर विभाग से नए नोटिस मिले, अब तक कुल 3,567 करोड़ रुपये टैक्स की मांग

आयकर विभाग द्वारा शुक्रवार शाम को जारी दो नए नोटिस में कांग्रेस से वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लिए 1,745 करोड़ रुपये की मांग की गई है. यह नोटिस कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार पर 'टैक्स टेररिज़्म' का आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद भेजे गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Indian National Congress)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को आयकर विभाग से दो और नोटिस मिले हैं. पार्टी ने शनिवार (30 मार्च) को बताया कि उसे मूल्यांकन वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लिए आयकर विभाग से नए नोटिस मिले हैं. इनमें 1,745 करोड़ रुपये की मांग की गई है. बता दें कि मूल्यांकन वर्ष 1994-95 और 2017-18 से 2020-21 के नोटिस को मिलाकर आयकर विभाग ने कांग्रेस से अब तक कुल 3,567 करोड़ रुपये की मांग की है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मुख्य विपक्षी दल के सूत्रों ने बताया कि ताजा नोटिस शुक्रवार (29 मार्च) की शाम को प्राप्त हुए. गौरतलब है कि इससे कुछ घंटों पहले ही पार्टी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले उसे ‘आर्थिक रूप से कमजोर’ करने के लिए ‘कर आतंकवाद (टैक्स टेररिज़्म)‘ में शामिल होने का आरोप लगाया था.

ज्ञात हो कि शुक्रवार को कांग्रेस ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उसे आयकर विभाग से पांच सालों (वर्ष 1994-95 और वर्ष 2017-18 से 2020-21) के लिए नोटिस मिले हैं, जिनमें 1,823 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है.

बता दें कि नोटिस मिलने की यह श्रृंखला 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले आईटी विभाग की छापेमारी के अनुसरण में है, जहां विभाग ने 523.87 करोड़ रुपये के ‘बेहिसाब लेनदेन’ का पता लगाने का दावा किया था.

मार्च में कांग्रेस आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के समक्ष अपनी वह अपील हार गई थी, जिसमें उसने अपने बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की निकासी पर रोक लगाने की मांग की थी. 22 मार्च को यह दिल्ली हाईकोर्ट में आयकर विभाग की छापेमारी को चुनौती देने वाली याचिका भी हार गई थी. पार्टी ने तर्क दिया था कि ये ‘विलंबित कार्रवाई’ हैं.

पार्टी के कर मुकदमे संभालने वाले राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि सहारा मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के एक पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री समेत भाजपा के कई अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों की तलाशी के दौरान बरामद तीसरे पक्ष की एक्सेल शीट या प्रविष्टियों की स्वीकार्यता अमान्य साक्ष्य बताकर खारिज कर दिया था.

तन्खा ने आगे कहा, ‘लेकिन वर्तमान मामले में, कांग्रेस के आईटी रिटर्न वापस खोलते या पुनर्मूल्यांकित करते समय ऐसी सभी संदिग्ध और अजीब प्रविष्टियों को अखंड सत्य के रूप में स्वीकार किया गया है. वास्तव में, यह न्याय का उपहास है. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत राजस्व विभाग द्वारा अधिकार और शक्ति का दुरुपयोग भी है. यह चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाने का मामला है. विपक्षी दलों के लिए समान अवसर कहां है?’

तन्खा ने इसे वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाला कदम बताया.

ज्ञात हो कि इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में विवेक तन्खा ने कहा था कि पिछले तीन दिनों में 3,567.3 करोड़ रुपये की भारी कर मांग हाल ही में कांग्रेस के बैंक खातों से वसूले गए 135 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है.

उन्होंने लिखा, ‘भाजपा को ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के मिशन को पूरा करने के लिए राजस्व विभाग के चुनिंदा अधिकारियों को धन्यवाद और सम्मानित करना चाहिए. लेकिन उन्होंने भारत के लोगों की बुद्धिमत्ता और गंभीरता को गलत आंका है. भारतीय मतदाताओं ने कभी भी तानाशह व्यवहार का समर्थन नहीं किया है. विपक्षी दलों के बिना कोई भी लोकतंत्र संभव नहीं है.

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