नई दिल्ली: विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार (31 मार्च) को आयोजित ‘लोकतंत्र बचाओ महारैली’ में आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष ने पांचें मांगें रखी हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, गठबंधन ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में सभी दलों को समान अवसर मिलें, ऐसा सुनिश्चित करे.
गठबंधन ने जोर देकर कहा कि भाजपा द्वारा ‘अलोकतांत्रिक बाधाएं’ पैदा करने के बावजूद गठबंधन लड़ने, जीतने और देश का लोकतंत्र बचाने के लिए प्रतिबद्ध है.
विपक्ष की ओर से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ये मांगें पढ़ीं.
गठबंधन की पांच मांगें इस प्रकार हैं- चुनाव आयोग को लोकसभा चुनावों में (सभी दलों के लिए) समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए; चुनाव आयोग को चुनाव में हेरफेर करने के इरादे से विपक्ष के खिलाफ आयकर, सीबीआई और ईडी की बलपूर्वक कार्रवाई रोकनी चाहिए; हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को तुरंत रिहा किया जाए; विपक्षी दलों का आर्थिक रूप से गला घोंटने के प्रयास रोके जाएं; और चुनावी बॉन्ड के जरिये भाजपा द्वारा धन की उगाही और विपक्षी दलों तथा नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से लगाए गए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस तथ्य के बावजूद भी रैली में हजारों लोग शामिल हुए कि दिल्ली पुलिस ने रैली के मुख्य आयोजक आम आदमी पार्टी (आप) को आयोजन की केवल सशर्त अनुमति दी थी. दिल्ली पुलिस ने एक जुलूस को रोक दिया और ट्रैक्टर तथा ट्रॉली के किसी भी उपयोग की अनुमति नहीं दी.
रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह और उनके शासन को तानाशाही बताने वाले नारे लगाए गए. आमने-सामने की बातचीत में भी, रैली में भाग लेने वालों ने कहा कि मोदी एक तानाशाह हैं और लड़ाई केवल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने की नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र को बचाने की एक बड़ी लड़ाई है.
रैली में शामिल प्रतिभागियों और नेताओं ने बताया कि कैसे एक गठबंधन सरकार, न कि एक दल का शासन, भारत और उसके लोकतंत्र को मजबूत करेगी.
सर्दियों में पटना में हुए शक्ति प्रदर्शन के बाद यह इंडिया गठबंधन की पहली महत्वपूर्ण रैली है. गठबंधन के कई नेता 17 मार्च को एक सार्वजनिक बैठक के लिए मुंबई में एकत्र जरूर हुए थे, लेकिन वह बैठक राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समाप्ति के प्रतीक के तौर पर अधिक थी. गठबंधन के घटक दलों के दो मुख्यमंत्रियों, हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल, की गिरफ्तारी के बाद यह पहली ऐसी सभा है.
इंडिया गठबंधन के सभी नेता रैली में मौजूद थे, जबकि केजरीवाल और सोरेन के लिए मंच की पहली पंक्ति में दो कुर्सियां प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए खाली छोड़ी गई थीं. इस दौरान केजरीवाल, सोरेन और आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह तथा सत्येंद्र जैन की पत्नियां भी मौजूद रहीं.
अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने अरविंद का एक संदेश भी पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि वह ‘एक ऐसे भारत का सपना देखते रहेंगे जो सभी अमीर-गरीब को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर सके.’
रैली में शामिल होने वाले नेताओं में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, फारूक अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, डी. राजा, सीताराम येचुरी, उद्धव ठाकरे, डेरेक ओ’ब्रायन, महबूबा मुफ्ती, तिरुचि शिवा, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे और थोल थिरुमावलन रहे.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर ‘लोकसभा चुनाव का मैच फिक्स’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मोदी कुछ अरबपतियों की मदद से लोकसभा चुनाव का मैच फिक्स कर रहे हैं. मैच शुरू होने से पहले ही दो खिलाड़ियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह वोट का चुनाव नहीं है बल्कि संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज करने का हवाला देते हुए कहा, ‘अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से वोट नहीं देंगे तो मैच फिक्सर जीत जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते कि विपक्ष चुनाव लड़े… उन्होंने चुनाव से पहले क्यों खाते फ्रीज किए? ऐसा चुनाव से छह महीने बाद या छह महीने पहले भी किया जा सकता था.’
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि सत्तारूढ़ दल को घोषणा करनी चाहिए कि तीनों एजेंसियां उनकी सहयोगी हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हम यहां चुनावी अभियान के लिए नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र बचाने के लिए हैं. देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने देशवासियों से भाजपा को सत्ता से बाहर करने की अपील की.
ठाकरे ने भाजपा को सबसे भ्रष्टाचारी राजनीतिक दल बताते हुए इसे ‘भ्रष्ट जनता पार्टी‘ नाम दिया.