नई दिल्ली : राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने लोकसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले पर पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक शाहिद सिद्दीकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए कहा, ‘आज, जब भारत का संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है, तो खामोश रहना पाप है. मैं जयंत जी का आभारी हूं लेकिन भारी मन से मैं रालोद से दूरी बनाने को मजबूर हूं.’
कल मैं ने राष्ट्रीय लोक दल की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की पोस्ट से अपना तियागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयंत सिंह जी को भेज दिया है । आज जब भारत के संविधान और लोकतांत्रिक ढाँचा ख़तरे मैं है ख़ामोश रहना पाप है । मैं जयंत जी का आभारी हूँ पर भारी मन से रालोद से दूरी बनाने…
— shahid siddiqui (@shahid_siddiqui) April 1, 2024
सिद्दीकी ने अपने इस्तीफे में जयंत चौधरी के साथ अपने लंबे समय से जुड़ाव का जिक्र भी किया है. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति रालोद प्रमुख की प्रतिबद्धता के लिए उनकी प्रशंसा भी की. हालांकि, उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन करने के पार्टी के फैसले के साथ सामंजस्य बैठाने में खुद की असमर्थता व्यक्त की. उन्होंने इसे एक ऐसा कदम बताया, जो उनके स्वयं के विश्वासों के साथ मेल नहीं खाता .
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘अब रालोद के एनडीए का हिस्सा बनने से मैं मुश्किल में पड़ गया हूं और विकट स्थिति में हूं. मैंने अपने दिल और दिमाग से लंबे समय तक संघर्ष किया, लेकिन खुद को भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से जुड़ने में असमर्थ पाता हूं.’
सिद्दीकी आगे कहते हैं, ‘मैं आपकी राजनीतिक मजबूरियों से अवगत हूं और आपको अन्यथा सलाह देने की स्थिति में नहीं हूं. लेकिन अपनी बात करूं तो मैं चल रहे इस अभियान से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हूं, साथ ही रालोद से भी.’
गौरतलब है कि रालोद हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हुई थी और पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी की है. हालांकि 2014 का आम चुनाव पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ा था. वहीं रालोद ने 2019 में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया था.