कच्चाथीवू मुद्दा उठाना प्रधानमंत्री की हताशा को दर्शाता है: कांग्रेस प्रमुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया था, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने पूछा कि मोदी ने अपने 10 साल के शासन के दौरान इसे वापस पाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए.

मल्लिकार्जुन खरगे. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया था, रविवार को भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से जुबानी जंग छिड़ गई.

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने पूछा कि मोदी ने अपने 10 साल के शासन के दौरान इसे वापस पाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए और आरोप लगाया कि चुनाव से पहले ‘संवेदनशील’ मुद्दा उठाना उनकी हताशा को दर्शाता है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने सरकार पर पलटवार किया और पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्षेत्र में चीन की घुसपैठ और उनके नेतृत्व में नेपाल, भूटान और मालदीव जैसे मित्रवत पड़ोसियों की बढ़ती उग्रता पर पीएम नरेंद्र मोदी से सवाल किया.

रविवार की सुबह प्रधानमंत्री ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट को साझा करके राष्ट्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कांग्रेस पर हमला किया, जिसमें सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से प्राप्त विवरण का खुलासा हुआ कि किन परिस्थितियों में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने 1974 में इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था.

आरटीआई आवेदन तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा दायर की गई थी, जो कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

जैसे ही कई भाजपा नेताओं और समर्थकों ने मोदी द्वारा साझा की गई खबर को आगे बढ़ाया, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर एक बयान पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि भारत और कांग्रेस का इतिहास है कि राष्ट्र की अखंडता के लिए महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं ने अपने प्राणों की आहुति दी.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी आपने गलवान घाटी में 20 बहादुरों के सर्वोच्च बलिदान देने के बाद चीन को क्लीन चिट दे दी.’

कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘आप अपने कुशासन के 10वें वर्ष में क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अचानक जाग गए हैं. शायद, चुनाव ही इसका निशाना है. आपकी हताशा स्पष्ट है.’

खरगे ने कहा कि कच्चाथीवू द्वीप 1974 में एक मैत्रीपूर्ण समझौते के तहत श्रीलंका को दिया गया था और उन्होंने मोदी सरकार को याद दिलाया कि उसने भी सीमा पर कब्जे के बदले में बांग्लादेश के प्रति इसी तरह का ‘मैत्रीपूर्ण कदम’ उठाया था.

उन्होंने 2015 में दिए गए उनके बयान का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौता सिर्फ भूमि के पुनर्गठन के बारे में नहीं है, यह दिलों के मिलन के बारे में है.’

खरगे ने कहा, ‘तमिलनाडु में चुनाव से पहले आप इस संवेदनशील मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन आपकी ही सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट को निम्नलिखित बताया, ‘1974 में एक समझौते के तहत कच्चाथीवू श्रीलंका चला गया… आज इसे वापस कैसे लिया जा सकता है? यदि आप कच्चाथीवू को वापस चाहते हैं, तो आपको इसे वापस पाने के लिए युद्ध करना होगा.’ प्रधानमंत्री जी, आपको बताना चाहिए, क्या आपकी सरकार ने इस मुद्दे को हल करने और कच्चाथीवू को वापस लेने के लिए कोई कदम उठाया है?’

खरगे ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि आपकी विदेश नीति की विफलता के कारण पाकिस्तान ने रूस से हथियार खरीदे.

वहीं, पार्टी के महासचिव मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने भी एक्स पर पोस्ट किया कि भारत की अखंडता के लिए ‘वास्तविक खतरा’ पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण के रूप में चीन से आ रहा है.

उस समय की परिस्थितियों में द्वीप को श्रीलंका को सौंपने का बचाव करते हुए रमेश ने कहा, ‘1974 में उसी वर्ष जब कच्चाथीवू श्रीलंका का हिस्सा बन गया, सिरिमा भंडारनायके-इंदिरा गांधी समझौते ने श्रीलंका से 600,000 तमिल लोगों को भारत वापस लाने की अनुमति दी. एक ही कदम में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने छह लाख अब तक राज्यविहीन लोगों के लिए मानवाधिकार और सम्मान सुरक्षित किया.’

उन्होंने कहा, इसी तरह, जब मोदी की सरकार एलबीए के लिए विधेयक लेकर आई, तो सौदे में भारत के 10,000 एकड़ से अधिक जमीन गंवाने के बावजूद कांग्रेस ने इसके लिए मानवीय आवश्यकता को पहचाना था. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री पर बचकाना आरोप लगाने के बजाय कांग्रेस पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में विधेयक का समर्थन किया.’

रमेश ने कहा, ‘भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष ने तमिलनाडु में ध्यान भटकाने वाला मुद्दा बनाने के लिए एक आरटीआई दायर की है. जबकि महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दों पर लाखों आरटीआई प्रश्नों को नजरअंदाज कर दिया जाता है या अस्वीकार कर दिया जाता है, इसे वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है और तेजी से उत्तर दिया जाता है. भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष बहुत आसानी से मीडिया के कुछ मित्रवत वर्गों में अपने प्रश्न का उत्तर ‘रखते’ हैं. प्रधानमंत्री तुरंत इस मुद्दे को तूल देते हैं. मैच फिक्सिंग की बात!’

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