जांच की ज़रूरत और निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है: सीजेआई चंद्रचूड़

सीबीआई द्वारा आयोजित एक कर्यक्रम में बोलते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा छापे के दौरान निजी डिवाइस की 'अनुचित' ज़ब्ती को लेकर असहमति ज़ाहिर की.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़. (स्क्रीनग्रैब साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली: भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जांच एजेंसियों के पास मौजूद तलाशी और जब्ती की शक्तियों और किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. उन्होंने छापों के दौरान निजी उपकरणों (डिवाइस- मोबाइल, लैपटॉप आदि) )की ‘अनुचित’ ज़ब्ती पर अस्वीकृति जाहिर की.

लाइव लॉ के अनुसार, सीजेआई ने कहा कि तलाशी, जब्त करने की शक्तियों और निजता के अधिकारों के बीच नाजुक संतुलन कायम है. यह एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला है.  इस संतुलन के मूल में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करते हुए उचित प्रक्रिया को बनाए रखने की जरूरत है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने छापेमारी के दौरान निजी डिवाइस की ‘अनुचित’ जब्ती की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये बातें जांच संबंधी अनिवार्यताओं और निजता के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की तत्काल ज़रूरत बताती हैं.

सीजेआई सीबीआई द्वारा इसके पहले निदेशक की स्मृति में आयोजित 20वें डीपी कोहली मेमोरियल व्याख्यान में बोल रहे थे. उन्हें  ‘अडॉप्टिंग टेक्नोलॉजी टू एडवांस क्रिमिनल जस्टिस’ विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था.

इस संबोधन के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) का भी उल्लेख किया, जिसमें जांच एजेंसियों द्वारा व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती के लिए दिशानिर्देश की मांग की गई थी. उस समय, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की एजेंसियों को नए और औपचारिक दिशानिर्देश आने तक डिजिटल साक्ष्य पर 2020 सीबीआई (अपराध) मैनुअल का पालन करने का निर्देश दिया था.

जिस सीबीआई मैनुअल की बात हो रही है, वो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत जब्त किए गए डिजिटल डिवाइस के लिए इलेक्ट्रॉनिक फिंगरप्रिंट के समान हैश वैल्यू के प्रावधान को अनिवार्य करता है. हैश वैल्यू से यह मालूम चलता है कि जब्ती के समय डिवाइस में कितना डेटा था, ताकि यह पता चल सके कि बाद में इसके साथ छेड़छाड़ की गई है या नहीं.

सीजेआई ने इसे विस्तार से समझाते हुए कहा कि सीबीआई मैनुअल जांच के दौरान मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों के लिए हैश वैल्यू के प्रावधान को अनिवार्य करता है. आईटी अधिनियम के तहत हैश वैल्यू इलेक्ट्रॉनिक फ़िंगरप्रिंट के समान है और जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की सुरक्षा के लिए होता है. इसके अतिरिक्त, मैनुअल जब्ती के समय जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की एक इमेज (प्रति) बनाने के लिए भी कहता है, जिससे छेड़छाड़ या हेरफेर के खिलाफ सुरक्षा मिलती है.

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