उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके पक्ष में कथित तौर पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के दो कॉन्स्टेबलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. गौरतलब है कि बीते दिनों बांदा जेल में बंद पांच बार के विधायक अंसारी की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में मोत हो गई थी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बुधवार को अधिकारियों ने बताया कि अंसारी को दफनाने के एक दिन बाद लखनऊ के एक थाने में तैनात कॉन्स्टेबल फैयाज खान ने कथित तौर पर अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर उनके पक्ष में कुछ टिप्पणियां की थीं और उनकी मौत पर संदेह भी जताया था. वहीं, चंदौली में पुलिस लाइन में तैनात कॉन्स्टेबल आफताब आलम ने भी अंसारी के पक्ष में एक फेसबुक पोस्ट लिखकर उन्हें ‘मसीहा’ करार दिया था. चंदौली के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह ने कहा कि कॉन्स्टेबल ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सोशल मीडिया नीति और राज्य सरकार के आचरण नियमों का उल्लंघन किया था, उन्हें निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गई है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनकी कथित संलिप्तता पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड को चुनौती दी गई थी. बता दें कि केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था. वर्तमान में वह तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. 22 मार्च को ट्रायल कोर्ट ने उन्हें छह दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया था, जिसे चार दिन के लिए बढ़ा दिया गया था. बीते 1 अप्रैल को उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि इंडिया गठबंधन के साझेदार नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने उनकी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के पास कश्मीर में तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा है. द हिंदू के मुताबिक, मुफ्ती ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही. बता दें कि एनसी ने हाल ही में तीनों सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, जबकि कांग्रेस के लिए जम्मू में दो सीट छोड़ दी थीं. इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष और श्रीनगर से मौजूदा सांसद फारुक अब्दुल्ला अपनी खराब सेहत के कारण लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
लोकनीति-सीएसडीएस द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की मलिन बस्तियों में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के शहरी गरीबों के लिए मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी प्रमुख चिंताएं हैं. चिंता का प्रमुख कारण यह है कि 84% शहरी गरीबों ने उल्लेख किया कि उनकी घरेलू आय पर्याप्त नहीं है या उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम है. वहीं, 10 में से 6 लोगों ने बड़ी कठिनाइयों का सामना करने की बात कही, जबकि 10 में से 3 ने कुछ कठिनाई का सामना करने की बात स्वीकार की. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में 1,024 व्यक्तियों की प्रतिक्रियाएं दर्ज की गईं. पिछले दो वर्षों में महंगाई बढ़ने को लेकर प्रत्येक 10 में से 9 उत्तरदाताओं ने सहमति दी. तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने खाद्य पदार्थों, एलपीजी और बिजली जैसी घरेलू आवश्यक वस्तुओं में मूल्यवृद्धि की बात कही. दस में से छह ने स्वास्थ्य देखभाल और मकान किराए में वृद्धि और आधे से अधिक ने शिक्षा खर्च और सार्वजनिक परिवहन किराए में वृद्धि की बात कही. लगभग आधे उत्तरदाताओं ने पिछले दो वर्षों में उनकी जीवनशैली में कोई सुधान न आने की बात कही. केवल 3% शहरी गरीबों ने खर्चों की तुलना में अपनी घरेलू आय में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की. 10 में 4 ने मोदी सरकार और एक-चौथाई ने केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया.
साल 2014 से अन्य दलों से जुड़े 25 नेता, जो केंद्रीय एजेंसी की जांच के दायरे में थे, वो भाजपा में शामिल हुए हैं. इन 25 में से 23 नेताओं को उन मामलों में राहत मिल चुकी है, जिनमें वे जांच का सामना कर रहे थे. वहीं, तीन नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं और अन्य 20 में जांच रुकी हुई है या ठंडे बस्ते में हैं. इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट के अनुसार, इन 25 मामलों में से केवल दो पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी के ऐसे मामले हैं, जिसमें इनके भाजपा में शामिल होने के बाद भी ईडी द्वारा ढील दिए जाने के अभी तक कोई सबूत नहीं है. वहीं, जिन नेताओं ने भ्रष्ट्राचार का आरोप झेलते हुए अपनी पार्टी छोड़ी और भाजपा में शामिल हुए, उसमें दस कांग्रेस से, चार-चार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना से, तीन तृणमूल कांग्रेस से, दो तेलुगु देशम पार्टी से और एक-एक समाजवादी पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से हैं.
राजस्थान के करौली जिले में एक दलित बलात्कार पीड़िता को कपड़े उतारकर अपने ज़ख्म दिखाने के लिए कहने के आरोप में पुलिस ने एक मजिस्ट्रेट के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिस उपाधीक्षक (एससी-एसटी) मीना मीणा ने बताया कि पीड़िता ने 30 मार्च को शिकायत दर्ज कराई थी कि हिंडौन अदालत के मजिस्ट्रेट ने उसकी चोटों को देखने के लिए उसे कपड़े उतारने के लिए कहा था, लेकिन उसने इससे इनकार कर दिया और 30 मार्च को अदालत में बयान दर्ज कराने के बाद मजिस्ट्रेट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. कोतवाली पुलिस थाने में मजिस्ट्रेट के खिलाफ गरिमा भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.