नई दिल्ली: बुधवार (3 अप्रैल) को पांच प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विदेशी अंशदान पंजीकरण अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द करने के बाद गृह मंत्रालय ने कहा है कि कार्रवाई कानून की उचित प्रक्रिया के बाद की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, जिन एनजीओ का लाइसेंस रद्द किया गया है उनमें सीएनआई सिनोडिकल बोर्ड ऑफ सोशल सर्विस, वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीएचएआई), इंडो-ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी, चर्च ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन और इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफआई) शामिल हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईएफआई के महासचिव विजयेश लाल ने पुष्टि की कि एफसीआरए लाइसेंस के उनके नवीनीकरण आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है. उन्होंने इस कदम पर आश्चर्य भी जताया.
उन्होंने कहा, ‘धार्मिक और राजनीतिक आधार पर तेजी से बंट रहे समाज को एक साथ लाने के लिए पुल की तरह और मेल-मिलाप के दूत के रूप में काम करना ईएफआई के मुख्य कार्यों में से एक रहा है. हम अभी भी अगले कदम पर चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही इस पर फैसला लेंगे.’
गौरतलब है कि ईएफआई भारत में ईसाइयों के खिलाफ हमलों पर डेटा एकत्र और प्रकाशित करता है. इसकी रिपोर्ट में हिंसा, चर्चों या प्रार्थना सभाओं पर हमले, अपने धर्म का पालन करने वालों का उत्पीड़न, बहिष्कार और सामुदायिक संसाधनों तक पहुंच को सीमित करना और झूठे आरोप, विशेष रूप से ‘जबरन धर्मांतरण’ से संबंधित डेटा शामिल हैं.
ईएफआई नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तहत ईसाइयों के खिलाफ हिंसा में भारी वृद्धि की सूचना भी दे चुका है.
उल्लेखनीय है कि उन गैर सरकारी संगठनों की सूची में चिंताजनक वृद्धि हुई है जिनके एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं या सरकार द्वारा नवीनीकृत नहीं किए गए हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों और नागरिक अधिकार समूहों का कहना है कि यह भाजपा सरकार के उन संगठनों को दबाने के कदम का एक हिस्सा है जो इसके आलोचक हैं.
वीएचएआई 27 राज्य स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघों का एक संघ है. इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह देश भर में 4,500 से अधिक स्वास्थ्य और विकास संस्थानों को जोड़ता है.
सिनोडिकल बोर्ड ऑफ सोशल सर्विसेज चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) का विकास और न्याय बोर्ड है. इसकी वेबसाइट के अनुसार, सीएनआई गरीबों और शोषितों के लिए गरीबी उन्मूलन और सामाजिक न्याय पर काम करता है, मुख्य रूप से दलित और आदिवासी समुदायों और महिलाओं के हित में जिन्हें ‘सामाजिक और आर्थिक रूप से बहिष्कृत’ किया गया है.
एक अन्य गैर सरकारी संगठन जिसका लाइसेंस रद्द किया गया है वह इंडो-ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी है. इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह सत्य, न्याय, स्वतंत्रता और समानता पर आधारित मानवीय सामाजिक व्यवस्था के लिए काम करती है.
चर्च ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन भारत में राष्ट्रीय चर्च परिषद की सेवा शाखा है, जिसमें भारत की रूढ़िवादी और प्रोटेस्टेंट चर्च सोसायटी शामिल हैं. इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह ‘जाति, धर्म, लिंग और राजनीतिक संबद्धता से परे सबसे गरीब स्तर के लोगों के लिए’ काम करता है.
केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में तमिलनाडु के दो ईसाई संगठनों – तमिलनाडु सोशल सर्विस सोसाइटी और वर्ल्ड विजन इंडिया का एफसीआरए लाइसेंस भी रद्द कर दिया था.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और ऑक्सफैम इंडिया सहित 100 से अधिक गैर सरकारी संगठनों ने विदेशी अनुदान के कथित दुरुपयोग के आरोप में अपने एफसीआरए लाइसेंस खो दिए हैं.