चुनावी बॉन्ड को लेकर सामने आई एक नई जानकारी के मुताबिक, कम से कम 45 ऐसी कंपनियों ने बॉन्ड खरीदे, जिनकी खुद की फंडिंग संदिग्ध है. द हिंदू की पड़ताल ऐसी कंपनियों की अधिकांश फंडिंग भाजपा को मिली है. इनमें से तैंतीस कंपनियों का मुनाफा नेगेटिव या लगभग शून्य था, फिर भी उन्होंने बॉन्ड्स के जरिये कुल 576.2 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा दिया. भाजपा को इस रकम का करीब 75 फीसदी यानी 434.2 करोड़ रुपये मिले. बताया गया है कि इन 33 कंपनियों का कुल नेट घाटा 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक था. गौरतलब है कि 2017-2018 और 2022-2023 के बीच बेचे गए 12,008 करोड़ रुपये के कुल चुनावी बॉन्ड में से भाजपा को लगभग 55% या 6,564 करोड़ रुपये मिले हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी निर्णय में तथ्य और कानून में कोई विसंगति नहीं है तो उच्च न्यायालयों को ट्रायल कोर्ट के आदेशों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने दो दोषियों को राहत देते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश, जिसने उन्हें बरी कर दिया था, को अस्वीकार करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को केवल संदेह के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, चाहे ऐसा संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो. कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि कि उच्च न्यायालय का फैसला केवल ‘अनुमानों’ पर आधारित था और यह बुनियादी कानूनी सिद्धांत के खिलाफ है कि शक़ सबूत की जगह नहीं ले सकता.
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) द्वारा कक्षा 12 की इतिहास की किताबों में हाल में किए गए बदलाव में इस तथ्य पर संदेह जताया है कि आर्य भारत में आए थे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, किताबों में दावा किया गया है कि वर्तमान भारतीयों की जड़ें हड़प्पा सभ्यता तक जाती हैं. बताया गया है कि ये अपडेट शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए हैं और इनके बारे में हाल ही में सीबीएसई को सूचित किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षा 7, 8, 10, 11 और 12 के लिए इतिहास और समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किए गए हैं. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन कक्षा 12 की इतिहास भाग I टेक्स्टबुक के हड़प्पा सभ्यता वाले अध्याय में पाए जाते हैं. परिवर्तन यह दावा करते हैं कि भारतीय लोगों की 5,000 साल पुरानी ‘अटूट’ रिश्ता है. अख़बार ने कहा है कि एनसीईआरटी ने ऐसा दावा ‘राखीगढ़ी स्थल पर किए गए हालिया पुरातत्व अनुसंधान’ के आधार पर किया है. यह डीएनए अध्ययन आर्यों के आगमन को खारिज करते हुए दावा करते हुए कि हड़प्पावासी स्वदेशी हैं जिनकी वंशावली अभी भी जारी है. नई किताबों में कहा गया है कि हड़प्पावासियों का डीएनए आज तक कायम है और दक्षिण एशियाई आबादी का बड़ा हिस्सा उनके वंशज लगते हैं.
मेघालय में बांग्लादेश बॉर्डर के पास के गांवों में 27 मार्च को दो लोगों की मौत के बाद से तनाव व्याप्त है. रिपोर्ट के अनुसार, सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर खासी छात्र संघ (केएसयू) ने उनकी हत्या कर दी थी. मामले को लेकर केएसयू के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. बुधवार को आरोपियों की रिहाई की मांग करते हुए केएसयू सदस्यों ने सोहरा शहर में एक थाने के बाहर प्रदर्शन किया. इससे पहले पुलिस ने बताया था कि नकाब और हेलमेट पहने लगभग पांच लोगों ने शिलॉन्ग के मावलाई पुलिस स्टेशन की ओर एक पेट्रोल बम फेंका और पुलिस के एक वाहन में आग लगा दी. दूसरी ओर, मृतकों में से एक सुजीत का परिवार सोहरा से 30 किलोमीटर दूर इचामती में अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहा है. सुजीत जहां बंगाली हैं, वहीं दूसरा मृतक आदिवासी था. सुजीत के छोटे भाई सुशील दत्ता ने कहा कि उन जैसे बंगाली बाहर नहीं निकलना चाहते क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें पीटा जाएगा. केएसयू द्वारा सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन निकालने के कुछ घंटों बाद मृतकों के शव मिले थे. हालांकि, सीएए विरोधी प्रदर्शनों और हत्याओं के बीच कोई संबंध नहीं मिला है न ही पुलिस अभी इस बारे में कुछ नहीं कह रही है. लेकिन जातीय तनाव चरम पर है, जहां उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसॉन्ग ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.