सरकार की जन्म रजिस्टर में माता-पिता का धर्म अलग-अलग दर्ज करने की योजना: रिपोर्ट

पिछले साल अगस्त में संसद द्वारा पारित जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत जन्म-मृत्यु डेटाबेस को राष्ट्रीय स्तर पर मेंटेन किया जाएगा और इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) से लेकर मतदाता सूची, आधार संख्या, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे अन्य डेटाबेस को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है.

इलस्ट्रेशन. फोटो साभार: कैनवा

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार मॉडल नियमों के अनुसार, अब किसी बच्चे के जन्म का पंजीकरण करते समय पिता और मां दोनों के धर्म को अलग-अलग दर्ज किया जाएगा. पहले जन्म रजिस्टर करते समय केवल परिवार का धर्म दर्ज किया जाता था.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक अब जो प्रस्तावित ‘फॉर्म नंबर 1-जन्म रिपोर्ट’ है उसमें धर्म वाले कॉलम का विस्तार किया जाएगा. इसमें अब बच्चे के धर्म के साथ बच्चे के पिता का धर्म और मां का धर्म भी बताना होगा.

खबर में कहा गया है कि मॉडल नियमों को लागू करने से पहले राज्य सरकारों द्वारा इसे अपनाने और अधिसूचित करने की जरूरत होगी.

ज्ञात हो कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 पिछले साल 11 अगस्त को संसद द्वारा पारित किया गया था. द वायर ने तब पाया था कि गृह मंत्रालय इन संशोधनों के जरिये किसी भी परिवार में नए जन्म और मृत्यु पर नज़र रखने के लिए कैसे आधार को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव कर रहा है.

इस संबंध में श्रीनिवास कोडाली ने लिखा था, ‘यह जन्म और मृत्यु का एक डेटाबेस बनाने और इसका इस्तेमाल हर दूसरे सरकारी डेटाबेस, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से लेकर मतदाता सूची, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और आधार के डेटाबेस तक को अपडेट करने का प्रस्ताव है.

द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि कानूनी जानकारी से संबंधित जन्म रजिस्टर फॉर्म (सांख्यिकीय जानकारी के लिए एक अन्य दस्तावेज़) को आधार संख्या, और यदि उपलब्ध हो तो माता-पिता दोनों के मोबाइल और ई-मेल आईडी के रिकॉर्ड के लिए विस्तारित किया जा रहा है. इसमें एड्रेस बॉक्स यानी पता देने की जगह को भी अधिक वर्णनात्मक बनाया जाएगा.

इसमें ‘सूचना देने वाले व्यक्ति’ को भी अपना आधार और संपर्क विवरण देना होगा.

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