नई दिल्ली: भारत शुक्रवार (5 अप्रैल) को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उस प्रस्ताव से दूर रहा, जिसमें गाजा में तत्काल युद्धविराम और इज़रायल पर हथियार प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया था. इसमें मांग की गई थी कि इज़रायल गाजा पट्टी पर अपनी अवैध नाकाबंदी तुरंत हटा ले.
‘पूर्वी यरुशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति, और जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने का दायित्व’ शीर्षक वाले इस प्रस्ताव को जिनेवा स्थित परिषद ने पक्ष में 28, विपक्ष में 6 और 13 अनुपस्थित मतों के साथ अपना लिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के अलावा फ्रांस, जापान, नीदरलैंड और रोमानिया समेत अन्य देश मतदान में शामिल नहीं हुए. अर्जेंटीना, बुल्गारिया, जर्मनी और अमेरिका ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. बांग्लादेश, बेल्जियम, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, कुवैत, मलेशिया, मालदीव, कतर, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.
संकल्प के प्रावधानों में से एक हथियार प्रतिबंध था. जिसमें उल्लेख था, ‘अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और मानवाधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी देशों से इज़रायल को हथियार, युद्ध सामग्री और अन्य सैन्य उपकरणों की बिक्री, स्थानांतरण और डायवर्जन को रोकने का आह्वान किया जाता है.’ इसमें 26 जनवरी 2024 के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का भी हवाला दिया गया है जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि गाजा में नरसंहार का संभावित खतरा है.
प्रस्ताव में मांग की गई कि ‘इज़रायल पूर्वी यरुशलम सहित 1967 से कब्ज़ा किए गए फिलीस्तीनी क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा ख़त्म करे.’
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष को समाप्त करने के सभी प्रयास अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार होने चाहिए.
इसमें ‘गाजा में तत्काल युद्धविराम, तत्काल आपातकालीन मानवीय पहुंच और सहायता (विशेष रूप से क्रॉसिंग और भूमि मार्गों के माध्यम से) और गाजा में फिलिस्तीनी आबादी के लिए बुनियादी आवश्यकताओं की तत्काल बहाली का भी आह्वान किया गया.’
प्रस्ताव में विशेष रूप से इज़रायल से गाजा पट्टी पर अपनी अवैध नाकाबंदी और अन्य सभी प्रकार की सामूहिक सजा और घेराबंदी को तुरंत हटाने का आह्वान किया गया है.