नई दिल्ली: भारत के कर सुधारों के प्रमुख चेहरे और तेरहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष विजय केलकर ने देश की अगली सरकार से ‘अनावश्यक रूप से जटिल’ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था, जैसे कि 12 प्रतिशत की एकल कर दर निर्धारित करना और स्थानीय सरकार तथा नगर निगमों के साथ राजस्व साझा करना, में तत्काल सुधार करने का आह्वान किया है.
द हिंदू के मुताबिक, केलकर ने जीएसटी परिषद के लिए एक स्वतंत्र सचिवालय बनाने भी विचार किया है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा सचिवालय को संचालित करने की वर्तमान व्यवस्था को राज्यों द्वारा समस्याग्रस्त माना जा सकता है. जीएसटी परिषद जुलाई 2017 में शुरू की गई अप्रत्यक्ष कर के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
उन्होंने जीएसटी व्यवस्था, जिसमें ‘बहुत सारी दरें’ और कुछ वस्तुओं पर मुआवजा उपकर है, को उसके सबसे स्वाभाविक गंतव्य तक ले जाने के लिए जीएसटी संरचना के सरलीकरण को ‘अत्यंत महत्वपूर्ण वित्तीय सुधार’ करार दिया. केलकर ने तर्क दिया कि ‘राजस्व तटस्थता बनाए रखने के उद्देश्य’ से कर दरें निर्धारित करना ‘अनुत्पादक’ है, जैसा कि भारत द्वारा किया गया है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘मौजूदा जीएसटी धोखाधड़ी की उत्पत्ति जीएसटी दरों की संरचना में निहित है, क्योंकि जीएसटी की उच्च दरें धोखाधड़ी करने वालों को टैक्स चोरी के लिए आकर्षित करती हैं.’
इसके बजाय, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्तरों के साथ राजस्व को समान रूप से साझा करते हुए 12% की एकल जीएसटी दर जल्द से जल्द पेश की जाए.
पूर्व वित्त सचिव ने कहा, ‘ज्यादातर विकसित और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में भी वस्तुओं और सेवाओं पर एकल जीएसटी या वैट (मूल्य वर्धित कर या वैल्यू एडेड टैक्स) दर की नीति है. एकल दर और सरल जीएसटी या वैट कानून वाले देश कर राजस्व में सुधार करने और कर विवादों को कम करने में सफल रहे हैं.’ जीएसटी या वैट प्रणाली वाले देशों में से 80% ने एकल कर दर का विकल्प चुना है, जिनमें सिंगापुर, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और जापान शामिल हैं.
यह कहते हुए कि भारत में एकल जीएसटी दर एक अधूरा लक्ष्य है, उन्होंने याद दिलाया कि 13वें वित्त आयोग ने जीएसटी बहस में बहुत पहले ही 12% की एकल दर की सिफारिश की थी. उन्होंने कहा कि यह संरचना को सरल बनाएगा, लगभग सभी वर्गीकरण मुद्दों को शांत करेगा और विनिर्माण तथा निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगा.
केलकर ने कहा कि ‘आवश्यक’ और ‘अच्छी’ वस्तुओं और सेवाओं पर कर की अलग-अलग दर रखने की सदियों पुरानी कर नीति को खत्म किया जाना चाहिए. एकल जीएसटी दर लागू करने का क्रांतिकारी सुधार अब आवश्यक है, जिसमें हाइड्रोकार्बन जैसी कुछ अवगुण वस्तुओं पर कार्बन कर जैसे अतिरिक्त कर लगाए जा सकते हैं.
अनुभवी अर्थशास्त्री ने जीएसटी राजस्व को संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा बनाई गई सरकार के तीसरे स्तर के साथ साझा करने की भी वकालत की.
केलकर ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, हमारे शहरी स्थानीय निकायों के पास महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाले सार्वजनिक सामानों की आपूर्ति के लिए निवेश करने के लिए आवश्यक वित्तीय आधार की बेहद कमी है. तीसरे स्तर की सरकार (स्थानीय सरकारें जैसे निगम, पंचायत आदि) के साथ जीएसटी का समान साझाकरण हमारी शहरी सरकारों के वित्तीय आधार को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और शासन को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.’ उन्होंने कहा कि यह दुनिया भर के जीवंत लोकतंत्रों में प्रचलित है.
उन्होंने कहा, ‘इसे सक्षम बनाने के लिए हमें संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी. सबसे पहले तीसरे स्तर की सरकार के लिए समेकित निधि बनानी होगी, और दूसरा यह कि जीएसटी सुधार लाना होगा जहां जीएसटी को केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों जैसे नगर निगमों के साथ समान रूप से साझा किया जाएगा. यह बिल्कुल उचित है, क्योंकि जीएसटी एक उपभोग कर है और करदाताओं को अपने करों के भुगतान से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ को देखना चाहिए.’