नई दिल्ली: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने सोमवार (8 अप्रैल) को संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के साथ-साथ कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए ‘बातचीत’ के आह्वान का समर्थन किया है.
मालूम हो कि पाकिस्तान के साथ बातचीत पर भारत का रुख साफ है कि वह सीमा पार आतंकवाद के ख़त्म होने के बाद ही पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करेगा.
यह संयुक्त बयान, जिसमें भारत और कश्मीर का उल्लेख है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की यात्रा के दौरान जारी किया गया था. ज्ञात हो कि पाकिस्तान के विवादास्पद आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बने शरीफ की यह पहली विदेश यात्रा थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने संयुक्त बयान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर विवाद को हल करने के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत के महत्व पर जोर दिया.
भारत ने हमेशा कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ ‘आतंकवाद-मुक्त’ माहौल में ही बातचीत फिर से शुरू करेगा. इस स्थिति को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट करते हुए पिछले साल कहा था कि आतंकवाद के पीड़ित आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए आतंकवाद के अपराधियों के साथ नहीं बैठते हैं.
सऊदी अरब और पाकिस्तान द्वारा जारी संयुक्त बयान में विशेष रूप से आतंकवाद के बारे में, खासकर भारत के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के प्रयासों के संबंध में, कोई बात नहीं की गई है.
इसके विपरीत, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की यात्रा के दौरान जारी किए गए भारत-सऊदी अरब संयुक्त बयान में कश्मीर या पाकिस्तान का कोई उल्लेख नहीं था. बल्कि, इसमें ‘सभी तरह के आतंकवाद’ का मुकाबला करने की बात की गई थी.
सऊदी अरब में भारत के पूर्व राजदूत तलमीज़ अहमद के अनुसार, सऊदी अरब ने 2001 से तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह की रियाद यात्रा के दौरान कश्मीर को द्विपक्षीय विवाद के रूप में तवज्जो देना शुरू किया था. हालांकि, 26/11 के मुंबई हमलों के बाद काउंटर-आतंकवाद में सहयोग के लिए सऊदी अरब ने भारत के साथ सहयोगी रवैया अपनाया.