नई दिल्ली: वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल के एक नोट के आधार पर द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दिसंबर 2023 तक भारत का घरेलू ऋण स्तर कथित तौर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 40% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के 5% पर अपने न्यूनतम स्तर तक गिर गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वित्तीय संकट बढ़ने का संकेत है.
जैसा कि द वायर ने सितंबर 2023 में बताया था, भारतीय रिज़र्व बैंक के डेटा में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2023 में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत गिरकर लगभग पांच दशक के निचले स्तर पर- जीडीपी के 5.1% पर आ गई है, जो वित्तीय वर्ष 2022 में 7.2% थी. इसके अलावा, परिवारों की वार्षिक वित्तीय देनदारियां जीडीपी के 5.8% तक तेजी से बढ़ीं, जो वित्तीय वर्ष 2022 के 3.8% की तुलना में अधिक है.
रिपोर्ट कहती है कि इससे संकेत मिलता है कि परिवार अपनी उपभोग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर कर्ज ले रहे हैं.
पर वित्त मंत्रालय ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि परिवार घरों और वाहनों जैसी वास्तविक संपत्ति खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं- और यह संकट का संकेत नहीं है.
हालांकि, द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि फरवरी में प्रकाशित 2022-23 के लिए राष्ट्रीय आय के पहले संशोधित अनुमान ने घरों में अनुमानित शुद्ध वित्तीय बचत को जीडीपी के 5.3% तक बढ़ा दिया है. लेकिन यह अभी भी 47 वर्षों में सबसे कम है.
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर आय वृद्धि, मजबूत खपत और भौतिक बचत में वृद्धि शुद्ध वित्तीय बचत आंकड़ों के लिए जिम्मेदार हैं.