भारत सरकार द्वारा एक योजना के तहत 64 भारतीय श्रमिकों को इज़रायल भेजने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने एक यात्रा परामर्श जारी किया है. रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी इस अर्जेंट यात्रा परामर्श में भारतीयों को ‘उक्त क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए’ इज़रायल और ईरान से दूर रहने की चेतावनी दी गई है. इससे पहले ख़बरों में बताया गया था कि अप्रैल और मई में इज़रायल में भारत के 6,000 से अधिक निर्माण श्रमिकों को रखा जाएगा. मंत्रालय के परामर्श से ठीक पहले भारतीय श्रमिकों के पहले बैच को 2 अप्रैल को तेल अवीव भेजा गया था, जिसके एक दिन बाद इज़रायल ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए सीरिया के दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर बमबारी की थी, जिसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स एक वरिष्ठ कमांडर सहित कई ईरानी नागरिकों की मौत हो गई थी. ईरान ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की बात कही थी.
आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल ने भारत और विदेश में अज्ञात संख्या में आईफोन यूजर्स को सर्विलांस को लेकर चेतावनी जारी की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गुरुवार को द्वारा यूजर्स सूचित किया गया था कि उनके फोन पर कुख्यात पेगासस सहित ‘किराये पर लिए स्पाइवेयर’ द्वारा संभावित रूप से हमला किया गया था. इससे पहले बीते साल अक्टूबर में भी इसने कई विपक्षी नेताओं और पत्रकारों को उनके आईफ़ोन पर संभावित स्पाइवेयर हमले की चेतावनी दी और सीधे तौर पर सरकार-प्रायोजित हमलावरों’ को इसकी संभावना के लिए जिम्मेदार ठहराया था. अब बताया गया है कि भारत सरकार द्वारा दबाव की ख़बरों के बाद इसने ‘सरकार द्वारा प्रायोजित’ जैसी भाषा को बदल दिया गया है.
सीएसडीएस-लोकनीति द्वारा जनता के बीच चुनावी मुद्दों को लेकर किए गए एक सर्वे में बताया गया है कि चार में से तीन से अधिक भारतीयों का मानना है कि देश सभी धर्मों के नागरिकों का समान रूप से है, न कि सिर्फ हिंदुओं का. द हिंदू के मुताबिक, 78% उत्तरदाताओं ने इस तर्ज के बहुलतावादी दृष्टिकोण की बात कही, जबकि 11% ने कहा कि भारत हिंदुओं का है. सर्वे कहता है कि कॉलेज की शिक्षा पाए लोगों के साथ-साथ कस्बों और शहरवासियों के बहुलतावादी रवैया रखने की अधिक संभावना थी, हालांकि बड़ी संख्या में अशिक्षित (72%) और ग्रामीण लोगों (76%) ने भी इस दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी. लोकनीति ने यह भी पाया कि अधिकांश हिंदू और मुस्लिम इस बात पर विपरीत विचार रखते थे कि राम मंदिर का सांप्रदायिक सद्भाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा; लोग साल 2019 की तुलना में अब निर्वाचन आयोग पर कम भरोसा करते हैं; अधिकांश लोगों ने कहा कि विपक्ष जाति जनगणना के बारे में गंभीर नहीं था; और बहुमत (46%) का सोचना था कि विपक्षी नेता जांच एजेंसियों से बचने के लिए भाजपा में शामिल हो रहे हैं.
चुनावी बॉन्ड को लेकर एक नई रिपोर्ट बताती है कि केंद्र सरकार से सब्सिडी हासिल करने के 48 घंटों के भीतर ही दवा कंपनी अरबिंदो फार्मा ने भाजपा को चुनावी बॉन्ड दिए थे. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के मुताबिक, दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाले’ में अपने प्रमोटर पी. शरथ चंद्र रेड्डी की गिरफ्तारी के पांच दिनों के भीतर भी कंपनी ने भाजपा को भी चंदा दिया था. ज्ञात हो कि रेड्डी को बाद में जमानत मिल गई और वह इसी मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सरकारी गवाह बन गए.
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में तैनात पुलिसकर्मी अब पुजारियों जैसी पोशाक पहनेंगे. डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक, मंदिर के गर्भगृह में तैनात पुलिसकर्मियों को गेरुआ धोती-कुर्ता और महिलाकर्मियों को भगवा सलवार कुर्ता पहनने को कहा गया है. अधिकारियों का कहना है कि पुजारियों की तरह कपड़े पहनने वाले पुलिसकर्मी भीड़ को बेहतर तरीके से संभालने में सक्षम होंगे. हालांकि, पुलिस की वर्दी की गरिमा का हवाला देते हुए इस क़दम की आलोचना की जा रही है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इस तरह का आदेश देनेवालों को निलंबित किया जाए. कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उत्तर प्रदेश शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा. उनकी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने भी इस नई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह सब चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है. सार्वजनिक स्थान पर पुलिस की गरिमा उसकी वर्दी में ही है.