ईवीएम पर आरटीआई का जवाब न देने पर सीआईसी ने निर्वाचन आयोग को फटकारा

एक आरटीआई आवेदन में निर्वाचन आयोग से चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर सवालों को लेकर उठाए कदमों पर जवाब मांगा गया था. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने इसका उत्तर न देने को क़ानून का 'घोर उल्लंघन' क़रार देते हुए चुनाव आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) याचिका का जवाब न देने पर ‘कड़ी आपत्ति’ जताई है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस आरटीआई में आयोग से चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर प्रतिष्ठित लोगों की ओर से उठाए गए सवालों के प्रतिनिधित्व के लिए उठाए कदमों पर जवाब मांगा गया था.

सीआईसी ने इसे कानून का ‘घोर उल्लंघन’ करार देते हुए चुनाव आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है.

पूर्व आईएएस अधिकारी एमजी देवसहायम (MG Devasahayam) उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने ईवीएम, वीवीपीएटी और मतगणना प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल करते हुए आरटीआई के तहत चुनाव आयोग में एक आवेदन दायर किया था और आयोग द्वारा इस की गई कार्रवाई का ब्योरा मांग रहे थे. यह अभ्यावेदन 2 मई, 2022 को चुनाव आयोग को भेजा गया था.

मालूम हो कि 22 नवंबर, 2022 को दायर आरटीआई आवेदन के माध्यम से देवसहायम ने जानकारी मांगी कि उनकी आरटीआई पर क्या किसी उत्तरदायी व्यक्ति की इस पर बैठक हुई या यह फाइल किसे फॉरवर्ड किया गया था. चुनाव आयोग ने अनिवार्य 30-दिन की अवधि के भीतर उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष देवसहायम की पहली अपील भी नहीं सुनी गई.

चुनाव आयोग ने अनिवार्य 30 दिन की अवधि के भीतर उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष देवसहायम की पहली अपील भी नहीं सुनी गई. उन्होंने आयोग से प्रतिक्रिया की कमी का हवाला देते हुए दूसरी अपील में सीआईसी से संपर्क किया.

जब मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने पूछताछ की, तो चुनाव आयोग के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी इस बात पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे कि देवसहायम को कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया.

सीआईसी सामरिया ने कहा, ‘आयोग, आरटीआई अधिनियम के तहत निर्धारित समयसीमा के भीतर आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं देने पर तत्कालीन पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (पीआईओ) के आचरण पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करता है. इसलिए, यह आयोग निर्देश देता है कि पीआईओ को वर्तमान पीआईओ के माध्यम से आरटीआई के प्रावधानों के घोर उल्लंघन के लिए एक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा.’

उन्होंने कहा कि यदि चूक के लिए अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, तो सीपीआईओ उन्हें आदेश की एक प्रति देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे लोगों की लिखित दलीलें सीआईसी को भेजी जाएं.

सामरिया ने चुनाव आयोग को 30 दिनों के भीतर आरटीआई आवेदन पर बिंदुवार जवाब देने का भी निर्देश दिया.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के प्रोफेसरों और सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों सहित पूर्व सिविल सेवकों सहित प्रसिद्ध टेक प्रोफेशनल्स और शिक्षाविदों ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था.

गौरतलब है कि 2 मई, 2022 को लिखे गए पत्र में कहा गया था, ‘इस ज्ञापन के माध्यम से हम, तकनीकी पेशेवरों, शिक्षाविदों और पूर्व सिविल सेवकों सहित संबंधित नागरिक समाज के सदस्यों का एक प्रतिनिधि समूह निर्वाचन आयोग के समक्ष कुछ बातें रखना चाहते हैं जिनका चुनावी लोकतंत्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर असर पड़ता है और हम आयोग से इस पर तत्काल प्रतिक्रिया की उम्मीद करेंगे.’

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