नई दिल्ली: चुनाव के पहले महीने में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू करने पर अपना रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए सीबीआई, ईडी और एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए विपक्षी दलों की याचिका पर कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है, क्योंकि वह कानूनी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने अपने रिपोर्ट कार्ड में कहा ‘आयोग संवैधानिक ज्ञान द्वारा निर्देशित है जब उसे राजनीतिक व्यक्तियों से जुड़ी लाइव स्थितियों के साथ प्रस्तुत किया गया था जो आपराधिक जांच के आधार पर सक्रिय विचार और अदालतों के आदेशों के अधीन है. हालांकि आयोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और अभियान के अधिकार की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन उसने ऐसा कोई भी कदम उठाना सही नहीं पाया है जो कानूनी न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना करे.’
ज्ञात हो कि विपक्ष ने चुनाव के समय प्रतिद्वंद्वी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ छापेमारी, तलाशी और गिरफ्तारियों पर रोक लगाने की मांग करते हुए कई बार चुनाव आयोग से संपर्क किया था और इसे भाजपा द्वारा ‘केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग’ बताया था.
अखबार के अनुसार, चुनाव आयोग ने इस मुद्दे की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि उसके पास हस्तक्षेप करने और एजेंसियों को उनके कानूनी आदेश के अनुसार किए गए कार्यों को रोकने के लिए निर्देशित करने के लिए बहुत कम कानूनी गुंजाइश है, जो उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हैं.
उसका मानना है कि कोई भी पीड़ित पक्ष कानूनी उपाय तलाशने के लिए अदालत जाने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले जैसे मामलों में पहले से ही किया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने चुनावों के शुरुआत में ही प्रमुख सचिव (गृह) या अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और मुख्यमंत्रियों के प्रधान सचिव के रूप में दोहरे प्रभार वाले अधिकारियों को हटा दिया था.
चुनाव आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘जिन छह राज्यों में चुनाव आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए तबादलों का आदेश दिया था, उनमें से चार भाजपा शासित हैं.’
पश्चिम बंगाल के डीजीपी सहित अधिकारियों, डीएम और एसपी के रूप में तैनात गैर-कैडर अधिकारियों और उम्मीदवारों के साथ पारिवारिक संबंध साझा करने वाले अधिकारियों को भी स्वतः ही बदल दिया गया.
महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बयानों पर सख्त रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग ने ऐसी टिप्पणियों की निंदा की थी और सुप्रिया श्रीनेत और दिलीप घोष जैसे उल्लंघनकर्ताओं को भविष्य में सावधान रहने को कहा था. इसने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी दो बार पत्र लिखकर अपनी पार्टी के सहयोगियों को इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी करने से रोकने के लिए कहा और की गई कार्रवाई का विवरण मांगा.
मंगलवार को चुनाव आयोग ने भाजपा नेता हेमा मालिनी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला को चुनाव प्रचार करने और मीडिया साक्षात्कार देने से 48 घंटे के लिए रोक दिया था.
चुनाव आयोग ने कहा कि राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा लगभग 200 शिकायतें दर्ज की गईं. इनमें से 169 मामलों में कार्रवाई की गई. जहां भाजपा की ओर से प्राप्त 51 में से 38 शिकायतों पर कार्रवाई की गई. वहीं, कांग्रेस की ओर से दायर 59 शिकायतों में से 51 और अन्य दलों की 90 में से 80 शिकायतों पर भी कार्रवाई की गई.
आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘अन्य दलों की शिकायतों पर कार्रवाई की दर भाजपा से प्राप्त शिकायतों की तुलना में अधिक है.’
नागरिकों के लिए बने सी-विजिल प्लेटफॉर्म (cVigil platform) पर कुल 2,68,080 शिकायतें थीं. इनमें से 2,67,762 मामलों में कार्रवाई की गई और 92% मामलों का समाधान औसतन 100 मिनट से भी कम समय में किया गया.