हरियाणा की 63 फ़ीसदी आबादी ‘गरीबी रेखा से नीचे’, विशेषज्ञों ने आंकड़ों पर सवाल उठाया

परिवार पहचान पत्र के आंकड़ों के मुताबिक, बीपीएल परिवारों की सबसे अधिक संख्या फरीदाबाद में है. इसके बाद मेवात, हिसार और करनाल जिला का नंबर आता है. हालांकि हिसार और करनाल राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में माने जाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस डेटा में सरकारी लाभ लेने के लिए फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारक भी हो सकते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: plait/Flickr (CC BY 2.0 DEED)

नई दिल्ली: परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा की लगभग 63 फीसदी आबादी गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे है. भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इस डेटा का समर्थन किया है, वहीं विशेषज्ञ फर्जी बीपीएल कार्ड धारकों पर सवाल उठा रहे हैं, जो कथित तौर पर सरकारी लाभ लेने के लिए इस सूची में शामिल हो सकते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के मुताबिक,2.86 करोड़ की कुल आबादी वाले हरियाणा राज्य में 44,90,017 बीपीएल कार्ड (परिवार) और 1,80,93,475 व्यक्ति बीपीएल की श्रेणी में हैं.

अधिकारियों ने कहा कि बीपीएल का दर्जा लोगों द्वारा पीपीपी या पारिवारिक आईडी पर घोषित आय के सत्यापन के बाद दिया जाता है. हालांकि ट्रिब्यून की मानें, तो आधिकारिक सूत्रों, राशन डिपो धारकों और समाजशास्त्रियों ने बीपीएल कार्ड प्राप्त करने के लिए खुद दी गई इस जानकारी की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया है.

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, डिपो धारकों ने कहा कि वे उच्च-मध्यम वर्ग श्रेणी के ऐसे संपन्न परिवारों को जानते हैं जो बीपीएल कार्ड हासिल करने में कामयाब रहे हैं.

एक डिपो धारक ने ट्रिब्यून को बताया, ‘मुफ्त खाद्यान्न और सस्ते राशन जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए, वे बीपीएल कार्ड पाने में कामयाब रहे हैं.’

एक अन्य डिपो धारक ने कहा, ‘शहरी इलाकों में स्थिति समान है. पारिवारिक आय अच्छी होने के बावजूद लोगों ने बीपीएल श्रेणी में आने का रास्ता खोज लिया है. कुछ परिवारों ने अलग-अलग कार्ड बनवाए हैं ताकि बीपीएल श्रेणी की सीमा का उल्लंघन न हो और उन्हें लाभ मिले.’

रिपोर्ट के अनुसार, बीपीएल परिवारों की सबसे अधिक संख्या के साथ फरीदाबाद इस सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद मेवात, हिसार और करनाल हैं. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है हिसार और करनाल राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में से हैं.

समाजशास्त्री जितेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस डेटा को संकलित करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियां, इसे सत्यापित करने में विफल रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक ​​की अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग समुदायों में इस डेटा का विभाजन भी वास्तविकता करीब नहीं है. यह संभव है कि डेटा को राजनीतिक कारणों से सत्यापित नहीं किया गया है.’

बीपीएल पात्रता मानदंड में परिवर्तन

मनोहरलाल खट्टर ने 2021 में बीपीएल कार्ड के लिए पात्र होने के लिए आर्थिक मानदंड की सीमा को 1.2 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.8 लाख रुपये कर दिया था. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में यह भी घोषणा की थी कि 12,000 रुपये से अधिक बिजली बिल वाले परिवार बीपीएल लाभ लेने के पात्र होंगे.

गौरतलब बै कि ‘परिवार पहचान पत्र’ में आय की शर्त थी कि 12,000 रुपये से अधिक बिजली बिल वाले किसी भी व्यक्ति को 1.80 लाख रुपये या उससे अधिक की वार्षिक आय वाले लोगों के समान स्लैब में माना जाएगा.

इकोनॉमिक टाइम्स ने खट्टर के हवाले से बताया है कि अब इस स्लैब को हटा दिया गया है, इससे बिजली बिल की शर्त खत्म हो गई है.

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