कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड योजना को दुनिया का सबसे बड़ा ‘वसूली रैकेट’ क़रार दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, बुधवार को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने एएनआई को एक बहुत लंबा इंटरव्यू दिया. यह स्क्रिप्टेड था, लेकिन यह फ्लॉप शो था. प्रधानमंत्री ने इसमें चुनावी बांड को समझाने की कोशिश की. प्रधानमंत्री कहते हैं कि चुनावी बांड की व्यवस्था पारदर्शिता के लिए, राजनीति को साफ करने के लिए लाया गया. अगर ये सच है तो सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यवस्था को क्यों रद्द कर दिया?’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘…दूसरी बात अगर आप पारदर्शिता लाना चाहते थे तो आपने भाजपा को पैसा देने वालों के नाम क्यों छुपाए. आपने उन तारीखों को क्यों छुपाया जिस दिन उन्होंने आपको पैसे दिए थे?… यह दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली योजना है. भारत के सभी कारोबारी इस बात को समझते और जानते हैं और प्रधानमंत्री चाहे कितनी भी सफाई दे दें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं.’
निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के गुरुवार और शुक्रवार को कूच बिहार के प्रस्तावित दौरे पर रोक लगा दी है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आयोग ने कहा कि यह दौरा आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन होगा क्योंकि वहां शुक्रवार को मतदान होना है और बुधवार शाम से चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध शुरू हो चुके हैं. अख़बार ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि आयोग ने बोस के कार्यालय को बताया कि राज्यपाल के लिए कोई स्थानीय कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता क्योंकि एमसीसी लागू है और मतदान होना है. बताया गया है कि राज्यपाल की यात्रा का उद्देश्य भी स्पष्ट नहीं था. सूत्र ने कहा कि चुनाव आयोग ने इस बात का उल्लेख भी किया कि जिला प्रशासन और पुलिस को गुरुवार-शुक्रवार को चुनाव प्रबंधन के लिए तैनात होंगे और राज्यपाल को सुरक्षा कवर देने के लिए उन्हें उस काम को छोड़कर आना पड़ेगा. कूच बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को खत्म और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को बंद कर देंगे. टीएमसी विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पार्टी ने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू न करने का भी वादा किया है. घोषणा पत्र में 10 बिंदु शामिल हैं जिन्हें ‘दिदिर शोपोथ’ (दीदी के वादे) कहा गया है और इसमें 100 दिनों की गारंटी वाला काम और बढ़ी हुई न्यूनतम मजदूरी, गरीबों के लिए आवास, बीपीएल परिवारों के लिए 10 मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, घर-घर मुफ्त राशन, वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी आदि शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर लोकसभा क्षेत्र के राजपूत समुदाय के मतदाताओं ने भाजपा नेताओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुज़फ़्फ़रनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खेड़ा गांव में मंगलवार को आयोजित राजपूत समुदाय की एक महापंचायत ने सरकारी योजनाओं को लागू न करने, बढ़ती बेरोज़गारी, अग्निवीर योजना और राजपूत समाज के ‘अपमान’ के विरोध में भाजपा उम्मीदवारों का बहिष्कार करने की घोषणा की है. राजपूत समुदाय के प्रभुत्व वाले सिवाल खास (बागपत), सरधना (मेरठ) और खतौली (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीटों के अंतर्गत आने वाले 24 गांवों के समूह ‘चौबीसी’ द्वारा आयोजित महापंचायत के दौरान समुदाय के नेताओं ने मुजफ्फरनगर में सपा उम्मीदवार हरेंद्र मलिक के लिए अपना समर्थन देने की बात कही. क्षेत्र की अन्य लोकसभा सीटों को लेकर उन्होंने कहा कि वे उस उम्मीदवार को वोट देंगे जो भाजपा को हराने की स्थिति में होगा. मौजूदा भाजपा सांसद संजीव बालियान को पार्टी ने फिर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. इस सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आज़ाद लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. एनडीटीवी के अनुसार, 2 अप्रैल को उनकी पार्टी ने आज़ाद के अनंतनाग-राजौरी सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. अब पार्टी ने कहा है कि किन्हीं कारणों से अब आज़ाद चुनाव में नहीं उतरेंगे. हालांकि, पार्टी ने उन कारणों का खुलासा नहीं किया है. अब पार्टी ने मोहम्मद सलीम पारे को इस सीट से टिकट दिया है. उनके अलावा इस सीट पर सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ भी आमने-सामने होंगे. इससे पहले बीते सप्ताह नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने गुलाम नबी आज़ाद के चुनावी मैदान में न उतरने के संकेत देने के बाद उन पर भाजपा के इशारों पर चलने का आरोप लगाया था.