लोकसभा चुनाव: मतदान के दौरान मणिपुर में गोलीबारी, बंगाल में झड़पें

पिछले 11 महीने से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर की इनर मणिपुर लोकसभा सीट पर मतदान के दौरान हिंसा होने के साथ-साथ बूथ कैप्चरिंग के भी आरोप लग रहे हैं.

मणिपुर का एक मतदान केंद्र: (फोटो साभार:/@ceomanipur)

नई दिल्ली: पिछले 11 महीनों से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर राज्य के इनर मणिपुर संसदीय क्षेत्र में मतदान केंद्रों के करीब कम से कम दो गोलीबारी की घटनाएं देखी गईं. यहां शुक्रवार (19 अप्रैल) को लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान हुआ था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहर करीब 2 बजे इंफाल पूर्व के खुरई में एक मतदान केंद्र पर एक हथियारबंद व्यक्ति द्वारा की गई गोलीबारी के बाद खोइसनाम सयामाइमा (65) नाम के एक व्यक्ति को गोली लग गई. अधिकारियों ने बताया कि मतदान केंद्र में भी तोड़फोड़ की गई और दस्तावेजों को आग लगा दी गई.

बूथ स्तर के अधिकारी के अनुसार, दो हथियारबंद बदमाश कांग्रेस और भाजपा के पोलिंग एजेंट के बारे में पूछताछ करते हुए मतदान केंद्र में घुस आए और लोगों द्वारा रोके जाने से पहले कांग्रेस एजेंट को जबरदस्ती अपने साथ ले जाने की कोशिश की.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी घटना तब हुई जब कुछ हथियारबंद लोगों ने मोइरांग विधानसभा क्षेत्र के तहत थमनपोकपी में एक मतदान केंद्र पर गोलीबारी की. इस घटना में तीन लोग घायल हो गए, जिससे अधिकारियों को क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ानी पड़ी.

दोनों घटनाएं इनर मणिपुर संसदीय क्षेत्र में हुईं, जो राज्य की मेईतेई बहुल घाटी के अधिकांश हिस्से को कवर करता है, जहां छह उम्मीदवार मैदान में हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में स्थानीय रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा गया है कि घाटी के विभिन्न मतदान केंद्रों पर हथियारबंद लोगों की मौजूदगी थी – जिनके कट्टरपंथी मेईतेई सशस्त्र समूह अरामबाई तेंग्गोल के सदस्य होने का संदेह है. सोशल मीडिया पर अरामबाई तेंग्गोल द्वारा इनर मणिपुर संसदीय क्षेत्र में बूथ कैप्चरिंग के आरोप लगाए जा रहे हैं.

इसी बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें इनर मणिपुर से कांग्रेस उम्मीदवार बिमोल अकोइजाम एक मतदान केंद्र पर केंद्रीय बलों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थक उपद्रवियों द्वारा मतदान केंद्र पर कब्जा किए जाने की शिकायत करते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो वायरल हो गया है.

अकोइजाम को सुरक्षा अधिकारियों से यह पूछते हुए सुना जा सकता है कि जब उपद्रवियों ने बूथ में प्रवेश किया और उनके पोलिंग एजेंट को धमकी दी तो वे कहां थे. उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्हें एक मतदान अधिकारी ने बूथ कैप्चरिंग के बारे बताया गया है, लेकिन सुरक्षा अधिकारी उनकी शिकायत को स्वीकार करने में इनकार करते हुए देखे जा सकते हैं. एक अधिकारी ने बाद में कहा कि वे शिकायत पर गौर करेंगे.

दूसरी ओर, कुकियों के प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर और कांगपोकपी के पहाड़ी जिलों से इसके विपरीत तस्वीरें सामने आईं.

चुनाव अधिकारियों का हवाला देते हुए इंफाल फ्री प्रेस ने एक रिपोर्ट में कहा कि कांगपोकपी जिले के कई मतदान केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ था, मतदाता दोपहर 1 बजे तक वोट देने के लिए नहीं निकले.

मालूम हो कि कुकी इनपी मणिपुर और सीओटीयू सहित कुकी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले कई नागरिक समाज संगठनों ने राज्य में जारी हिंसा के मद्देनजर समुदाय के लोगों से लोकसभा चुनाव से दूर रहने की अपील की थी.

मालूम हो कि पिछले साल 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.

मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

अन्य राज्यों में भी छिटपुट हिंसा

द मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के तीन संसदीय क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में हिंसा की छिटपुट घटनाओं ने मतदान को प्रभावित किया. हिंसाग्रस्त कूच बिहार निर्वाचन क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में कई लोग घायल हो गए.

सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि टीएमसी और भाजपा ने क्रमशः लगभग 100 और 50 शिकायतें दर्ज कीं, जो मतदान के शुरुआती घंटों में चुनावी हिंसा, मतदाताओं को डराने-धमकाने और पोलिंट एजेंटों पर हमले से संबंधित हैं. सबसे ज्यादा शिकायतें कूचबिहार से आईं.

टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीतलकुची में पोलिंग एजेंटों पर हमला किया और मतदाताओं को कूच बिहार के कुछ बूथों तक पहुंचने से रोका. हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों से इनकार किया है और टीएमसी पर मतदाताओं को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है.

इसके अलावा, माथाभांगा इलाके में भी झड़प हुई. टीएमसी और भाजपा दोनों के कार्यकर्ताओं को चोटें आईं. मतदाताओं को डराने-धमकाने के आरोपों को लेकर दोनों दल एक-दूसरे से भिड़ गए.

वहीं, छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में चुनाव ड्यूटी पर तैनात सीआरपीएफ के एक जवान की मौत और एक अन्य के घायल होने की खबर है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बीजापुर जिले के उसूर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत गलगम गांव में एक अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (यूबीजीएल) का एक गोला दुर्घटनावश फटने से सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान की मौत हो गई.

अधिकारी ने कहा, ‘सीआरपीएफ की 196वीं बटालियन के कॉन्स्टेबल देवेंद्र कुमार विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें हवाई मार्ग से जगदलपुर ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.’

पुलिस ने बताया कि एक अन्य घटना में बीजापुर जिले के भैरमगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा लगाए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) में विस्फोट होने से सीआरपीएफ के एक सहायक कमांडेंट घायल हो गए. यह घटना भैरमगढ़ पुलिस थाना क्षेत्र के तहत चिहका मतदान केंद्र के पास हुई जब सुरक्षा कर्मियों की एक टीम मतदान से पहले क्षेत्र में अभियान पर निकली थी.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) द्वारा ‘फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी’ (एफएनटी) की मांग को लेकर बंद के आह्वान के बाद लगभग चार लाख मतदाताओं में से कोई भी वोट देने नहीं आया.

छह जिलों के 738 मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी मौजूद रहे, लेकिन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 विधायक भी मतदान के लिए नहीं आए. राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 56.77 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

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