तमिलनाडु: दर्जन भर से अधिक गांवों के लोगों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया

तमिलनाडु के विभिन्न जिलों के अंतर्गत आने वाले गांवों के निवासी राज्य सरकार द्वारा उनकी समस्याओं का समाधान न किए जाने से नाराज़ थे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: तमिलनाडु के कम से कम एक दर्जन गांवों के निवासियों ने शुक्रवार (19 अप्रैल) को लोकसभा चुनावों का बहिष्कार कर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कांचीपुरम जिले के एकानापुरम गांव में ज्यादातर स्थानीय लोग वोट देने नहीं गए. वे पारंदूर में दूसरा हवाई अड्डा बनाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ पिछले 600 से अधिक दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आरएल एलांगो ने कहा, ‘एकानापुरम में 1,400 वोटों में से केवल 21 लोग, जो सरकारी कर्मचारी हैं, उन्होंने मतदान किया. इस चुनाव में किसी भी निवासी और किसी किसान ने मतदान नहीं किया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार ने 600 से अधिक दिनों से हमारी चिंताओं को अनसुना कर दिया है. चुनाव की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद, हमने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया था. यहां तक ​​कि जिन 18 लोगों (वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग लोगों) को पोस्टल बैलट से मत देना था, उन्होंने भी वोट देने से इनकार कर दिया.’

मालूम हो कि द्रमुक सरकार ने चेन्नई में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ पांरदूर में दूसरा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाने का प्रस्ताव रखा है. इस परियोजना के लिए एकानापुरम और इसके आसपास के गांवों से भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी.

सरकार ने पहले घोषणा की थी कि वे भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के प्रत्येक सदस्य को आवास के लिए वैकल्पिक भूमि और सरकारी नौकरी देने के अलावा बाजार दर से 3.5 गुना अधिक मुआवजा प्रदान करेंगे.

हालांकि, ग्रामीणों ने इसका यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे उनकी कृषि भूमि छिन जाएगी और पर्यावरणविदों ने जल स्रोतों के साथ छेड़छाड़ होने को लेकर चिंताएं प्रकट की हैं.

इस बीच, पुदुकोट्टई जिले के वेंगईवयाल के अधिकांश निवासियों ने भी मतदान नहीं किया. ये लोग साल 2022 में गांव के दलित बहुल इलाके में एक ओवरहेड टैंक में मानव मल मिलाने वाले उपद्रवियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने में पुलिस की निष्क्रियता से नाराज़ हैं, जिसके चलते इन लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया है. यह टैंक एक आवासीय इलाके में पानी की आपूर्ति करता है, जहां केवल दलित रहते हैं. 60 से अधिक दलित परिवारों ने इस चुनाव का बहिष्कार किया और अपने घरों के ऊपर काले झंडे लगाए.

कुड्डालोर जिले के मुथनाई ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले कम से कम चार गांवों ने पीने के पानी, डामर वाली सड़कें और परिवहन सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया.

नागपट्टिनम के पुथिया नांबियार गांव के लोगों ने पानी की समस्या को सुलझाने में हो रही देरी पर विरोध जताया और वोट न देने का फैसला किया. तिरुवन्नामलई जिले के मोथक्कल गांव में भी लगभग 500 दलित परिवार बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण वोट देने नहीं आए.

तिरुवल्लूर जिले के कुमारराजिपेट्टई गांव के लोगों ने एक सरकारी परियोजना से नाराज होकर चुनाव का बहिष्कार किया, जिसके कारण दो मंदिरों को ध्वस्त करना पड़ा था.

इनमें से कई गांवों में चुनाव अधिकारियों और पुलिस ने मतदाताओं को समझाने की कोशिश की लेकिन वे वोट न देने पर अड़े रहे. तमिलनाडु के चुनाव कार्यालय ने इन बहिष्कारों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

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