गुजरात के सूरत लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध चुन लिया गया है, क्योंकि अन्य सभी उम्मीदवारों ने चुनाव से अपनी दावेदारी वापस ले ली. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, यह घटनाक्रम रविवार को कांग्रेस के दो उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने और आठ अन्य उम्मीदवारों द्वारा सोमवार को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के बाद सामने आया है. इसकी पुष्टि करते हुए रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने कहा कि सूरत लोकसभा सीट के लिए सफलतापूर्वक अपना नामांकन दाखिल करने वाले सभी आठ उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है, दलाल को निर्विरोध चुना गया है, जल्द ही उनकी जीत की घोषणा करेंगे. उन्होंने बताया कि सोमवार दोपहर करीब दो बजे अपनी उम्मीदवारी वापस लेने वाले अंतिम उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्यारेलाल भारती थे. बता दें कि रविवार को सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस के नीलेश कुंभानी की उम्मीदवारी खारिज कर दी गई थी. जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाए जाने के बाद यह निर्णय लिया था. इसके बाद, कांग्रेस के स्थानापन्न उम्मीदवार सुरेश पडसाला का भी नामांकन फॉर्म खारिज कर दिया गया. परिणामस्वरूप, गुजरात का मुख्य विपक्षी दल शहर के लोकसभा चुनाव में भाग नहीं ले सका. गुजरात कांग्रेस प्रमुख शक्तिसिंह गोहिल ने आरोप लगाया कि सूरत लोकसभा क्षेत्र के लिए पार्टी के उम्मीदवार के नामांकन फॉर्म को अस्वीकार करने की साजिश भाजपा द्वारा रची गई है. वहीं, गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा कि सूरत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला ‘कमल (सीट)’ दिया है. गुजरात में 7 मई को मतदान होना है.
अरुणाचल प्रदेश के आठ मतदान केंद्रों पर भारतीय निर्वाचन आयोग ने पुनर्मतदान का आदेश दिया है. इन केंद्रों पर 19 अप्रैल को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक साथ हुए मतदान के दौरान ईवीएम क्षतिग्रस्त करने और हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं. द हिंदू के मुताबिक, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी लिकेन कोयू ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आयोग ने रविवार को एक आदेश में आठ मतदान केंद्रों पर मतदान को शून्य घोषित कर दिया और 24 अप्रैल को सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक दोबारा मतदान करने का आदेश दिया है. जिन मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान होगा, उनमें पूर्वी कामेंग जिले के बमेंग विधानसभा क्षेत्र में सारियो, कुरुंग कुमे में न्यापिन विधानसभा सीट के तहत लोंगटे लोथ, ऊपरी सुबनसिरी जिले में नाचो निर्वाचन क्षेत्र के तहत डिंगसेर, बोगिया सियुम, जिम्बारी और लेंगी मतदान केंद्र शामिल हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि सियांग जिले के रुमगोंग विधानसभा क्षेत्र के तहत बोग्ने और मोलोम मतदान केंद्रों पर भी पुनर्मतदान होगा.
कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सोमवार को 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गईं 23,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अवैध भर्ती को रद्द कर दिया, और उन्हें ब्याज सहित अपना वेतन वापस करने का आदेश दिया. अदालत ने 15 दिन के भीतर पदों पर नई भर्ती करने का भी आदेश दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 2016 में ग्रुप सी, ग्रुप डी, क्लास IX और X की ओएमआर शीट में हेरफेर किया गया था, जो सभी भर्तियों को अवैध बना देता है. जिन लोगों की भर्ती की गई थी उनके नाम अवैध तरीके से पैनल में शामिल किए गए थे. इसलिए हमारे पास पूरे भर्ती पैनल को रद्द करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. फैसले को ‘अवैध’ बताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके खिलाफ अपील करने की बात कही है.
राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक धर्म विशेष के लोगों को ‘घुसपैठिया’ बताते हुए कांग्रेस की मनमोहन सरकार पर निशाना साधते हुए की गई टिप्पणी पर कांग्रेस ने सोमवार को चुनाव आयोग में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पार्टी ने अपनी शिकायत में कहा कि मोदी और भारतीय जनता पार्टी (और उसके वरिष्ठ नेताओं) ने अपने चुनाव अभियान में जानबूझकर और बार-बार धर्म, धार्मिक प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल किया है और यह बिना कोई सजा पाए किया जा रहा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने झूठे और विभाजनकारी आक्षेप लगाए, एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित किया और आम जनता को उस धार्मिक समुदाय के खिलाफ कदम उठाने और शांति भंग करने के लिए स्पष्ट रूप से उकसाया. बता दें कि बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आया तो जनता की मेहनत की कमाई को ‘घुसपैठियों’ और ‘ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ को दे दिया जाएगा. इस बीच, चुनाव आयोग ने मोदी के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. एनडीटीवी के मुताबिक, इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम इस पर टिप्पणी नहीं करेंगे.’
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह जाति-आधारित जनगणना की मांग का समर्थन करती है. यह मुद्दा उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस द्वारा उठाया गया था और एनसीपी की सहयोगी भाजपा इसे दरकिनार करती आई है. एनडीटीवी के मुताबिक, घोषणापत्र में कहा गया है कि ‘हमारी पार्टी जाति, पंथ और धर्म से परे एक इंसान के रूप में जीने के अधिकार में विश्वास करती है. यह समानता और एकता में विश्वास करती है. एनसीपी को समाज सुधारक साने गुरुजी के इस कथन पर विश्वास है, ‘सच्चा धर्म दुनिया को प्यार देना है.’ हमें समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना होगा. हम जाति आधारित जनगणना की मांग करेंगे.’ पवार ने कहा कि भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से हाथ मिलाने के बाद भी उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी है.