नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच गरमाती सियासत और आरोप-प्रत्यारोप के बयानों को लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायतें पहुंचने का सिलसिला जारी है.
कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने सोमवार (22 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग में शिकायत कर आयोग से सख़्त कार्रवाई की मांग की है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, विपक्ष का कहना है कि रविवार (21 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान के बांसवाड़ा में दिया गया चुनावी भाषण बेहद जहरीला, सांप्रदायिक और नफरत से भरा हुआ है, जिसका मकसद भारत की जनता के बीच धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना है. कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में प्रधानमंत्री की टिप्पणी को विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण बताया है.
कांग्रेस की ओर से शिकायत लेकर चुनाव आयोग एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था. इसमें शामिल पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया, ‘हमने कुल 17 शिकायतें की हैं. ये सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं. हम आशा करते हैं कि जल्द से जल्द ठोस और स्पष्ट कदम उठाए जाएंगे.’
सिंघवी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पद पर आसीन एक व्यक्ति ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लंघन किया है. भारतीय संविधान की अस्मिता पर प्रहार किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘ ये भारत, संविधान, प्रधानमंत्री के पद और निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता का सवाल है…जो बाकि लोगों के साथ आचार संहिता उलंल्घन मामले में किया जाता है, वो प्रतिबंध यहां भी लगाने चाहिए. चाहे कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा है, क्योंकि यह संवैधानिक अस्मिता का सवाल है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या अन्य दलों के उम्मीदवारों को भी आचार संहिता उल्लंघन मामले में वही छूट मिलेगी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले एक दशक से मिलती आ रही है. आयोग उनके गंभीर उल्लंघनों के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा नहीं रखता है.
आयोग को दी गई याचिका में पीएम मोदी द्वारा बार-बार आचार संहिता उल्लंघन के लिए चुनाव में एक उम्मीदवार के रूप में उन्हें तत्काल अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. इसमें पीएम मोदी के हालिया राजस्थान में दिए भाषण के साथ ही अन्य बयानोंं का भी जिक्र किया गया है.
कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग को सौंपी गईं सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं. कांग्रेस ने भाजपा पर सोशल मीडिया हैंडल पर धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर इसके आधार पर वोट मांगने का आरोप भी लगाया है. पार्टी ने कहा कि इस मामले में भी निर्वाचन आयोग को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.
अपनी याचिका में कांग्रेस ने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री को आदर्श आचार संहिता के बेशर्म उल्लंघन के साथ-साथ उनके और उनकी पार्टी द्वारा किए गए सभी प्रकार के अपराधों, चुनाव और इससे इतर के लिए चुनाव आयोग द्वारा जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.’
कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग के लिए भी एक परीक्षा है और इस मामले में चुनाव आयोग की निष्क्रियता उसकी विरासत को धूमिल कर देगी.
कांग्रेस के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) और नागरिक समाज के लोगों के एक समूह ने भी पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग चुनाव आयोग से की है.
इस संबंध में माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण भड़काने वाला, आचार संहिता और सुप्रीम कोर्ट के हेट स्पीच पर दिए फैसले का घोर उल्लंघन है. इसके खिलाफ तुरंत एफआईआर करने की जरूरत है. इस मामले में आयोग की उचित कार्रवाई करने में विफलता, एक स्वायत्त संस्थान के रूप में इसकी विश्वसनीयता को और कमजोर कर देगी. साथ ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए माहौल को और खराब करेगी.
येचुरी ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट पीएम मोदी के इस ‘भड़काऊ भाषण’ पर स्वत: संज्ञान लेगा. उन्होंने बताया कि पार्टी ने इसके खिलाफ राजधानी दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में भी शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की थी, लेकिन वहां के एसएचओ ने इससे इनकार कर दिया जिसके बाद शिकायत दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेज दी गई है.