पलक्कड़: लदाख में चल रहे जलवायु विरोध, जिसे अधिकांश लद्दाखियों और पूरे भारत में बहुत से लोगों ने समर्थन दिया है, ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बैकफुट पर धकेल दिया है. मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए केंद्रशासित प्रदेश में अपने मौजूदा सांसद को हटा दिया है और एक नया उम्मीदवार खड़ा किया है.
मंगलवार (23 अप्रैल) को भाजपा ने घोषणा की कि लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के वर्तमान अध्यक्ष ताशी ग्यालसन, मौजूदा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल के स्थान पर लद्दाख के लिए उसके नए उम्मीदवार होंगे.
नामग्याल ने यह सीट तब जीती थी, जब पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करेगी.
हालांकि, ऐसा नहीं हुआ है और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, स्थानीय नेताओं और नागरिकों के साथ मोदी सरकार के प्रति अपनी नाखुशी व्यक्त कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत 4 मार्च को वांगचुक द्वारा 21 दिनों की भूख हड़ताल के साथ हुई थी.
वांगचुक अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से इस विरोध प्रदर्शन के लगभग दैनिक अपडेट देते रहे हैं.
इसी कड़ी में उन्होंने रविवार (21 अप्रैल) को एक पोस्ट में कहा कि उन्हें एक गुमनाम पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि ‘एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग’ ने जांच के लिए लद्दाख में उनके संस्थान के बैंक डिटेल ले लिए हैं.
वांगचुक ने कहा कि एक अन्य ‘शुभचिंतक’ ने उन्हें उनके जान के संभावित खतरों के बारे में चेतावनी दी है.
इस बीच, लद्दाख के सूत्रों ने द वायर को बताया कि मठों को भाजपा के पक्ष में करने का प्रयास किया गया है क्योंकि उनमें से लगभग सभी ने जलवायु विरोध के प्रति समर्थन दिखाया है और उनके भिक्षु विरोध में उपवास कर रहे हैं, जिससे भाजपा खेमे में खासी अशांति पैदा हो रही है.
‘सरकार ने मांगी बैंक डिटेल्स’
रविवार को वांगचुक ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पिछले दिनों एक ‘बहुत ही अजीब और दिलचस्प घटना’ घटी.
वांगचुक ने कहा कि उन्हें एक सादा, बिना निशान वाला लिफाफा मिला है जिसके अंदर एक हाथ से लिखा गए पत्र है. पत्र में दावा किया गया है कि ‘वांगचुक के संस्थान’ (वांगचुक स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख के संस्थापक-निदेशक हैं) के बैंक खाते का विवरण हाल ही में बैंकों से ‘एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग’ द्वारा लिया गया.
पत्र को पढ़ते हुए वांगचुक कहते हैं, ‘(अरविंद) केजरीवाल के मामले में भी ऐसा ही हुआ है.’
2005 में लागू मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) और इसके तहत अधिसूचित नियमों का उद्देश्य देश में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटना है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के तहत वित्तीय खुफिया इकाई के पास इस अधिनियम को लागू करने की शक्ति है.
ज्ञात हो कि ईडी ने ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, केजरीवाल फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं. दिल्ली की एक अदालत ने 23 अप्रैल को उनकी न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ा दी थी.
वांगचुक ने कहा, ‘पत्र में यह भी कहा गया है कि यह जानकारी वांगचुक या किसी और को नहीं पता लगनी चाहिए थी, लेकिन गुमनाम लेखक – जिन्होंने खुद को वांगचुक का ‘प्रशंसक’ बताया है- को लगा कि सोनम को इसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए.
वांगचुक ने कहा कि वह मरने से नहीं डरते और अगर वह गुजर गए तो भारत के लोगों को समझ आ जाएगा कि देश कैसे चलाया जा रहा है.
वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘मुझे इस तरह से मरने में सबसे ज्यादा खुशी होगी… कभी-कभी मौतें क्रांतियों को जन्म दे सकती हैं.’
वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘मैं वास्तव में इस तरह की जांच का स्वागत करता हूं क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे उन्हें और आप सभी को पता चलेगा कि मेरे संस्थान में क्या होता है.’
जान के खतरे की चेतावनी?
वांगचुक ने कहा कि उसी दिन एक व्यक्ति, जिसने केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों में से एक में काम करने का दावा किया था और जिसने यह भी कहा था कि वह वांगचुक के काम का प्रशंसक है, उसके पास आया और कहा कि वांगचुक को उनकी सुरक्षा और जान का ‘बहुत अच्छी तरह से ख्याल रखना’ चाहिए.
वांगचुक ने उस व्यक्ति का हवाला देते हुए कहा कि उसने उसे बताया था दुर्घटनाएं हो सकती हैं और वांगचुक के जान को खतरा हो सकता है.
केंद्र सरकार के साथ वार्ता विफल होने और सरकार द्वारा लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने, केंद्रशासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने से इनकार करने के बाद वांगचुक, कई स्थानीय नेता और हजारों लद्दाखी 4 मार्च से क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं.
21 अप्रैल, जिस दिन वांगचुक ने गुमनाम पत्र के बारे में बात की, वह अनशन का 46वां दिन था.
वांगचुक ने 21 दिनों तक सिर्फ पानी और नमक खाकर आमरण अनशन कर इस विरोध की शुरुआत की थी. वर्तमान में लद्दाख भर के मठों के भिक्षु लेह में विरोध स्थल पर उपवास कर रहे हैं.
वांगचुक ने 21 अप्रैल को अपने सोशल मीडिया वीडियो पोस्ट में कहा, ‘हम सभी भारत सरकार, विशेष रूप से गृह मंत्रालय को उन वादों को याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं जो उन्होंने लद्दाख के इन नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और स्वदेशी लोगों की संस्कृतियों को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षित रखने के लिए किए थे.’
वांगचुक ने कहा कि यह सरकार द्वारा किए गए वादों में से एक है और पिछले दो चुनावों में उनके घोषणा पत्रों में शीर्ष एजेंडा था, जो इनके आधार पर जीते गए थे. इसके बाद वे पीछे हट गए और अपना वादा कभी नहीं निभाया.
मामले से परिचित एक सूत्र ने द वायर को बताया कि वे लगभग एक साल से सुन रहे हैं कि एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग जांच के लिए वांगचुक का विवरण ले रहा है.
नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने कहा, ‘हालांकि, विभाग को ‘वांगचुक पर कुछ नहीं मिलेगा.’
वांगचुक के खाते और उनसे जुड़ी जानकारी सभी सही हैं; सूत्र ने यह भी दावा किया कि वांगचुक ने वार्ता के लिए प्राप्त भुगतान के लिए कर का भुगतान भी किया है (भले ही लद्दाख अब एक केंद्र शासित प्रदेश है, इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है), जिससे वह अपने काम की फंडिंग करते हैं.
सूत्र ने बताया कि हालांकि, यह पहली बार है कि वांगचुक को इस संबंध में कोई लिखित पत्र मिल रहा है.
भाजपा द्वारा नए उम्मीदवार की घोषणा
भाजपा ने घोषणा की कि ताशी ग्यालसन लोकसभा चुनाव के लिए उसके उम्मीदवार होंगे – जो 20 मई को लद्दाख में होंगे. ग्यालसन लद्दाख की स्वायत्त हिल काउंसिल के वर्तमान अध्यक्ष हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, नए उम्मीदवार के नामांकन ने ‘पार्टी नेताओं के एक वर्ग को निराश’ किया, जो नामग्याल का समर्थन करते हैं.
इसमें कहा गया है कि लद्दाख में कुछ भाजपा नेता भी इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं.
द वायर से विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करने वाले सूत्र ने कहा, ‘हम जानते थे कि नामग्याल वैसे भी बाहर जा रहे हैं… लेकिन ग्यालसन भी (लद्दाख को भाजपा के पक्ष में करने के बारे में) कुछ नहीं कर पाएंगे.’
‘तो एक तरफ सभी मठ खुश हैं, लेकिन इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि किसे वोट देना है… लेकिन साथ ही, वे उपवास और विरोध भी कर रहे हैं (वांगचुक के साथ)… लगभग सभी मठों ने विरोध को समर्थन दिया है. इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या होता है.’
सूत्र ने दावा किया कि विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले कई लोग यह भी चाहते हैं कि वांगचुक एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतरें और चुनाव जीतें.
सूत्र ने कहा, हालांकि, वांगचुक ऐसा करने के लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं.
भाजपा के लिए लद्दाख जीतना प्रतिष्ठा का सवाल है और वहां की हलचल उन्हें परेशान कर रही है. केंद्र शासित प्रदेश को अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर से अलग कर बनाया गया था और भाजपा को उम्मीद है कि वह इस क्षेत्र पर अपनी चुनावी पकड़ को लद्दाख पर कश्मीर के ‘प्रभुत्व’ के रूप में पेश की गई जीत के रूप में प्रदर्शित करने में सक्षम होगी.
यह अभियान ‘बौद्ध’ लद्दाख को बड़े क्षेत्र से अलग रखने के लिए भी था. लेकिन वांगचुक जैसे कार्यकर्ताओं के भाजपा के खिलाफ हो जाने और लेह के भिक्षुओं और करगिल के मुसलमानों दोनों के साथ साझा मुद्दा बनाते हुए अधिक स्वायत्तता के लिए जोर देने के बाद भाजपा की चुनावी महत्वाकांक्षाएं विफल हो गईं.
इसके अलावा वांगचुक ने लद्दाख में चीन के साथ सीमा संकट को प्रमुखता से उठाया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)