अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आठ फरवरी 2018 तक टली

एक पक्षकार की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आग्रह किया कि अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में सुनवाई कराई जाए.

(फोटो: पीटीआई)

मामले में एक पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आग्रह किया कि अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में सुनवाई कराई जाए क्योंकि मौजूदा माहौल अनुकूल नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक प्रकरण में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर दीवानी अपीलों पर अगले साल आठ फरवरी को सुनवाई करने का मंगलवार को निश्चय किया.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने इस प्रकरण के सभी एडवोकेट्स आन रिकॉर्ड से कहा कि वे एक साथ बैठकर यह सुनिश्चित करें कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल करने से पहले सभी जरूरी दस्तावेजों का अनुवाद हो गया हो और उन पर संख्या लिखी जा चुकी हो.

इस मामले में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वकीलों को रजिस्ट्री से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है.

पीठ ने एक पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के इस आग्रह को बहुत गंभीरता से लिया कि इन अपीलों पर अगले लोक सभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में सुनवाई करायी जाए क्योकि मौजूदा माहौल अनुकूल नहीं है.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस दलील का पुरजोर विरोध किया कि दस्तावेजों से संबंधित काम पूरा नहीं हुआ है.

उन्होंने दावा किया कि हर चीज का अनुपालन किया जा चुका है और ये मामले सुनवाई के लिए तैयार हैं.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत से अपनी व्यवस्था में विवादित भूमि को तीनों पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.