लद्दाख: सोनम वांगचुक ने पूछा- केवल गृह मंत्रालय को दी गई जानकारी ट्रोल्स तक कैसे पहुंची

लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे जलवायु एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी कर सवाल किया कि ट्रोल्स के पास उनके एनजीओ की 25 साल पुरानी जानकारी, जो सिर्फ उनके और गृह मंत्रालय के पास है, कैसे पहुंची.

सोनम वांगचुक. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: लद्दाख के इनोवेटर और एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक, जो इस केंद्र शासित प्रदेश और उसके लोगों के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग करने वाले विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं, ने सवाल किया है कि क्या सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करने वाले सभी लोगों और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच कोई संबंध है.

रिपोर्ट के अनुसार, सूबे में चल रहे विरोध प्रदर्शन, जिसमें लद्दाख और करगिल के विभिन्न समूहों द्वारा क्रमिक भूख हड़ताल की जा रही है, के 51वें दिन वांगचुक ने एक वीडियो जारी किया जिसमें आंदोलन के बारे में उनके पोस्ट पर हुई विभिन्न प्रकार की ट्रोलिंग का विवरण दिया है.

उन्होंने कहा कि उन्हें सीआईए एजेंट कहा जाता है, उन पर अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस से फंड लेने का आरोप लगाया जाता है, साथ ही चीन से पैसा लेने और चीन के प्रोपगैंडा से जुड़े होने का आरोप लगाया जाता है.

वांगचुक ने कहा, ‘चीनी फंडिंग का आरोप सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि लद्दाख के सभी लोगों को ठेस पहुंचाता है, क्योंकि हम चीन से भिड़ते आए हैं और भारत को चीनी घुसपैठ से रक्षा करते रहे हैं और ऐसे में ये आरोप बहुत ठेस पहुंचाने वाले हैं.’

वांगचुक पर एक और आरोप यह लगा कि उन्हें डैनचर्चएड नामक संगठन से धन मिल रहा है. उन्होंने कहा, ‘आपने शायद इसके बारे में नहीं सुना होगा, लेकिन यह एक प्रतिष्ठित डेनिश संगठन है जो दुनिया भर के कई देशों में काम करता है और हमने लगभग 25 साल पहले शिक्षा में सुधार के लिए एक कार्यक्रम पर उनके साथ काम किया था. वह कार्यक्रम भारत के लिए गर्व का विषय था.’

वांगचुक ने कहा, ‘25 साल पुराना यह मामला फाइलों में दब गया है – ऐसी फाइलें जो केवल हमारे कार्यालय या केंद्रीय गृह मंत्रालय में मौजूद हैं. क्योंकि एक एनजीओ के तौर पर हम हर साल गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजते हैं. लेकिन यहां जो ताज्जुब की बात यह है कि यह जानकारी, जो 25 साल पहले की फाइलों में है – इन ट्रोल्स के हाथ में कहां से आती होगी. यह हमारी ओर से नहीं हो सकती है, इसलिए गृह मंत्रालय की फाइलों से – किसी तरह इन ट्रोल्स के हाथों तक पहुंच गई है. मैं इस बारे में सोचूंगा और आपको भी सोचना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने पहले भी देखा है कि इन ट्रोल्स द्वारा किए गए पोस्ट में ऐसी जानकारी होती है जो मैंने विशेष रूप से गृह मंत्रालय की एजेंसियों में काम करने वालों से सुनी है. यह ट्रोल तक कैसे पहुंचता है? क्या आप अनुमान लगा सकते हैं?’

मालूम हो कि बीते 21 अप्रैल को सोनम वांगचुक ने कहा था कि उन्हें गुमनाम शुभचिंतक से सरकारी जांच की चेतावनी मिली है. उन्होंने बताया था कि उन्हें मिले एक गुमनाम पत्र में कहा गया कि ‘एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग विभाग’ ने उनके संस्थान की बैंक डिटेल्स ली हैं, साथ ही ख़ुद को सोनम का ‘शुभचिंतक’ बताने वाले एक अन्य शख़्स ने उन्हें जान के संभावित ख़तरों को लेकर चेताया था.

गौरतलब है कि लद्दाख में नागरिक समाज समूह राज्य का दर्जा देने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के स्थानीय लोगों के लिए प्रशासन में नौकरी आरक्षण नीति और लेह और करगिल जिलों के लिए एक संसदीय सीट की मांग कर रहे हैं.

संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है. छठी अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों में स्वायत्त प्रशासनिक जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है जिसमें कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता होती है. ये परिषद भूमि, जंगल, जल, कृषि, स्वास्थ्य, स्वच्छता, विरासत, विवाह और तलाक, खनन और अन्य को नियंत्रित करने वाले नियम और कानून बना सकती हैं. अभी तक असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में 10 स्वायत्त परिषदें मौजूद हैं.