नई दिल्ली: उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाए गए 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को रद्द कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नियामक के आदेश में भ्रामक विज्ञापन के कारण ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम के उल्लंघन का हवाला दिया गया है.
आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के तहत बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
एसएलए ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 15 अप्रैल, 2024 को आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उनके 14 उत्पादों – ‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रॉन्चोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवालेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवामृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने 10 अप्रैल को एसएलए से कंपनी के कथित भ्रामक दावों के लिए उसके खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में सूचित करने को कहा था.
अपने जवाब में एसएलए ने यह भी कहा कि, ‘16.04.2024 को ड्रग इंस्पेक्टर/जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी हरिद्वार ने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ सीजेएम हरिद्वार के समक्ष डीएमआर अधिनियम की धारा 3, 4 और 7 के तहत एक आपराधिक शिकायत दर्ज की है.’
एसएलए ने कहा कि उसने 23 अप्रैल को उत्तराखंड में सभी आयुर्वेदिक, यूनानी दवा कारखानों को आयुष मंत्रालय के पत्र का संदर्भ देते हुए लिखा था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि, ‘प्रत्येक आयुर्वेदिक/यूनानी दवा कारखाने को ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज अधिनियम, 1954 का सख्ती से पालन करना होगा. कोई भी दवा फैक्ट्री अपने उत्पाद के लेबल पर आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित/प्रमाणित जैसे दावों का उपयोग नहीं करेगी.’
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ की गई शिकायतों पर दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की थी.
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ की गई शिकायतों पर चेतावनी देने और कंपनी को विज्ञापन बंद करने के लिए कहने के अलावा दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की.
मालूम हो कि केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. बीते फरवरी महीने में लिखे पत्र में केंद्र से शिकायत करते हुए उत्तराखंड के अधिकारियों पर केंद्र के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था.