नई दिल्ली: भारत ने टोरंटो में रविवार (28 अप्रैल) को खालसा दिवस समारोह के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संबोधन के दौरान लगे ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे पर नाराजगी जताते हुए कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, खालसा दिवस का कार्यक्रम ओंटारियो सिख और गुरुद्वारा परिषद द्वारा खालसा पंथ की स्थापना के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. टोरंटो के इस कार्यक्रम में ट्रूडो के अलावा वहां की विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता भी मौजूद थे.
प्रधानमंत्री ट्रूडो जैसे ही कार्यक्रम को संबोधित करने मंच पर पहुंचे, वहां उपस्थित लोगों द्वारा ‘खालसा जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए, जो लाइव-स्ट्रीमिंग वीडियो में भी सुने जा सकते थे.
इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा सोमवार शाम एक बयान जारी कर बताया गया कि भारत ने कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर को एक कार्यक्रम में ‘खालिस्तान’ पर अलगाववादी नारे लगाए जाने के संबंध में तलब किया था. इस कार्यक्रम को कनाडा के प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से संबोधित कर रहे थे.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत ने कनाडा में इस तरह के कार्यक्रम को बेरोक-टोक करने की अनुमति दिए जाने पर ‘गहरी चिंता और कड़ा विरोध’ व्यक्त किया है.
बयान में आगे कहा गया कि कनाडा में एक बार फिर अलगाववाद, उग्रवाद और हिंसा को राजनीतिक जगह दी गई है. यह गतिविधियां भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित करती हैं. साथ ही कनाडा में भारतीयों के साथ हिंसा के माहौल को बढ़ावा देती हैं.
ट्रूडो ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि वे कनाडा में रह रहे 8 लाख सिखों के अधिकारों और स्वतंत्रता की हमेशा रक्षा करेंगे. कनाडाई पीएम ने कहा कि वे देश का सुरक्षा ढांचा और मजबूत कर रहे हैं. गुरुद्वारों समेत सभी पूजास्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है. कोई भी व्यक्ति बिना किसी चिंता के कनाडा में अपने धर्म का पालन कर सकता है. यह कनाडाई चार्टर ऑफ राइट्स एंड फ्रीडम में निहित एक बुनियादी अधिकार है, जिसकी हम दृढ़ता से रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
ट्रूडो के संबोधन के बाद विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे के भाषण से पहले भी वहां मौजूद लोगों ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए.
गौरतलब है कि खालिस्तान समर्थक कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से भारत और कनाडा के रिश्ते में तनाव बढ़ा है.
पिछले सितंबर में कनाडाई प्रधानमंत्री ने संसद में खड़े होकर निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के संभावित संलिप्तता के आरोप लगाए थे. निज्जर को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी घोषित किया गया था. तब भारत सरकार ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिक मिशनों से एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. भारत ने आगे बढ़कर कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं बंद कर दीं. हालांकि एक महीने बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया.
इसके अलावा भारत सरकार ने देश में कनाडा से अपनी राजनयिक उपस्थिति में कटौती करने के लिए भी कहा था, जिसके कारण ओटावा को 40 से अधिक राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा था. इस महीने की शुरुआत में कनाडा ने स्थानीय कर्मचारियों की संख्या में कटौती करके अपनी उपस्थिति को और कम कर दिया है.