गूगल ने इज़रायल के साथ अनुबंध का विरोध करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

पिछले महीने न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में गूगल के कुछ कर्मचारियों ने इज़रायल सरकार के साथ कंपनी के क्लाउड अनुबंध के विरोध में धरना दिया था, जिसके बाद गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने उन्हें राजनीतिक बहस में न पड़ने की हिदायत दी थी.

अमेरिका स्थित गूगल हेडक्वार्टर की एक तस्वीर. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: गूगल कर्मचारियों के एक समूह ने अमेरिकी श्रम बोर्ड में एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें दावा किया गया है कि कंपनी ने अवैध तरीके से करीब 50 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है क्योंकि वे इजरायल सरकार के साथ इसके क्लाउड अनुबंध का विरोध कर रहे थे.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इजरायल के साथ कंपनी के समझौते का विरोध करने पर निकाले गए कर्मचारियों ने नेशनल लेबर रिलेशंस बोर्ड (एनएलआरबी) में शिकायत दर्ज कराई है. कर्मचारियों का आरोप है कि गूगल ने उनका रोजगार छीनकर उनके श्रम अधिकारों का उल्लंघन किया है.

एक पेज की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर गूगल ने अमेरिकी श्रम कानून के तहत प्राप्त उनके अधिकारों में हस्तक्षेप किया है, जो काम के लिए बेहतर परिस्थितियों की वकालत करते हैं.

निकाले गए कर्मचारियों का दावा है कि वह राजनीतिक बहस में नहीं पड़ रहे हैं, बल्कि इजरायल जैसी सरकारों को बेचे गए सॉफ्टवेयर को बनाने से संबंधित कार्य शर्तों (वर्क कंडीशंस) पर चर्चा कर रहे थे. उनका मानना है कि यह चर्चा नेशनल लेबर रिलेशंस एक्ट (एनएलआरए) के तहत संरक्षित गतिविधि है.

एक कर्मचारी ने कहा, ‘यह कानूनन संरक्षित गतिविधि है. सुंदर पिचाई कह सकते हैं कि वह यह नहीं चाहते, लेकिन एनएलआरए इसका विरोध करता है. गूगल संभवत: दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनी है, और हर दिन कर्मचारी जो काम करते हैं उसका अभूतपूर्व प्रभाव होता है.’

वाशिंगटन पोस्ट ने श्रम बोर्ड में दायर दस्तावेजों के हवाले से कहा है कि कर्मचारियों का विशेष तौर पर यह कहना है कि गूगल ने कर्मचारियों द्वारा सीधे तौर पर उनकी सेवा शर्तों से जुड़े शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन, जो उनका संरक्षित अधिकार है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें नौकरी से निकालकर या छुट्टी पर भेजकर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है.

गूगल की एक पूर्व कर्मचारी ज़ेल्डा मोंटेस, जिन्हें प्रोजेक्ट निम्बस के विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था, ने कहा कि गूगल ने संगठन को कुचलने के लिए कर्मचारियों को निकाला है और अपने कर्मचारियों को संदेश दिया है कि असहमति सहन नहीं की जाएगी. गूगल कर्मचारियों के बीच डर पैदा करने का प्रयास कर रहा है.

बता दें कि पिछले महीने न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में गूगल के कुछ कर्मचारियों ने इजरायल सरकार के साथ कंपनी के क्लाउड अनुबंध के विरोध में धरना दिया था. इजरायल सरकार को क्लाउड सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गूगल और अमेजॉन के साथ संयुक्त रूप से 120 करोड़ डॉलर (1.2 बिलियन डॉलर) के प्रोजेक्ट निम्बस के तहत अनुबंध हुआ है. कर्मचारियों का दावा है कि यह प्रोजेक्ट इजरायल के सैन्य उपकरणों को डेवलप का समर्थन करता है.

उधर, गूगल ने कहा है कि निम्बस समझौता अनुबंध ‘हथियारों या खुफिया सेवाओं से संबंधित अत्यधिक संवेदनशील, गोपनीय या सैन्य कामों से जुड़ा नहीं है.’

मंगलवार को एक बयान में कंपनी ने कहा है कि निकाले गए कर्मचारियों का बर्ताव ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ था और इससे अन्य कर्मचारियों को खतरा और असुरक्षा महसूस हुई.

कंपनी ने कहा, ‘हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हर वो व्यक्ति, जिसे नौकरी से हटाया गया है, हमारी इमारतों में अराजकता फैलाने में निश्चित रूप से शामिल था।’

इससे पहले पिछले हफ्ते गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कर्मचारियों को भेजे एक ईमेल में कहा था कि कंपनी की संपत्ति का इस्तेमाल अशांति फैलाने वाले मुद्दों और राजनीतिक बहस में नहीं किया जाना चाहिए.