नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित कर दीं. इसके अनुसार, कार्यकारी समिति में 9 में से न्यूनतम 3 पद और 6 वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य पदों में से 2 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ द्वारा दिए गए निर्देश में कहा गया है, ‘पदाधिकारी का कम से कम एक पद विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों के लिए बारी-बारी से और रोटेशन के आधार पर आरक्षित किया जाएगा और 2024-2025 के आगामी चुनाव में कार्यकारी समिति के कोषाध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है.’
पीठ ने स्पष्ट किया कि, ‘आरक्षण केवल न्यूनतम गारंटी के लिए है और एससीबीए की महिला सदस्य, उनकी पात्रता के हिसाब से कार्यकारी समिति में सभी पदों के लिए चुनाव लड़ने की हकदार होंगी.’
अदालत ने इस साल का चुनाव 16 मई को और मतगणना 18 मई को होना तय किया है.
पीठ ने निर्देश दिया कि चुनाव मतदाता सूची के आधार पर होगा, जिसे वर्ष 2023 के चुनाव में अंतिम रूप दिया गया था. इसमें कहा गया है कि वे सभी सदस्य जो 1 मार्च, 2023 और 29 फरवरी, 2024 के बीच पात्र हो गए, उन्हें भी मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा.
यह आदेश वकील कुमुदलता दास द्वारा दायर एक आवेदन पर आया, जिसमें बार निकाय की चुनावी प्रक्रिया में सुधार की मांग की गई थी.
पीठ ने कहा कि 30 अप्रैल को आयोजित एससीबीए की आम सभा की विशेष बैठक में पेश किए गए आठ प्रस्ताव अपेक्षित दो-तिहाई बहुमत जुटाने में विफल रहे थे.
इनमें उस प्रस्ताव को वापस लेना भी शामिल था कि बार का कोई भी सदस्य अपने जीवनकाल में चार साल से अधिक समय तक किसी एक पद पर रहने के लिए पात्र नहीं होगा, साथ ही जमा शुल्क में संशोधन और एससीबीए कार्यकारी में विभिन्न पदों के लिए चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों की पात्रता में संशोधन शामिल थे. यह भी मांग की गई थी कि समिति, कार्यकारी समिति का कार्यकाल एक से दो वर्ष तक बढ़ाया जाए और एससीबीए कार्यकारी समिति में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित हो.
पीठ ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा, ‘इस संबंध में हमने बार के विभिन्न वरिष्ठ सदस्यों को सुना है. हमारा मानना है कि एससीबीए एक प्रमुख संस्था है और देश के सर्वोच्च न्यायिक मंच का एक अभिन्न अंग है. मानदंड, पात्रता शर्तें, सदस्यता, सदस्यता शुल्क संरचना आदि दशकों तक स्थिर नहीं रह सकते हैं और समय-समय पर संस्थान के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए समय पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है.’
इसमें कहा गया है कि, ‘बार के सदस्यों के सुझावों पर उचित विचार के बाद ऐसे सुधार लाए जाने की जरूरत है.’