अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- भारत, जापान ऐसे देश जो अप्रवासियों का स्वागत नहीं करते

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक कार्यक्रम में अमेरिका के विरोधी माने जाने वाले चीन और रूस को 'ज़ेनोफोबिक' बताते हुए भारत और जापान का नाम भी जोड़ा. इसके बाद ह्वाइट हाउस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कि बाइडन की टिप्पणी अपमानजनक नहीं थी और वे केवल अमेरिका की इमिग्रेंट्स नीति के बारे में बात कर रहे थे.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन. (फोटो साभार: फेसबुक/@/POTUS)

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार (1 मई) को जापान और भारत को ‘ज़ेनोफोबिक’ (अप्रवासियों/विदेशियों से डरने वाला) देश कहा है.

उन्होंने इन दोनों देशों को रूस और चीन के साथ भी जोड़ा, जिन्हें अमेरिका के विरोधियों के रूप में देखा जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि इमीग्रेशन नीति पर ये चारों अमेरिका से कैसे भिन्न हैं.

एपी न्यूज के अनुसार, बाइडन ने एक होटल के फंड रेज़र कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘आगामी अमेरिकी चुनाव स्वतंत्रता, अमेरिका और लोकतंत्र के बारे में है, और देश की अर्थव्यवस्था आपकी और कई अन्य लोगों की वजह से फल-फूल रही है.’

बाइडन की इस सभा में अधिकांश दर्शक एशियाई अमेरिकी थे.

उन्होंने आगे कहा, ‘क्यों? क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं. सोचिएगा इसके बारे में. चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों पिछड़ रहा है? जापान को परेशानी क्यों हो रही है? रूस और भारत क्यों परेशान है? क्योंकि वे ज़ेनोफ़ोबिक हैं. वे अप्रवासी नहीं चाहते.’

बाइडन ने आगे कहा, ‘अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं. मजाक नहीं है, क्योंकि हमारे पास ऐसे श्रमिकों की संख्या है जो यहां रहना चाहते हैं और योगदान देना चाहते हैं.’

राष्ट्रपति के बयान के बाद ह्वाइट हाउस ने दावा किया है कि बाइडन की टिप्पणी अपमानजनक नहीं थी और वे केवल अमेरिका की इमिग्रेंट्स नीति के बारे में बात कर रहे थे.

ह्वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता कैरिन जीन-पियरे ने कहा है, ‘हमारे सहयोगी और साझेदार अच्छी तरह से जानते हैं कि राष्ट्रपति बाइडन उन्हें कितना महत्व देते हैं. उनकी मित्रता और सहयोग केवल सुरक्षा संबंधी नहीं है, बल्कि कई अन्य मुद्दों पर उनकी क्षमताओं और महत्ता का सम्मान करते हैं. हमारे सहयोगी समझते हैं कि बाइडन गठबंधन और साझेदारी के विचार को कितना महत्व देते हैं.’