प्रज्वल रेवन्ना केस: कथित यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाओं ने पहचान उजागर होने के बाद घर छोड़ा

जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना द्वारा कथित यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाओं की वीडियो क्लिप फैलने के बाद उनके घर छोड़ देने की ख़बर सामने आई है. बताया गया है कि हासन ज़िले की इन महिलाओं की पहचान सामने आने के बाद उनका अपने ही क़स्बे-गांवों में रहना मुश्किल हो गया, जिसके चलते उन्हें अपने परिवार के साथ घर तक छोड़ने को मजबूर होना पड़ा.

प्रज्ज्वल रेवन्ना. (फोटो साभार: फेसबुक/iPrajwalRevanna)

नई दिल्ली: हासन से जनता दल (सेकुलर) (जेडीएस) के सांसद और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के कथित यौन उत्पीड़न का मामला बीते कई दिनों से सुर्खियों में है. इस मामले में कई महिलाओं के वीडियो सामने आए हैं, जो इस समय पूरे कर्नाटक में फैल गए हैं. इससे कई महिलाओं की पहचान भी उजागर होने की खबर है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कथित यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाओं की वीडियो क्लिप प्रसारित होने के बाद उन्होंने पिछले 10 दिनों में अपने घर छोड़ दिए हैं.

अख़बार ने बताया है कि हासन ज़िले की इन महिलाओं का वीडियो में पहचान सामने आने के बाद अपने ही कस्बे-गांवों में रहना मुश्किल हो गया, जिसके चलते उन्हें अपने परिवार के साथ घर तक छोड़ने को मजबूर होना पड़ा.

मालूम हो कि हासन जेडीएस का गढ़ माना जाता है. प्रज्वल रेवन्ना यहां के मौजूदा सांसद हैं और इस बार एनडीए की टिकट पर दोबारा मैदान में हैं. प्रज्वल पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और होलेनरासीपुर विधायक एचडी रेवन्ना के बेटे हैं. इस परिवार का इस क्षेत्र में अच्छा-खासा दबदबा है.

मामले के तूल पकड़ने के प्रज्ज्वल रेवन्ना को पार्टी से निकाल दिया गया

हालांकि।, इस मामले के तूल पकड़ने के प्रज्ज्वल रेवन्ना को पार्टी से निकाल दिया गया है और इसकी जांच कर्नाटक सरकार ने एसआईटी को जांच सौंप दी है. फिलहाल प्रज्ज्वल विदेश में हैं और बताया जा रहा है कि उन्होंने 26 अप्रैल को हासन में मतदान के तुरंत बाद देश छोड़ दिया था.

विधायक एचडी रेवन्ना को एसआईटी ने एक महिला का अपहरण मामले में शनिवार (4 मई) को गिरफ्तार किया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने महिला को एसआईटी के पास जाने से रोकने की कोशिश की.

हासन शहर से 20 किलोमीटर दूर हैगरे गांव में एक दुकानदार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हासन का पूरा ज़िला एचडी रेवन्ना के नियंत्रण में है. वहां उनके परिवार और पार्टी के बड़ी संख्या में फॉलोवर हैं. इसलिए उनके बारे में कुछ भी बुरा बोलने पर बहुत संभावना है कि उन तक ये बातें पहुंच जाएंगी.

एक्सप्रेस की टीम तीन कस्बे और पांच गांवों में गई लेकिन कहीं भी कोई व्यक्ति पहचान ज़ाहिर करके बात करने को तैयार नहीं हुआ.
यहां तक की प्रज्वल के खिलाफ पहली एफआईआर, जो 28 अप्रैल को एक महिला की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी, उनका परिवार भी अब अपना घर छोड़ चुका है.

शिकायतकर्ता महिला के एक पड़ोसी ने बताया, ‘वो घरेलू सहायिका के तौर पर रेवन्ना के घर पर काम कर रही थी. जब उनके कुछ वीडियो वायरल होने लगे, तब हमें उनके घर पर ताला लगा दिखा. हमें नहीं पता कि वो कब यहां से चली गई.’

पार्टी की कई महिलाएं सोशल मीडिया पर प्रज्वल के साथ अपनी तस्वीरें हटा रही हैं

पीड़ित महिला के पास के ही गांव में पूर्व ज़िला पंचायत के वो सदस्य रहते हैं जिन्होंने प्रज्वल के खिलाफ़ बलात्कार का केस दर्ज कराया है. यहां के एक स्थानीय जेडीएस नेता का कहना है कि पार्टी की कई महिलाएं सोशल मीडिया पर प्रज्वल के साथ अपनी तस्वीरें हटा रही हैं. कुछ मामलों में पुरुष अपनी पत्नियों से सांसद के साथ उनके संबंधों के बारे में सवाल कर रहे हैं.

खबर के अनुसार, एसआईटी की टीम रेवन्ना के घर पर पहुंची तो बाहर जमा पार्टी कार्यकर्ताओं को वीडियो में दिखाई देती महिलाओं के बारे में बात करते सुना जा सकता था. एक ने कहा, ‘मैं इस महिला को जानता हूं, वह हमारे घर के करीब रहती थी और जेडीएस का काम करने में काफ़ी सक्रिय थीं. उनके घर पर ताला लगा हुआ है. उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं.’

एक अन्य ने बताया कि वीडियो में दिखाई देती वो महिला उनके पड़ोसी की रिश्तेदार है जो उनके घर के एक समारोह में भी शामिल हुई थी.’

इस क्षेत्र के एक दुकानदार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि महिलाओं की पहचान उजागर करना वाकई गलत था. उनका कहना था, ‘मैं उनमें से कुछ को जानता हूं, वो लोग छिप गए हैं. पता नहीं वो लोग वापस लौट सकेंगे या नहीं. ये परिवार केस भी नहीं करना चाहते थे लेकिन रेवन्ना परिवार के साथ केस लड़ते हुए हासन में रह पाना संभव नहीं है.’

इस मामले में कई स्थानीय जेडीएस नेताओं ने वीडियो पर हैरानी जताई, तो वहीं कुछ ने देवेगौड़ा के प्रति सहानुभूति भी व्यक्त की.

एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, ‘प्रज्वल ने जो किया वो माफ़ी के लायक नहीं है. देवेगौड़ा ने ज़िंदगी के चार दशक लगाकर अपनी राजनीतिक विरासत तैयार की थी, जो प्रज्वल की करतूतों के कारण ढह गई.’

वीडियो क्लिप प्रसारित होने के बाद से प्रचार से दूर पार्टी

देवेगौड़ा पदुवलहिप्पे गांव के पार्टी से जुड़े एक नेता कहते हैं कि वीडियो क्लिप प्रसारित होने के बाद से पार्टी ने प्रचार नहीं किया. उनका कहना है कि इस निर्वाचन क्षेत्र के युवाओं के मोबाइल फोन पर वीडियो थे. ऐसे में वे लोगों का सामना कैसे कर सकते हैं और उनसे प्रज्वल के लिए वोट करने के लिए कैसे कह सकते हैं?

इस गांव में एक बड़ा फार्महाउस है, जिसमें प्रज्वल अक्सर जाते थे और एक पुलिसकर्मी के मुताबिक यहीं कथित तौर पर कुछ वीडियो रिकॉर्ड किए गए थे. फार्महाउस के बाहर एक पुलिस कॉन्स्टेबल तैनात रहता है.

एक कर्मचारी ने आगे कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए कहा कि प्रज्वल दोस्तों के साथ यहां आता था और पार्टी करता था, लेकिन इसके अलावा उन्हें कुछ नहीं पता. एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि स्थानीय इंटेलिजेंस इकाई को वीडियो क्लिप के बारे में पता था, लेकिन यह मसला इतना भयावह होगा, इसका अंदाज़ा नहीं था.

अधिकारी ने कहा, ‘ ये कथित यौन उत्पीड़न वाली पेन ड्राइव 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले प्रसारित हो रही थी, लेकिन उस समय वीडियो सामने नहीं आए.’

गौरतलब है कि प्रज्वल को इन वीडियो क्लिप्स के संबंध में 86 मीडिया आउटलेट्स और तीन निजी व्यक्तियों के खिलाफ 1 जून, 2023 को बेंगलुरु सिविल कोर्ट से एक गैग ऑर्डर (निषेधाज्ञा आदेश) मिला था. इन निजी व्यक्तियों में से एक वकील और स्थानीय भाजपा नेता जी. देवराजे गौड़ा थे. इससे पहले प्रज्वल के पूर्व ड्राइवर कार्तिक ने कहा है कि उन्होंने देवराजे गौड़ा के साथ पेन ड्राइव साझा की थी.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस साल जनवरी में देवराजे गौड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जहां माना जा रहा था कि वह वीडियो जारी करेंगे, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस अचानक रद्द कर दी गई थी.

इस मामले पर फिलहाल राजनीतिक घमासान जारी है.  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखकर मामले में पीड़िताओं को हर संभव सहायता देने का अनुरोध किया है. कांग्रेस नेता ने भाजपा और जेडीएस पर भी निशाना साधा है.

वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए खुद को मामले से अलग कर लिया है.  भाजपा का कहना है कि मामले का संबंध केवल सांसद से है और इसके लिए कानून अपना काम करेगा.

बता दें कि कर्नाटक में 14 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण का मतदान 7 मई को होना है.