पन्नू हत्या साज़िश: चेक गणराज्य की अदालत ने निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण पर रोक लगाई

चेक गणराज्य की सर्वोच्च अदालत ने खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की कथित साज़िश रचने के लिए अमेरिका द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण को यह कहते हुए रोक लगा दी कि इस कार्रवाई में देरी होने पर जनहित को कोई ख़ास नुकसान नहीं होने वाला है.

गुरपतवंत सिंह पन्नू. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: चेक गणराज्य की सर्वोच्च अदालत ने खालिस्तान समर्थक और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रचने के लिए अमेरिका द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाली निचली अदालतों के फैसले पर रोक लगा दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए अदालत ने तर्क दिया कि इस कार्रवाई में देरी होने पर जनहित को कोई खास नुकसान नहीं होने वाला है.

रिपोर्ट के अनुसार, 30 जनवरी, 2024 को प्राग की संवैधानिक न्यायालय ने अपने अंतरिम फैसले में कहा था कि आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण से उसे किसी अन्य की तुलना में ज्यादा नुकसान होगा. इसके अलावा, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि यह कार्रवाई अपरिवर्तनीय होगी, भले ही यह गुप्ता की चुनौती को बरकरार रखे.

अब चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता मार्केटा एंड्रोवा ने अखबार को बताया कि इस अंतरिम निर्णय का मतलब है कि ‘न्याय मंत्री तब तक प्रत्यर्पण या इससे इनकार पर निर्णय नहीं ले सकते जब तक कि संवैधानिक न्यायालय निखिल गुप्ता द्वारा दायर शिकायत के गुण-दोष पर निर्णय नहीं ले लेता.

19 जनवरी, 2024 को निखिल गुप्ता ने प्राग के म्युनिसिपल कोर्ट के 23 नवंबर, 2023 और प्राग हाईकोर्ट के 8 जनवरी, 2024 के फैसलों को चुनौती दी थी, जिसमें दोनों ने उनके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका के अनुरोध पर सकारात्मक फैसला सुनाया था.

इससे पहले द वायर ने रिपोर्ट दी थी कि चेक सरकार को निखिल के प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाला पहला फैसला 23 नवंबर 2023 को प्राग की एक निचली अदालत ने दिया था. इसके बाद उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.

भारतीय व्यवसायी निखिल ने बार-बार दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी गलत पहचान के मामले पर हुई थी. माना जा रहा है कि राजनीतिक लोगों की संलिप्तता की ओर इशारा करते हुए गुप्ता के वकील ने तर्क दिया कि म्युनिसिपल कोर्ट और हाईकोर्ट ने अधिनियम की राजनीतिक प्रकृति का उचित आकलन नहीं किया.

अखबार के अनुसार, संवैधानिक न्यायालय में गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म क्रुटिना मुका की ओर से जवाब देते हुए वकील ज़ुजाना सेर्नका ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह क्लाइंट की अनुमति के बिना ऐसा नहीं कर सकतीं.

उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चेक गणराज्य के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है जिसके तहत अमेरिका गुप्ता को प्रत्यर्पित करना चाहता है. निखिल गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने में एक भारतीय अधिकारी के इशारे पर काम किया था. गुप्ता को पिछले साल 30 जून 2023 को प्राग पहुंचने के तुरंत बाद अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर चेक अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया था.

अमेरिकी अभियोजकों ने गुप्ता पर भारत में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में नामजद अमेरिकी नागरिक पन्नू को मारने के लिए एक हिटमैन को नियुक्त करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. गुप्ता ने हिरासत में रहते हुए चेक अधिकारियों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

ज्ञात हो कि पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है और वह भारत में प्रतिबंधित किए गए ‘सिख फॉर जस्टिस’ से जुड़े हैं. भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया हुआ है.

पिछले साल अमेरिका ने पन्नू की हत्या के असफल प्रयास के बारे में भारत सरकार के साथ जानकारी साझा की थी, साथ ही भारतीय अधिकारी की कथित संलिप्तता की जांच करने के लिए भी कहा था.

हाल ही में अमेरिकी अख़बार द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जिस अनाम भारतीय पर अमेरिकी अधिकारियों ने पन्नू की हत्या की कथित साजिश करने का आरोप लगाया है, वह रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी हैं और उनका नाम विक्रम यादव है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जिस समय पन्नू की हत्या की कथित साज़िश हुई, उस समय तत्कालीन रॉ प्रमुख सामंत गोयल पर ‘विदेशों में रह रहे सिख कट्टरपंथियों के कथित खतरे को खत्म करने का काफी दबाव था.’