मोबाइल में लादेन या आईएसआईएस के झंडे की फोटो रखने भर से किसी को आतंकी नहीं मान सकते: हाईकोर्ट

एनआईए द्वारा यूएपीए के आरोपों के तहत गिरफ़्तार किए गए कर्नाटक के दिवंगत कांग्रेस विधायक बीएम इदिनब्बा के पोते अम्मार अब्दुल रहमान को ज़मानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि इस व्यक्ति की मध्य-पूर्व और इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित ख़बरों पर नज़र थी, यह मानना सही नहीं होगा कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे थे.

(इलस्ट्रेशनः द वायर)

नई दिल्ली: यूएपीए से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आतंकवादी संगठन के प्रति आकर्षण का मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति उससे जुड़ा है.

द हिंदू के अनुसार, सोमवार (6 मई) को आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से संबंध के आरोप में गिरफ्तार कर्नाटक के दिवंगत कांग्रेस विधायक बीएम इदिनब्बा के पोते अम्मार अब्दुल रहमान को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि मोबाइल में ओसामा बिन लादेन या आईएसआईएस के झंडे तस्वीर मिलने भर से किसी को आतंकवादी संगठन का सदस्य नहीं माना जा सकता है.

आईएसआईएस के कथित समर्थक होने का आरोप झेल रहे रहमान की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की पीठ ने कहा, ‘केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, आईएसआईएस के झंडे और जिहाद को प्रमोट करने वाली सामग्री आदि थी और वह कट्टरपंथी मुस्लिम उपदेशकों के व्याख्यानों को सुन रहा था, उसे किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य नहीं बताया जा सकता, उसके लिए काम करना तो दूर की बात है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत ने आगे कहा, ‘आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में इस प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री इंटरनेट पर आसानी से मिल जाती हैं. केवल ऐसी चीजों को देखना और उसे डाउनलोड करना भी यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि उसने खुद को आईएसआईएस के साथ जोड़ लिया था. कोई व्यक्ति जानने समझने के लिए भी ऐसी चीजों को पढ़-देख सकता है. ऐसा करना अपने आप में कोई अपराध नहीं है.’

‘इजरायल-फिलिस्तीन की खबर देखना से कोई आतंकवादी नहीं हो जाता’

अदालत ने यह भी जोड़ा कि केवल इसलिए कि इस व्यक्ति की मध्य-पूर्व और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित खबरों पर नजर थी, यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा था. …ऐसा लग रहा है कि यूएपीए की धारा 38 और 39 को गलती से गलत जगह लगा दिया गया है. यूएपीए की धारा 38 आतंकवादी संगठन का सदस्यता होने और धारा 39 आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के मामले में लगाया जाता है.

हालांकि, पीठ ने इस बात को भी रेखांकित किया कि इस तरह का कृत्य इंसान की मानसिकता को दर्शाता है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इसकी टिप्पणियों को इस मामले में अंतिम राय न मानने की अपील की. कोर्ट ने कहा कि टिप्पणी सिर्फ जमानत पर निर्णय लेने के उद्देश्य से की गई हैं.

रहमान ने दिल्ली हाईकोर्ट में निचली अदालत के दिसंबर 2023 के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था.

एनआईए ने रहमान को 2021 में किया था गिरफ्तार

अम्मार अब्दुल रहमान को एनआईए ने अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया था. उन पर यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. एनआईए ने आरोप लगाया था कि रहमान के मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि उन्होंने स्क्रीन-रिकॉर्डर का इस्तेमाल कर इंस्टाग्राम से आईएसआईएस से संबंधित वीडियो डाउनलोड किए थे.

एजेंसी का दावा था कि रहमान के मोबाइल से मिली सामग्री उनकी कट्टरपंथी मानसिकता और आईएसआईएस के साथ जुड़ाव को स्थापित करती हैं.

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि रहमान को ज्यादा से ज्यादा कट्टरपंथी व्यक्ति कहा जा सकता है, जो आईएसआईएस की विचारधारा में यकीन करता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया आईएसआईएस के प्रति उनके इस तरह के आकर्षण को यह नहीं माना जा सकता कि वह आतंकवादी संगठन से जुड़े थे और उसके उद्देश्य को आगे बढ़ा रहे थे.