नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में सोमवार (13 मई) को मतदान होना है. ऐसे में विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने शनिवार (11 मई) को इंदौर के प्रसिद्ध रीगल चौराहे पर विरोध प्रदर्शन कर लोगों से नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाने का आग्रह किया.
मालूम हो कि ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से इस बार इंदौर लोकसभा सीट पर कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ रहा. कांग्रेस ने यहां से अक्षय कांति बम को टिकट दिया था, लेकिन 29 अप्रैल को नामांकन वापसी के अंतिम दिन अचानक उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. जिसके चलते अब पार्टी यहां लोगों से चुनाव के दिन नोटा दबाने का अनुरोध कर रही है.
यहां से भाजपा के मौजूदा सांसद शंकर लालवानी मैदान में हैं, जिन्होंने पिछला चुनाव बेहद आसानी से जीता था. इस सीट पर फिलहाल 13 उम्मीदवार बचे हैं जिनमें से ज़्यादातर निर्दलीय हैं. इनमें एक ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ यानी ‘एसयूसीआई’ के उम्मीदवार अजीत सिंह पवार भी शामिल हैं. बहरहाल, द वायर की एक रिपोर्ट बताती है कि इन उम्मीदवारों पर भी मुकाबले से पीछे हटने का दबाव बनाने के लिए डराया-धमकाया जा रहा है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस कार्यकर्ता और इंडिया गंठबंधन के नेता इंदौर में नोटा के लिए कई अभियान भी चला रहे हैं. जिसमें काली पट्टी बांधकर मौन जुलूस निकालना, घर-घर जाकर लोगों से नोटा का बटन दबाने का आग्रह करना और दीवारों, ऑटो-रिक्शा पर पोस्टर चिपकाना शामिल है.
इंदौर शहर के कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत चड्ढा ने द हिंदू को बताया कि पार्टी नोटा के लिए लगभग 3.5 से 4 लाख वोटों की उम्मीद कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘हमने इस पर काम करने के लिए अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें भी शुरू कर दी हैं. मतदान केंद्रों पर हमारे एजेंट होंगे और हम मतगणना के लिए भी अपने एजेंट भेजेंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने 4,000 से अधिक ऑटो-रिक्शा पर पोस्टर चिपकाए थे, जिससे भाजपा घबरा गई और उसके नेताओं ने इन पोस्टरों को फाड़कर अपने पोस्टर लगाने शुरू कर दिए.’ उन्होंने एक वायरल वीडियो का भी जिक्र किया, जिसमें भाजपा के एक पार्षद को ऑटो से पोस्टर हटाते हुए दिखाया गया है.
कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से ही 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन के उन शब्दों का हवाला दिया जिनमें उन्होंने दावा किया था कि भाजपा में ही कई लोग कांग्रेस उम्मीदवार बम के नाम वापसी को लेकर नाखुश थे. हाल ही में महाजन ने कहा था कि यह खबर उनके लिए ‘स्तब्ध करने’ वाली थी और ‘यह करने की कोई जरूरत नहीं थी.’ महाजन ने एक समाचार चैनल से कहा था, ‘हम वैसे भी जीत रहे थे. लेकिन अब मेरे पास कई लोगों के फोन आ रहे हैं कि उन्हें ये बात पसंद नहीं आई और अब वो नोटा को वोट देंगे. मैंने उनसे ऐसा न करने को कहा है.’
एक कांग्रेस कार्यकर्ता विकास जोशी ने द हिंदू से कहा, ‘हम अक्षय कांति बम की वजह से हार नहीं मानेंगे. पहले हमारी चुनाव में सीधे तौर पर भागीदारी थी, जिसमें हार-जीत शामिल थी. लेकिन अब हम लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.’
ध्यान रहे कि अक्षय कांति बम का नामांकन वापस लेने का फैसला स्थानीय अदालत द्वारा उनके और उनके पिता के खिलाफ 17 साल पुराने मामले में हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा 307) के आरोप जोड़े जाने के ठीक पांच दिन बाद सामने आया था. इस मामले में स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर अदालत में पेश होने में विफल रहने के बाद, अदालत ने 10 मई को अक्षय कांति बम के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया था.
इस बीच, भाजपा ने कांग्रेस के नोटा अभियान को ‘नकारात्मक राजनीति’ करार दिया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 मई) को पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार मोती सिंह पटेल की विशेष अनुमति याचिका को समय का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था. अदालत का कहना था कि अब समय नहीं है, 13 मई को चुनाव है और 11 तथा 12 मई को शनिवार- रविवार हैं. इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट भी इस मामले में कांग्रेस को झटका दे चुका है.