नई दिल्ली: खाद्य महंगाई दर अप्रैल में चार महीने के उच्चतम स्तर 8.7% पर पहुंच गई, जबकि खुदरा महंगाई दर मार्च की तुलना में 4.83% पर लगभग अपरिवर्तित रही.
मुद्रास्फीति का प्रभाव ग्रामीण परिवारों पर अधिक था, जहां कीमतों में 5.43% की वृद्धि देखी गई और खाद्य मुद्रास्फीति 8.75% दर्ज की गई.
शहरी उपभोक्ताओं की बात करें तो उन्हें कीमतों में मार्च के मुकाबले मामूली बदलाव का सामना करना पड़ा. मार्च में दर 4,14% थी, जो अप्रैल में 4.11% रही.
द हिंदू के मुताबिक, मासिक आधार पर देखें तो दामों में लगभग 0.5% की वृद्धि हुई, शहरी उपभोक्ताओं को समग्र कीमतों के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी तेज वृद्धि का सामना करना पड़ा. शहरी भारत में मार्च के मुकाबले खाद्य कीमतों में 1.03% की वृद्धि हुई, जबकि ग्रामीण भारत में वृद्धि 0.59% थी.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में वृद्धि शहरी परिवारों के लिए अधिक स्पष्ट थी, जिसमें 0.6% की वृद्धि देखी गई. ग्रामीण भारत में यह वृद्धि 0.37% थी.
इस दौरान, सब्जियों की महंगाई में मामूली गिरावट देखी गई. यह मार्च में 28.3% थी, जो अप्रैल में 27.8% रही. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लगातार पांचवें महीने दोहरे अंक में बनी रही. दालों की महंगाई दर भी लगातार 11वें महीने अप्रैल में 16.84% पर दोहरे अंक में दर्ज की गई, हालांकि यह मार्च के 17.7% से कम है.
अनाज की बात करें तो मार्च में इसकी महंगाई दर 8.4% थी, अप्रैल में यह और महंगा हो गया और दर 8.63% हो गई. वहीं, मांस और मछली की कीमतों में भी तेज वृद्धि देखी गई जहां महंगाई दर मार्च के 6.4% से बढ़कर 8.2% हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि फलों की कीमतों में भी वृद्धि मार्च के 3.1% से बढ़कर 5.22% दर्ज की गईं.
इसके अलावा, खाद्य तेल की बात करें तो 12 महीने की लगातार 10% से अधिक अपस्फीति (कीमतों में कमी) के बाद इनकी कीमतों में साल-दर-साल गिरावट कम होकर 9.4% हो गई.
कुछ राहत
चीनी, मसाले, अंडे और दूध जैसी कुछ वस्तुओं के लिए मूल्य वृद्धि कम हुई. चीनी की महंगाई दर मार्च के 7.2% से घटकर अप्रैल में 6% हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि मसालों की 22 महीने तक 10% से अधिक महंगाई दर के बाद यह गिरकर 7.75% हो गई है. वहीं, अंडों की कीमत में 7.1% की वृद्धि देखी गई, जबकि मार्च में यह 10.33% दर्ज की गई थी.
खाद्य महंगाई दर में वृद्धि के बावजूद, अप्रैल में मुख्य महंगाई दर में मामूली गिरावट ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज गिरावट के कारण थी, जहां मार्च की 3.2% गिरावट की तुलना में अप्रैल में 4.2% गिरावट देखी गई. इसे कुछ अन्य वस्तुओं में महंगाई में आई मामूली गिरावट से सहायता मिली, जिनमें कपड़े और जूते, पान, तंबाकू और नशीले पदार्थ, आवास, स्वास्थ्य और मनोरंजन शामिल हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, थोक मूल्य मुद्रास्फीति या महंगाई दर भी अप्रैल में बढ़कर 1.26% हो गई, जो मार्च में 0.53% थी.