मणिपुर: एनआईए का दावा- लूटे गए हथियारों का इस्तेमाल कुकी समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा में हुआ

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से संबंधित मामलों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एक मामले में आरोपपत्र दायर किया है. इसमें कहा गया है कि राज्य में हिंसा भड़काने के आरोपियों के पास से वही हथियार बरामद हुए हैं, जो उपद्रव के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए थे.

बीते वर्ष भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो के इंफाल पूर्वी स्थित घर के बाहर हथियार वापस करने के लिए ड्रॉप बॉक्स भी लगाया गया था. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर में जारी हिंसा से संबंधित एक मामले में आरोपपत्र दायर किया है. आरोपपत्र के मुताबिक, हिंसा भड़काने के आरोपियों के पास से वही हथियार मिले हैं, जो उपद्रव के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए थे.

आरोपपत्र में प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही गुट के कैडरों द्वारा ‘हथियार प्रशिक्षण शिविर’ आयोजित करने का भी जिक्र है. इसमें बताया गया है कि मेईतेई विद्रोही ये सब प्रतिद्वंद्वी कुकी समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसक आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के इरादे से कर रहे थे.

3 मई, 2023 को शुरू हुई मणिपुर हिंसा को अभी तक काबू नहीं किया जा सका है. हिंसा में अब तक 224 लोगों की जान जा चुकी है. 60,000 से अधिक लोगों को विस्थापित किया गया है. सैकड़ों संपत्तियों को नुकसान हुआ है. मणिपुर से महिलाओं पर हमला करने और उन्हें भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर आया था.

एनआईए द्वारा प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही गुट ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) के कैडर के रूप में पहचाने जाने वाले मोइरांगथेम आनंद सिंह की गिरफ्तारी के आठ महीने बाद केंद्रीय एजेंसी ने नई दिल्ली की एक विशेष अदालत में कहा है कि मणिपुर हिंसा के दौरान सिंह ने इंफाल में आयोजित एक ‘हथियार प्रशिक्षण शिविर’ में भाग लिया था.

शिविर का आयोजन एक इकोलॉजिकल पार्क में पीएलए कैडर ओकेन सिंह ने किया था. शिविर में करीब 80 से 90 युवाओं को हथियार चलाना सिखाया गया था.

सरकारी हथियार की लूट और मणिपुर हिंसा

एनआईए ने आरोप पत्र में दावा किया है कि पिछले साल सितंबर में हुए एक फोरेंसिक अध्ययन में मणिपुर पुलिस द्वारा आरोपियों से बरामद हथियारों और पुलिस थानों से लूटे गए हथियारों के बीच समानता पाई गई है. एनआईए के आरोपपत्र में कहा गया है, ‘जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों से जब्त किए गए चार हथियारों में से तीन अलग-अलग बटालियन और शस्त्रागार से लूटे गए थे.’

जिन तीन हथियारों की पहचान हुई है, उनमें से एक इंसास राइफल है, जिसे 7वीं मणिपुर राइफल्स बटालियन से लूटा गया था. एक एसएलआर राइफल है, जिसे इंडिया रिजर्व बटालियन से लूटा गया था. एक थ्री नॉट थ्री राइफल है, जिसे मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के शस्त्रागार से लूटा गया था.

शेष, एक थ्री नॉट थ्री राइफल (सीरियल नंबर: डी91642) का पता लगाने के लिए जांच जारी है.

द वायर ने अपनी पिछली रिपोर्ट में बताया था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी किए गए बयान के मुताबिक पुलिस ने हिंसा के शुरुआती दिनों में मणिपुर पुलिस के शस्त्रागार से लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों और 6.5 लाख कारतूस में से केवल 1,757 हथियार और 22,707 कारतूस बरामद किए थे.

सूत्रों का कहना है कि जुलाई 2023 में एनआईए ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जो मामला नई दिल्ली में दर्ज किया था, उसके लिए एजेंसी को केंद्र सरकार से ‘इनपुट’ मिले थे. इनपुट में एक कथित ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ के बारे में बताया गया था, जिसके मुताबिक पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय आतंकी संगठनों के म्यांमार स्थित सरगना मणिपुर की जातीय हिंसा का फायदा उठाकर आतंकवादी घटना को अंजाम देने वाले थे.

पांच मेईतेई लूटे गए हथियार के साथ पुलिस की वर्दी में पकड़े गए थे 

16 सितंबर, 2023 को मोइरांगथेम आनंद सिंह, अथियोकपम कजीत सिंह, कीशम जॉनसन, लौक्राकपम माइकल मंगंगचा और कोंथौजम मेघजीत मेइतेई को मणिपुर पुलिस ने इंफाल पूर्वी जिले से गिरफ्तार किया था. पांचों लोग पुलिस की वर्दी पहनकर एक गाड़ी में यात्रा कर रहे थे.

जब उनकी और उनके वाहन की तलाशी ली गई तो अत्याधुनिक हथियार मिले. सुरक्षा बलों का कहना है कि ये हथियार घाटी के कई पुलिस थानों के शस्त्रागार से लूटे गए थे. सभी पांच व्यक्ति मेईतेई समुदाय के हैं.

उनकी गिरफ्तारी के बाद कर्फ्यू के बावजूद मेईतेई महिलाओं के समूह ने मीरा पैबिस के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. भीड़ ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग को लेकर विभिन्न थानों में घुसने की कोशिश की थी. गिरफ्तार किए गए लोगों को ‘ग्राम स्वयंसेवक’ बताते हुए कहा गया था कि वे ‘कुकी उग्रवादियों’ से मेईतेई ग्रामीणों की रक्षा कर रहे थे.

जनता के दबाव में आकर इंफाल पश्चिम जिले की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया था. हालांकि, एम. आनंद सिंह को तुरंत एनआईए ने ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ मामले में पकड़ लिया और नई दिल्ली ले गए. उन्हें औपचारिक रूप से 22 सितंबर को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था.

एम. आनंद सिंह की रिहाई के लिए मणिपुर भाजपा ने लिखा पत्र

एनआईए ने एम. आनंद सिंह की पहचान पीएलए कैडर के रूप में की और पता चला कि उसे पहले भी छह बार गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने अदालत में सिंह की जमानत का लगातार विरोध किया.

अक्टूबर 2023 में सत्तारूढ़ भाजपा की मणिपुर इकाई ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा था, जिसमें एम. आनंद सिंह की रिहाई के लिए मदद मांगी गई थी. पत्र में कहा गया था कि चुनावी राज्य मणिपुर में जनता का गुस्सा और विरोध भाजपा की लहर को धीमा कर रहा है. लंबे समय से चल रहे उपद्रव के लिए लोग सरकार की विफलता को जिम्मेदार मान रहे हैं.

अक्टूबर के अंत में मणिपुर एनआईए अदालत ने मामले के सभी दस्तावेजों को नई दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत को भेज दिया था.

मणिपुर में हिंसा को बढ़ाना चाहता था आनंद सिंह- एनआईए

अपनी जांच पूरी कर चुकी एनआईए ने आरोपपत्र में दावा किया है कि आरोपी आनंद सिंह पीएलए का ‘एक प्रशिक्षित कैडर’ है. वह न सिर्फ जुलाई 2023 में इंफाल में आयोजित हथियार प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुआ था बल्कि दूसरों को भी प्रशिक्षित किया था. एनआईए के आरोपपत्र के मुताबिक, सिंह ने मणिपुर में जातीय हिंसा को बढ़ाने के लिए स्थानीय युवाओं को एकजुट कर उन्हें हथियार चलाना सिखाया था.

बता दें कि मुख्यमंत्री के बयान के मुताबिक, एनआईए के पास मणिपुर जातीय हिंसा से जुड़े 13 मामले हैं.

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