सुप्रीम कोर्ट के ईडी को बिना अदालत की मंज़ूरी के गिरफ़्तारी से रोकने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (16 मई) को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किसी व्यक्ति को पीएमएलए के प्रावधानों के तहत सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकता है, उसे अदालत की मंजूरी लेनी होगी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि अगर विशेष अदालत शिकायत पर संज्ञान लेते हुए समन करता है और आरोपी पेश होता, तो इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह हिरासत में है. अगर ईडी उस व्यक्ति की हिरासत चाहता है तो उसे विशेष अदालत में दोबारा आवेदन करना होगा. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने जोड़ा कि यदि ईडी समन तामील होने के बाद पेश होने वाले आरोपी को उसी अपराध में आगे की जांच के लिए हिरासत में लेना चाहता है तो उसे विशेष अदालत में आवेदन देकर आरोपी की हिरासत मांगनी होगी. विशेष अदालत में आरोपियों की सुनवाई के बाद … ईडी हिरासत में लिए जाने के कारणों को लिखकर कोर्ट में आवेदन करेगा. इस तरह के आवेदन पर सुनवाई करते समय, अदालत केवल तभी हिरासत की अनुमति दे सकता है जब वह संतुष्ट हो कि हिरासत में पूछताछ की जरूरत है.

सुप्रीम  कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को जमानत देते हुए यूएपीए के तहत होने वाली गिरफ्तारियों के मामले में कुछ बातें स्पष्ट की हैं. द हिंदू के अनुसार, शीर्ष अदालत ने कहा है कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार मौलिक अधिकारों में सबसे पवित्र है और जांच एजेंसियों को यूएपीए मामलों में गिरफ्तारी का लिखित आधार देना चाहिए. प्रबीर पुरकायस्थ के मामले में उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को ‘पंकज बंसल मामला’ याद दिलाते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को हिरासत में लिए जाते समय गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया था, जबकि इसकी जानकारी लिखित में दी जानी चाहिए थी. पंकज बंसल केस में ईडी को आरोपी को गिरफ्तारी करने का आधार लिखित में देने को कहा गया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सिब्बल की दलील को सही पाया और पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए उन्हें जमानत दे दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक चुनावी भाषण में दावा किया था कि कांग्रेस अलग मुस्लिम बजट लाएगी. मोदी के मुताबिक, कांग्रेस पहले भी ऐसा करना चाहती थी और गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इसका विरोध किया था. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कांग्रेस ने इस आरोप को अपमानजनक और भ्रमित करने वाला बताया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि मोदी का यह दावा पूरी तरह झूठा है कि डॉ. मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बजट का 15 प्रतिशत सिर्फ मुसलमानों पर खर्च करने की योजना बनाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नासिक की रैली में फिर से कांग्रेस को मुसलमानों के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की थी. मोदी ने मुसलमानों का नाम लिए बगैर कहा था, ‘कांग्रेस की सोच है कि देश की सरकारें जितना बजट बनाती हैं, उसका 15 प्रतिशत सिर्फ अल्पसंख्यकों पर खर्च हो. यानी धर्म के आधार पर बजट का भी बंटवारा.’ एनसीपी- एसपी के प्रमुख शरद पवार ने इस दावे को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा कि बजट आवंटन पूरे देश को ध्यान में रखकर होता है, न कि धर्म या जाति को. उन्हें प्रधानमंत्री के हालिया चुनावी भाषणों को लेकर कहा कि मोदी आजकल जो कह रहे हैं उसमें एक फीसदी सच नहीं है और वे अपना आत्मविश्वास खो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र वंचित समुदायों को आरक्षण देने को लेकर चल रही चुनावी भाषणबाज़ी के बीच राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने पंजाब और पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण कोटा बढ़ाने की सिफारिश की है. द हिंदू ने एनसीबीसी के एक परामर्श के हवाले से बताया है कि आयोग का निर्णय वर्तमान आरक्षण नीतियों, मौखिक बयानों और दस्तावेजी साक्ष्यों की समीक्षा के बाद आया है. वर्तमान में पंजाब सरकारी रोजगार पदों का 25% अनुसूचित और 12% ओबीसी को, कुल 37% आरक्षण देता है. एनसीबीसी ने ओबीसी कोटा को अतिरिक्त 13% बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे नौकरियों में कुल ओबीसी आरक्षण 25% हो जाएगा. पश्चिम बंगाल में ओबीसी की राज्य सूची में कुल 179 ओबीसी समुदाय सूचीबद्ध हैं. श्रेणी ‘ए’ (अधिक पिछड़ा) में 81 जातियां हैं और श्रेणी ‘बी’ (पिछड़ा) में 98 हैं. श्रेणी ‘ए’ के लिए 10% और श्रेणी ‘बी’ के लिए 7% आरक्षण है. राज्य में सरकार द्वारा संचालित या सहायता प्राप्त प्रतिष्ठानों में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण कोटा क्रमशः 22%, 6% और 17% है, जो कुल 45 %  होता है. एनसीबीसी का कहना है कि ओबीसी कोटे को 5% बढ़ाया जा सकता है.

निर्वाचन आयोग द्वारा मत प्रतिशत देने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आयोग ने गुरुवार को बताया है कि लोकसभा चुनाव के पहले चार चरणों में कुल 66.95% मतदान दर्ज किया गया है, जहां लगभग 97 करोड़ मतदाताओं में से 45.10 करोड़ वोट दे चुके हैं. चुनाव के पहले चार चरणों में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 379 सीटों पर मतदान हुआ है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, चुनाव आयोग ने बताया है कि इस हफ्ते 13 मई को हुए चौथे चरण के मतदान में अपडेटेड मतदाता मतदान 69.16% था, जो 2019 के संसदीय चुनावों में इसी चरण की तुलना में 3.65 प्रतिशत अधिक है. लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के लिए अपडेटेड मतदान आंकड़े 65.68% रहे. 2019 के आम चुनाव के तीसरे चरण में 68.4% मतदान हुआ. आयोग के मुताबिक, 26 अप्रैल को हुए चुनाव के दूसरे चरण में 66.71% मतदान हुआ. 2019 के चुनाव में दूसरे चरण में 69.64% मतदान हुआ था. इसी तरह, मौजूदा आम चुनाव के पहले चरण में 66.14% मतदान दर्ज किया गया. 2019 में पहले चरण में 69.43% मतदान हुआ था.