नई दिल्ली: इज़रायल-गाजा युद्ध के बीच भारत ने इज़रायल को हथियार भेजे हैं, जिसे स्पेन ने अपने बंदरगाह पर रुकने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेन के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उसने डेनमार्क के झंडे वाले मालवाहक जहाज, जो कथित तौर पर भारत से इज़रायल 26.8 टन विस्फोटक लेकर लेकर जा रहा था, उसे अपने बंदरगाह पर रुकने की इजाजत नहीं दी है.
स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बेरेस ने ब्रसेल्स में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने ‘मैरिएन डैनिका‘ को अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जिसने 21 मई को कार्टाजेना में रुकने का अनुरोध किया है.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह पहली बार है जब हमने ऐसा किया है क्योंकि यह पहली बार है जब हमने इज़रायल में हथियारों की खेप ले जाने वाले एक जहाज का पता लगाया है जो एक स्पेनिश बंदरगाह पर रुकना चाहता है.
उनके अनुसार मध्य पूर्व को अधिक हथियारों की नहीं, शांति की ज़रूरत है.
मालूम हो कि गाजा पट्टी में हमले को लेकर स्पेन इज़रायल के खिलाफ काफी मुखर रहा है. स्पेन संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव के पक्ष में रहने वालों में से एक था.
समुद्री ट्रैकिंग वेबसाइट वेसल फाइंडर के अनुसार, मैरिएन डैनिका 8 अप्रैल को चेन्नई से रवाना हुई थी. ये जहाज पूरे अफ्रीकी महाद्वीप की यात्रा कर 13 मई को केप वर्डे के पश्चिम अफ्रीकी बंदरगाह पर पहुंचा था. बताया गया है कि फिलहाल ये मोरक्को के तट से दूर है और 21 मई को कार्टाजेना पहुंचने वाला है.
स्पेनिश अख़बार एल पेस ने यह भी बताया कि जहाज 26.8 टन विस्फोटक सामग्री का माल ले जा रहा था. एल पेस द्वारा प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार, इसे भेजने वाली भारत की सिद्धार्थ लॉजिस्टिक्स कंपनी है और इसकी प्राप्तकर्ता इज़रायल कार्गो लॉजिस्टिक्स (आईसीएल) है.
बताया गया है कि ये जहाज ऐसे मार्ग से जा रहा है, जो अफ्रीकी महाद्वीप के चारों ओर से गुजरता है. ऐसा संभवतः लाल सागर से बचने के लिए किया गया है, जहां हूती विद्रोही इज़रायल के लिए समुद्री यातायात को निशाना बना रहे हैं.
स्पैनिश सरकार की घोषणा एंटीगुआ और बारबुडा के झंडे वाले जहाज ‘बोर्कम‘ पर राजनीतिक विवाद के बीच आई है, जिसके बारे में फिलिस्तीन समर्थक समूहों का दावा है कि यह भारत से इज़रायल के लिए हथियार भी ले जा रहा था.
समुद्री रिकॉर्ड के अनुसार, स्लोवेनिया के कोपर बंदरगाह के लिए निकलने से पहले 16 मई को इसे कार्टाजेना में 11 घंटे के लिए रोका गया था.
स्पेन के परिवहन मंत्री ऑस्कर पुएंते ने 16 मई को एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि बोर्कम, जो पहले से ही स्पेन के लास पालमास बंदरगाह में रुका हुआ था, इज़रायल में हथियार नहीं ला रहा था, बल्कि चेक गणराज्य की ओर जा रहा था.
उन्होंने दावा किया कि इसे गलती से एक अन्य जहाज मैरिएन डैनिका समझ लिया था, जिसे स्पेनिश विदेश मंत्रालय ने रुकने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
एल पेस ने पहले बताया था कि फिलिस्तीन समर्थक समूह द्वारा प्राप्त और अखबार द्वारा देखे गए दस्तावेजों के अनुसार, इसका अंतिम गंतव्य स्लोवेनिया नहीं था, बल्कि ‘अशदोद या हाइफ़ा’ इजरायली बंदरगाह था. अशदोद बंदरगाह गाजा से लगभग 30 किलोमीटर दूर है.
स्पेनिश राष्ट्रपति को लिखे एक खुले पत्र के में कहा गया कि दस्तावेज़ में नामित कंपनी आईएमआई सिस्टम है, जिसका स्वामित्व इज़रायल की सबसे बड़ी हथियार कंपनी एल्बिट सिस्टम्स के पास है.
एल पेस के अनुसार, लीक हुए दस्तावेज़ में एक गोपनीयता खंड है जो परिवहन में शामिल चालक दल और कर्मचारियों को इज़रायल या आईएमआई सिस्टम का उल्लेख करने से रोकता है.
इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रांजिट दस्तावेज़ में बोर्कम के कार्गो को 20 टन रॉकेट इंजन (यूएन कोड वर्ग 1.3 सी 186), 12.5 टन विस्फोटक चार्ज वाले रॉकेट (कोड 181), 1,500 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थ (477), और 740 किलोग्राम तोपों के लिए साम्रगी (242) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. आरोप है कि इसका मूल स्रोत पुणे स्थित एक भारतीय कंपनी है.
स्पैनिश अखबार के अनुसार, डेनिश मेर्स्क जैसी बड़ी शिपिंग कंपनियां स्लोवेनिया और इज़रायल के बीच सीधे समुद्री मार्ग बनाए रखती हैं.
द वायर ने पहले रिपोर्ट किया था कि आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, भारत सरकार की म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने इज़रायल को गोला-बारूद का निर्यात किया था. कंपनी ने 18 अप्रैल 2024 को दोबारा भी इसी ऑर्डर को फिर से इज़रायल को निर्यात करने के लिए आवेदन किया था.
एक निजी कंपनी, प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (पीईएल) को पिछले साल गा़ज़ा पर इज़रायल का युद्ध शुरू होने के बाद से दो बार 20 नवंबर, 2023 और 01 जनवरी, 2024 को विस्फोटक और संबद्ध सामान निर्यात करने की अनुमति दी गई थी.
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने भारत, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इज़रायल पर हथियार प्रतिबंध और गा़ज़ा में तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा था.