नई दिल्ली: राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र लिखकर एक बहुमंजिला आवासीय परियोजना में सरकारी खजाने को 1,146 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान सहित अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि राज्य का सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी)कैबिनेट की मंजूरी के बिना भी इस पर काम कर रहा है. जीएडी मुख्यमंत्री शर्मा के अधीन है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना में जयपुर के गांधीनगर में पुराने एमआरईसी परिसर में छह बहुमंजिला इमारतों का विकास शामिल है, जहां कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी रहते हैं. छह टावरों में से चार का उपयोग सरकारी आवास के लिए किया जाएगा, जबकि दो को निजी व्यक्तियों को बेचा जाना है.
मीणा ने 14 मई को मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मास्टर प्लान के तहत यहां 18-19 मंजिला इमारतों का कोई प्रावधान नहीं है. नियमानुसार यहां व्यावसायिक उपयोग की भी अनुमति नहीं है. हालांकि, इस परियोजना को पूरा करने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया गया है.’
उन्होंने लिखा, ‘कुछ अधिकारी/लोग आरईडीसीसी (रियल एस्टेट डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ऑफ राजस्थान लिमिटेड) के साथ मिलीभगत करके करोड़ों रुपये की काली कमाई करने जा रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए समय पर ध्यान देना आवश्यक है कि सरकार को लगभग 1,146 करोड़ रुपये का नुकसान न हो.’
उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि ‘न तो वर्तमान वित्त मंत्री, न ही कैबिनेट, न ही आप इस परियोजना का समर्थन कर रहे हैं. फिर भी इस पर काम शुरू हो गया है… बिना मंजूरी के सरकारी आवासों को खाली करने के नोटिस जारी कर दिए गए हैं.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना का कम मूल्यांकन किया गया है और इससे सरकार को काफी नुकसान भी हो सकता है. उन्होंने आग्रह किया कि मामले की जांच कराई जाए.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग, कैबिनेट की मंजूरी के बिना परियोजना पर आगे बढ़ रहा है और सीएम शर्मा से इसे रोकने और फाइल को वापस लेने का आग्रह किया है.
मंत्री ने कहा है कि पांच साल पहले इस क्षेत्र का मूल्य 277 करोड़ रुपये था और एक नए मूल्यांकन में इसका मूल्य 218 करोड़ रुपये आंका गया है. उनका दावा है कि ज़मीन का आरक्षित मूल्य भी 25,000 रुपये की मौजूदा दर के मुकाबले 8,000 रुपये प्रति वर्ग फुट कम आंका गया है.
पत्र के मुताबिक, इसका मतलब है कि राज्य सरकार को प्रति वर्ग फुट करीब 17,000 रुपये का घाटा हो रहा है. सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के हिस्से के रूप में निजी ठेकेदारों को लगभग 33% – या एक तिहाई – फ्लैट देने की भी योजना बना रही है.
यह पहली बार नहीं है जब वरिष्ठ मंत्री ने अपनी ही सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों पर आपत्ति जताई है.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने उन्होंने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत बेची जा रही जमीनों पर चिंता जताते हुए भ्रष्टाचार होने के संकेत भी दिए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने कार्रवाई की.
ज्ञात हो कि जब वे विपक्ष में थे, तो मीणा राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन के लिए नियमित रूप से ख़बरों में रहते थे. राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में वह आखिरी बार तब खबरों में आए थे जब उन्होंने कहा था कि वह राजस्थान के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे.
वर्तमान में उनके पास कृषि और बागवानी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और राहत और नागरिक सुरक्षा और सार्वजनिक मुकदमेबाजी का निवारण विभाग है. सरकारी पदानुक्रम में वह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के बाद हैं.
पिछली गहलोत सरकार के पांच वर्षों के दौरान 72 वर्षीय मीणा, जो उस समय राज्यसभा सांसद थे, ने अपने नियमित विरोध प्रदर्शनों के लिए सुर्खियां बटोरी थी. अपनी पार्टी के कई सहयोगियों की तुलना में वे अधिक बार सड़क पर उतरे और राजस्थान भाजपा में लगभग एक समानांतर ताकत के रूप में उभरे.